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Caste Census : किसको मिलेगा फायदा, किसका कटेगा हक? बिहार मॉडल से समझिए जातिगत जनगणना का असर

Caste Census : बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जाति जनगणना का ऐसा मास्टरस्ट्रोक चला दिया है, जिससे विपक्ष के हाथ से सबसे बड़ा सामाजिक-पॉलिटिकल मुद्दा फिसल गया है। इस कदम से जहां सामाजिक न्याय की राजनीति को नई धार मिल सकती है, वहीं आरक्षण की 50% सीमा को तोड़ने की बहस भी तेज हो गई है।

Caste Census : बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जाति जनगणना का ऐसा मास्टरस्ट्रोक चला दिया है, जिससे विपक्ष के हाथ से सबसे बड़ा सामाजिक-पॉलिटिकल मुद्दा फिसल गया है। इस कदम से जहां सामाजिक न्याय की राजनीति को नई धार मिल सकती है, वहीं आरक्षण की 50% सीमा को तोड़ने की बहस भी तेज हो गई है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी पहले ही कह चुके हैं कि “जिसकी जितनी आबादी, उसकी उतनी भागीदारी” के आधार पर आरक्षण बढ़ाया जाना चाहिए। ऐसे में जब जातियों की असल संख्या सामने आएगी, तो OBC और EBC वर्ग के लिए आरक्षण बढ़ाना केंद्र की मजबूरी बन सकता है। लेकिन इसका मतलब यह भी होगा कि कुछ जातियों को मिलने वाला मौजूदा हक़ घट सकता है। आइए, जाति जनगणना के प्रभाव को सरल भाषा में समझते हैं।

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Actual Data: अब तक जातियों की सही संख्या नहीं

अब तक भारत में केंद्र सरकार द्वारा कोई जाति आधारित जनगणना नहीं कराई गई है। ऐसे में यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि देश में किस जाति की जनसंख्या कितनी है। हालांकि, कुछ राज्यों जैसे बिहार ने जातिगत सर्वे किए हैं, जिनसे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ओबीसी और अन्य पिछड़े वर्ग की आबादी कितनी अधिक है।

बिहार मॉडल: OBC और EBC की ताकत का खुलासा

बिहार के जातीय सर्वे के आंकड़े चौंकाने वाले हैं।

  • पिछड़ा वर्ग (OBC): 27.12%
  • अति पिछड़ा वर्ग (EBC): 36.01%
    कुल मिलाकर ये दोनों वर्ग 63% से अधिक हैं, जबकि इन्हें मिला आरक्षण है केवल 30% (OBC को 12%, EBC को 18%)।

यानी ‘जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी’ की बात की जाए, तो OBC + EBC को 63% आरक्षण मिलना चाहिए।

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Constitutional Limit: क्या टूटेगी 50% की सीमा?

    भारतीय संविधान में आरक्षण की अधिकतम सीमा 50% तय की गई है, लेकिन कई राज्य (जैसे तमिलनाडु) इस सीमा को पहले ही पार कर चुके हैं। राहुल गांधी और विपक्ष पहले ही इस सीमा को तोड़ने की वकालत कर चुके हैं। जाति जनगणना के बाद यदि ओबीसी की संख्या ज्यादा निकलती है तो सरकार पर आरक्षण बढ़ाने का दबाव बढ़ेगा।

    Divide or Deliver: किसका होगा नुकसान, किसका फायदा?

      जाति जनगणना के बाद बड़ा सवाल यह होगा कि जब OBC का आरक्षण बढ़ेगा, तो क्या सवर्ण वर्ग के लिए बने EWS कोटे में कटौती होगी? या फिर एससी-एसटी वर्ग के आरक्षण पर असर पड़ेगा?
      यह भी संभव है कि सरकार कुल आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर नए फार्मूले पर काम करे, जिससे सभी वर्गों को संतुलित प्रतिनिधित्व मिले।

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      Diksha Kumari

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