BHU PHD Admission Controversy: छात्रा का धरना तेज़, कांग्रेस और करणी सेना ने दिया समर्थन
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में पीएचडी (PHD) एडमिशन को लेकर चल रहे विवाद ने अब नया मोड़ ले लिया है। पीएचडी (PHD) में प्रवेश से वंचित किए जाने के विरोध में पिछले तीन दिनों से एक छात्रा अर्चिता BHU के केंद्रीय कार्यालय के बाहर धरने पर बैठी है।
BHU PHD Admission Controversy: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में पीएचडी (PHD) एडमिशन को लेकर चल रहे विवाद ने अब नया मोड़ ले लिया है। पीएचडी (PHD) में प्रवेश से वंचित किए जाने के विरोध में पिछले तीन दिनों से एक छात्रा अर्चिता BHU के केंद्रीय कार्यालय के बाहर धरने पर बैठी है। छात्रा का आरोप है कि उसके साथ अन्याय हुआ है और एक खास छात्र को एडमिशन दिलाने के लिए जानबूझकर उसके प्रवेश को रोका गया।
बेटियों को सिर्फ नारे में शिक्षित नहीं, हकीकत में करे सरकार
धरने पर बैठी अर्चिता का कहना है कि सरकार ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ’ जैसे नारे तो लगाती है, लेकिन जब बेटियां शिक्षा के लिए आवाज़ उठाती हैं, तो उन्हें अनसुना कर दिया जाता है। अर्चिता ने कहा कि यह सिर्फ मेरा नहीं, हर उस लड़की का मामला है, जो मेहनत करके आगे बढ़ना चाहती है लेकिन भ्रष्ट व्यवस्था और सिफारिश के आगे उसका सपना कुचल दिया जाता है।
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कांग्रेस प्रवक्ता संजीव सिंह ने धरनास्थल पर की मुलाकात
इस मुद्दे ने तब और तूल पकड़ लिया जब कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता संजीव सिंह ने धरनास्थल पर पहुँचकर छात्रा से मुलाकात की। उन्होंने अर्चिता को हर संभव मदद और न्याय दिलाने का आश्वासन दिया। उन्होंने BHU प्रशासन पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय आज भ्रष्टाचार का अड्डा बनता जा रहा है। प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं के हक को सिफारिशों और राजनीतिक दबाव में कुचला जा रहा है।
केंद्र सरकार से लगाई न्याय की गुहार
छात्रा अर्चिता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय शिक्षा मंत्री से अपील की है कि वे इस मामले का संज्ञान लें और उसे न्याय दिलाएं। उसका कहना है कि जो छात्र मेरिट में हैं, उन्हें वंचित कर केवल संघ या छात्र संगठनों से जुड़े छात्रों को प्राथमिकता दी जा रही है।
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ABVP छात्र के लिए किया गया पक्षपात? – गंभीर आरोप
अर्चिता ने आरोप लगाया है कि उसका एडमिशन केवल इसलिए रोका गया क्योंकि वह किसी संगठन से नहीं जुड़ी है, जबकि ABVP से जुड़े एक छात्र को नियमों को ताक पर रखकर प्रवेश दिलाया जा रहा है। उसने इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
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करणी सेना ने किया समर्थन का आवाह्न
छात्रा के संघर्ष को अब सामाजिक संगठनों का भी समर्थन मिलने लगा है। करणी सेना ने अर्चिता को समर्थन देने का ऐलान किया है और BHU प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोलने की बात कही है। करणी सेना के नेताओं ने कहा कि यह केवल अर्चिता का संघर्ष नहीं, बल्कि पूरे समाज की बेटियों की लड़ाई है।
तीन दिन से अकेले धरने पर बैठी है छात्रा
अर्चिता पिछले तीन दिनों से अकेले BHU के केंद्रीय कार्यालय के सामने धरने पर बैठी हुई है। न तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने अब तक उसकी कोई सुनवाई की है और न ही कोई समाधान दिया है। तेज धूप, भूख और मानसिक दबाव के बावजूद छात्रा का कहना है कि जब तक उसे न्याय नहीं मिलता, वह धरना खत्म नहीं करेगी।
BHU प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल
पूरे मामले में BHU प्रशासन की चुप्पी को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। विश्वविद्यालय की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, न ही धरने पर बैठी छात्रा से संवाद स्थापित किया गया है। ऐसे में यह मामला शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े कर रहा है।
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क्या कहता है छात्र समुदाय?
विश्वविद्यालय के कई छात्रों का कहना है कि यह केवल अर्चिता का नहीं, बल्कि समूची छात्र बिरादरी का मामला है। अगर आज आवाज़ नहीं उठेगी, तो कल किसी और का हक मारा जाएगा। कई छात्रों ने सोशल मीडिया पर #JusticeForArchita हैशटैग के साथ समर्थन जाहिर किया है।
BHU जैसी प्रतिष्ठित संस्था में यदि पीएचडी जैसे उच्चस्तरीय शैक्षणिक प्रवेश को लेकर इस तरह का विवाद सामने आता है, तो यह न केवल विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है बल्कि पूरे उच्च शिक्षा प्रणाली की निष्पक्षता और पारदर्शिता को भी कठघरे में लाता है। अब देखना यह है कि प्रशासन और सरकार इस मुद्दे को किस तरह से सुलझाते हैं। क्या अर्चिता को मिलेगा न्याय? क्या भ्रष्टाचार के आरोपों की होगी निष्पक्ष जांच? या फिर एक और आवाज़ व्यवस्था के शोर में दबा दी जाएगी?
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