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NCERT Book: इतिहास मिटाया नहीं जाता, उसे समझकर संजोया जाता है — NCERT की किताबों में मुगल काल अब भी मौजूद है।

NCERT Book: हाल ही में एनसीईआरटी (NCERT) द्वारा इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में किए गए बदलावों को लेकर देशभर में चर्चा गर्म है। कई राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने आरोप लगाया कि मुगल काल से जुड़ी सामग्री को स्कूली किताबों से पूरी तरह हटा दिया गया है।

NCERT Book: हाल ही में एनसीईआरटी (NCERT) द्वारा इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में किए गए बदलावों को लेकर देशभर में चर्चा गर्म है। कई राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने आरोप लगाया कि मुगल काल से जुड़ी सामग्री को स्कूली किताबों से पूरी तरह हटा दिया गया है। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे ने तेजी से तूल पकड़ा, जिससे छात्र, अभिभावक और शिक्षक सभी में भ्रम की स्थिति बन गई।

इसी बीच, बढ़ते विवाद को शांत करने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने आधिकारिक बयान जारी कर स्पष्ट किया कि “मुगल काल को किताबों से हटाया नहीं गया है।” मंत्री के अनुसार, एनसीईआरटी ने केवल पाठ्यक्रम को “तर्कसंगत” बनाने (Rationalisation) के लिए कुछ संशोधन किए हैं, लेकिन भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण कालखंडों, जैसे मुगल काल, को हटाना कभी भी उद्देश्य नहीं रहा।

क्या हुआ था बदलाव?

एनसीईआरटी ने महामारी के बाद छात्रों पर पढ़ाई का बोझ कम करने के लिए कई विषयों में सामग्री को संक्षिप्त किया। इसी प्रक्रिया के तहत कुछ अध्यायों और कुछ अंशों को पाठ्यपुस्तकों से हटाया गया। कक्षा 12वीं के इतिहास विषय में ‘मुगल दरबार और उनका प्रशासन’ जैसे कुछ अंश कम किए गए, लेकिन मुगलों के आगमन, शासन व्यवस्था, कला-संस्कृति में उनके योगदान जैसी मुख्य जानकारियाँ अब भी किताबों में शामिल हैं।

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केंद्र सरकार का पक्ष

केंद्रीय मंत्री ने जोर देकर कहा कि “कुछ अंशों के हटने का मतलब पूरे इतिहास को मिटा देना नहीं है। हम छात्रों को भारतीय इतिहास की समृद्ध विरासत से अवगत कराना चाहते हैं, जिसमें मुगल, मौर्य, गुप्त और अन्य सभी कालखंड शामिल हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि नए बदलाव विशेषज्ञों की सलाह और व्यापक समीक्षा के बाद ही किए गए हैं।

विरोधियों की प्रतिक्रिया

हालांकि सरकार की सफाई के बावजूद, कुछ विपक्षी नेता और इतिहासकार इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। उनका तर्क है कि किसी भी ऐतिहासिक काल को पढ़ाई से हटाना या सीमित करना छात्रों की समझ को एकतरफा बना सकता है। उनके मुताबिक, मुगलों ने भारत की स्थापत्य कला, साहित्य और प्रशासनिक व्यवस्थाओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिसे अनदेखा करना इतिहास के साथ अन्याय होगा।

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एनसीईआरटी की सफाई

एनसीईआरटी के निदेशकों और वरिष्ठ अधिकारियों ने भी स्पष्ट किया कि पाठ्यक्रम में कटौती केवल छात्रों को अनावश्यक दबाव से बचाने के लिए की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि किसी विशेष काल या समुदाय को निशाना बनाकर बदलाव नहीं किए गए हैं। मुगल काल की बुनियादी बातें और योगदान अभी भी छात्रों को पढ़ाया जाएगा, ताकि वे भारतीय इतिहास की विविधता को बेहतर ढंग से समझ सकें।

मौजूदा विवाद ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि शिक्षा और इतिहास जैसे विषयों पर फैसले लेते समय अत्यधिक सावधानी और पारदर्शिता की जरूरत होती है। हालांकि सरकार और एनसीईआरटी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मुगल काल को पाठ्यक्रम से हटाया नहीं गया है, फिर भी यह जरूरी है कि छात्रों तक इतिहास का संतुलित और व्यापक चित्र प्रस्तुत किया जाए।

भविष्य में पाठ्यक्रम में किसी भी प्रकार का बदलाव करते समय संवाद और स्पष्टता को और मजबूत करना समय की मांग बन चुकी है।

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