Doon Valley Greening Project: दून घाटी को फिर से हराभरा बनाने की तैयारी, वन विभाग करेगा व्यापक अभियान
मुख्य सचिव आनंद वर्धन की पहल और वन विभाग के प्रयास मिलकर दून घाटी को फिर से हरा-भरा बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम साबित हो सकते हैं। यदि सही दिशा में ठोस कार्रवाई होती है, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए देहरादून एक बार फिर "ग्रीन वैली" के रूप में चमक सकता है।
Doon Valley Greening Project: तेजी से हो रहे शहरीकरण के बीच दून घाटी की हरियाली को फिर से संजीवनी देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया जा रहा है। उत्तराखंड के मुख्य सचिव आनंद वर्धन की पहल पर वन विभाग को देहरादून को पहले जैसी हराभरा घाटी बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। फिलहाल इस योजना की तैयारियां प्रारंभ हो चुकी हैं, जिसमें दून घाटी का व्यापक सर्वे कर नई कार्ययोजना बनाई जाएगी।
राजधानी बनने के बाद बढ़ा दबाव
उत्तराखंड के राज्य बनने के बाद देहरादून पर विकास का भार काफी बढ़ गया। राजधानी का दर्जा मिलने के बाद यहां निर्माण कार्यों की बाढ़ आ गई, जिससे हरे-भरे जंगल और खुले स्थान तेजी से कम हुए। अब जब दून की प्राकृतिक सुंदरता खतरे में है, तो उसे बचाने और फिर से संवारने के लिए गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं।
प्रस्ताव तैयार करने में जुटा वन विभाग
वन विभाग इस महत्वाकांक्षी योजना को गंभीरता से लेते हुए प्रारंभिक सर्वेक्षण और कार्ययोजना तैयार करने में जुट गया है। सबसे पहले दून घाटी के विभिन्न इलाकों की पहचान की जाएगी, जहां वृक्षारोपण, पार्कों का विकास और सुंदरता बढ़ाने के अन्य उपाय किए जा सकते हैं। सड़क किनारों पर वृक्षारोपण, फ्लाईओवर पर गमलों में मौसमी फूलों की सजावट और खाली पड़ी जमीनों पर हरियाली फैलाने जैसे कार्य प्राथमिकता में रहेंगे।
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पार्क और हाउसिंग सोसाइटी में भी हरियाली का विस्तार
योजना के तहत न केवल सार्वजनिक पार्क बनाए जाएंगे, बल्कि हाउसिंग सोसाइटीज की खाली पड़ी भूमि पर भी हरियाली बढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे। इसके अलावा, सरकारी जमीनों का चिन्हीकरण कर वहां भी बड़े स्तर पर वृक्षारोपण किया जाएगा। वन विभाग इस पूरे प्रयास को एक दीर्घकालिक और व्यापक परियोजना के रूप में देख रहा है।
अलग ढांचा बनाने पर विचार
चूंकि यह काम बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण है, इसलिए इसे सफलतापूर्वक लागू करने के लिए एक अलग प्रशासनिक ढांचा बनाने की संभावना भी जताई जा रही है। दिल्ली में जिस तरह हरियाली बढ़ाने के लिए एक विशेष समिति का गठन किया गया था, उसी तर्ज पर उत्तराखंड में भी एक स्वतंत्र इकाई के गठन पर विचार हो सकता है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि हरियाली लौटाने का कार्य सिर्फ एक या दो साल तक सीमित न रह जाए, बल्कि दीर्घकालिक रूप से दून घाटी की तस्वीर बदल सके।
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दीर्घकालिक प्रभाव की उम्मीद
वन विभाग को उम्मीद है कि अगर यह योजना पूरी तरह से लागू की जाती है तो आने वाले वर्षों में देहरादून फिर से हरियाली और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाएगा। इससे न केवल पर्यावरण संतुलन बहाल होगा, बल्कि बढ़ती गर्मी और प्रदूषण जैसी समस्याओं से भी राहत मिलेगी। इसके साथ ही पर्यटन क्षेत्र को भी नया जीवन मिलेगा और दून घाटी एक बार फिर से अपने पुराने गौरव को प्राप्त कर सकेगी।
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