Joshimath Sinking Live Updates: क्या जोशीमठ में ‘क़यामत’ आनेवाली है ! दरक रही धरती,ख़तरे की घंटी
उत्तराखंड के जोशीमठ में ख़तरे की आहट सुनाई दे रही है.शहर धंस रहा है.और इस धंसते शहर के लिए NTPC प्रोजेक्ट को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.क्या सच में इस मुसीबत के लिए NTPC प्रोजेक्ट जिम्मेदार है.
उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों में क़यामत की आहट सुनाई दे रही है.कुदरत के क़हर के कारण लोगों के आशियाने ख़तरे में हैं.लोगों को नए आशियाने की तलाश है.फटती दीवारें.फर्श पर चौड़ी दरारें और धंसते मकान.आप तस्वीरों में साफ-साफ देख सकते हैं.इस कुदरती कहर से 3 हजार से ज्यादा लोगों की जिंदगी ख़तरे में है.लोगों को उनके रिश्तेदारों के यहां और रिलीफ कैंप में रहना पड़ रहा है.कुल साढ़े चार हजार इमारतों वाले शहर के 610 घरों में बड़ी-बड़ी दरारें आ चुकी है.सूबे के सीएम पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि राज्य सरकार जोशीमठके पीड़ितों कोसभी तरह सुविधाएं मुहैय्या करा रही है.उन्होंने कहा कि पीएम मोदी से भी पूरा सहयोग मिल रहा है.
उधर CRBIकी टीम ने जोशीमठ में पीड़ित क्षेत्र की जांच की.इस बीच उत्तराखंड सरकार ने 68 घरों को खतरनाक घोषित करते हुए उन पर लाल क्रॉस के निशान लगा दिए हैं.इन घरों में प्रवेश करने और रहने की सख्त मनाही है.स्थानीय लोगों और कांग्रेस का ये आरोप है कि एनटीपीसी की टनल इसके लिए जिम्मेदार है.लोगों का कहना है कि यहां पर सुरंग खोदी गई.जिसके कारण शहर धंस रहा है.लेकिन NTPC ने लोगों की बातों को खारिज कर दिया है.NTPC का कहना है कि सुरंग के निर्माण से जोशीमठ के धंसने का कोई कनेक्शन नहीं है.
जानकारों का मानना है कि साल 2013 में केदारनाथ की बाढ़ और 2021 में ऋषि गंगा की बाढ़ से सरकार ने सबक नहीं लिया है.कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि, जोशीमठ लैंडस्लाइड से निकले मलबे पर बसा है.1971 में भी कुछ घरों में दरारें आईं थीं.जोशीमठ का संकट इंसानों ने खुद खड़ा किया है.आबादी कई गुना बढ़ गई है.पर्यटकों की संख्या भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है.बेकाबू तरीके से इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाए जा रहे हैं.वैज्ञानिकों का कहना है कि हिमालयी इलाका आपदाओं के लिए बेहद संवेदनशील हैं.अब समय है.सबको मिलकर जोशीमठ बचाने का
जयेंद्र कुमार वरिष्ठ पत्रकार