UKSSSC Exam: UKSSSC में सचिव की गैरहाज़िरी बनी चुनौती, पारदर्शी भर्ती परीक्षाओं पर मंडराया संकट
यूकेएसएसएससी में सचिव पद लंबे समय से रिक्त है, जिससे परीक्षाओं के संचालन में बाधा उत्पन्न हो रही है। इस कारण आयोग की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं। प्रशासनिक स्तर पर जल्द नियुक्ति की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
UKSSSC Exam: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC), जो राज्य में सरकारी भर्तियों के लिए प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित करने वाला प्रमुख निकाय है, इन दिनों एक प्रशासनिक संकट से जूझ रहा है। आयोग में सचिव की कुर्सी लंबे समय से खाली पड़ी है, जिससे परीक्षा की योजनाओं और उनकी समयबद्ध तैयारी पर असर पड़ रहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समयबद्ध और पारदर्शी तरीके से भर्तियां आयोजित करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन आयोग में नेतृत्व का अभाव इस लक्ष्य को प्रभावित कर रहा है। इस समय आयोग को टंकण एवं आशुलेखन परीक्षा, वन दरोगा भर्ती, पुलिस विभाग की परीक्षा, पशुपालन विभाग और स्नातक स्तरीय भर्तियां समेत कई बड़ी परीक्षाएं आगामी तीन महीनों में आयोजित करनी हैं।
सचिव की नियुक्ति के बाद छुट्टी से बढ़ी समस्या
10 मई को शासन ने अधिकारियों के तबादले करते हुए UKSSSC में सचिव पद पर पीसीएस अधिकारी विप्रा त्रिवेदी को नियुक्त किया था, जो पूर्व में गढ़वाल मंडल विकास निगम (GMVN) में तैनात थीं। लेकिन आयोग में योगदान देने के तुरंत बाद ही उन्होंने लंबी छुट्टी के लिए आवेदन कर दिया।
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इससे आयोग की प्रशासनिक संरचना कमजोर हो गई है। परीक्षा जैसे महत्वपूर्ण दायित्वों के संचालन में सचिव की भूमिका बेहद अहम होती है — चाहे वह परीक्षा केंद्र निर्धारण हो, पेपर निर्माण की प्रक्रिया या फिर गोपनीयता बनाए रखना। सचिव की अनुपस्थिति ने इन सभी व्यवस्थाओं को प्रभावित किया है।
अध्यक्ष ने की सचिव की छुट्टी की पुष्टि
आयोग के अध्यक्ष ने स्पष्ट किया है कि सचिव की छुट्टी स्वीकृत हो चुकी है, और वर्तमान में सचिव का पद प्रभावी रूप से रिक्त है। ऐसे में सभी प्रशासनिक जिम्मेदारियां अध्यक्ष व अन्य अधिकारियों पर आ गई हैं, जिससे काम का दबाव और जटिलताएं दोनों बढ़ गई हैं।
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पिछली घटनाओं की पुनरावृत्ति की आशंका
यह उल्लेखनीय है कि वर्ष 2022 में यूकेएसएसएससी की कई परीक्षाएं पेपर लीक की घटनाओं के चलते विवादों में घिर गई थीं। इसके बाद सरकार ने आयोग की साख बहाल करने के उद्देश्य से कई सुधारात्मक कदम उठाए।
संगठन भी हुए सक्रिय
इस प्रशासनिक खामी को लेकर सचिवालय संघ और पीसीएस संघ दोनों ने अपनी-अपनी भूमिका को लेकर पत्राचार किया है। सचिवालय सेवा संघ का मानना है कि आयोग जैसे पदों पर सचिवालय सेवा के अधिकारियों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जबकि पीसीएस संघ ने भी अपने अधिकारियों को योग्य मानते हुए समर्थन दिया है।
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तत्काल समाधान की आवश्यकता
इस स्थिति में शासन को चाहिए कि आयोग के सचिव पद पर या तो जल्द से जल्द नियमित नियुक्ति की जाए, या फिर किसी योग्य अधिकारी को अतिरिक्त प्रभार दिया जाए, ताकि परीक्षा संचालन में कोई बाधा न आए।
युवाओं की उम्मीदों पर असर
UKSSSC में हो रहे इस प्रशासनिक व्यवधान का सीधा असर उन लाखों युवाओं पर पड़ रहा है, जो सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं। यदि आयोग में स्थायित्व और स्पष्टता नहीं रही तो परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगना तय है।
सरकार को चाहिए कि वह इस संवेदनशील स्थिति का शीघ्र समाधान करे और आयोग की साख को कायम रखे, ताकि राज्य के योग्य उम्मीदवारों को समय पर अवसर मिल सके और पारदर्शी प्रणाली में उनका विश्वास बना रहे।
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