उत्तर प्रदेश

आखिर कहां से हुई ‘होलिका दहन’ की शुरुआत, जानिए?

Holi Special: देश में होली बड़े ही धूमधाम से मनाई जा रही है। हर ओर खुशियां ही खुशियां है। मथुरा में तो करीब एक महीने पहले से ही होली मनाने शुरु हो जाता है।चारों ओर पिचकारी की फुहार है…रंग और गुलाल है। किसी के हाथ ढ़ाल तो किसी के हाथ में लट्ठ है, जी हां बात हो रही है कान्हा की नगरी मथुरा की। लेकिन सवाल ये कि आखिर होली की शुरुआत कहां से होती है। हरदोई का पुराणों में वर्णन हदोई नाम से है। ऐसी मान्यता है कि हरदोई भक्त प्रहलाद की नगरी थी यहां के राजा हिरण्यकश्यप थे। आज भी यहां इस बात के बूतर मिलते रहे हैं कि यहा हिरण्यकश्यप की नगरी थी हरदोई में जिस स्थान पर हिरण्यकश्यप का महल था वहां आज भी कई टीले बने हुए हैं। हरदोई में भक्त प्रहलाद का एक कुंड भी है। पुराणों में ऐसा वर्णन है कि हरदोई से ही होली की शुरुआत हुई थी।होलिका की राख से हरदोई में होली की शुरुआत हुई थी। इसीलिए हरदोई वालों के लिए होली का त्योहार काफी खास हो जाता है। हरदोई में कई स्थानों पर होलिका दहन होता है। होलिका अष्टक लगते ही होलिका दहन के लिए लड़कियों के गठर चौराहों पर एकत्र होने लगते हैं।हरदोई में होली का पर्व काफी धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

हरदोई को हिरण्यकश्यप की नगरी कहा गया है।हिरण्यकश्यप का एक पुत्र था प्रहलाद जो कि भगवान विष्णु का भक्त था और राजा हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु को अपना शत्रु मानते थे। ऐसे में प्रहलाद को राजा हिरण्यकश्यप द्वारा कई बार भगवान विष्णु का नाम लेने से मना किया गया लेकिन वह नहीं माना।हरदोई के राजा हिरण्यकश्यप राक्षस था इस लिए काफी क्रूर राजाओं में गिना जाता था। हिरण्यकश्यप काफी बलशाली भी था लेकिन प्रह्लाद ने अपने पिता हिर्नाकश्यप की बात नहीं मानी और लगातार भगवान विष्णु की पूजा करता रहा। इस बात से नाराज राजा हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका जिसे वरदान था कि वह आग में नहीं जलेगी उसकी गोदी में अपने पुत्र प्रहलाद को बैठ कर लकड़ी के गठर में आग लगा दी।आग लगते ही भक्त प्रहलाद भगवान विष्णु का जाप करने लगा।इसके पश्चात जब आग शांत हुई तो देखा कि प्रहलाद तो जीवित है लेकिन होलिका आग में जलकर राख हो गई है तभी से हरदोई में होली की शुरुआत हो गई। हरदोई वासियों ने उस आग की राख एक दूसरे को लगाकर होली की शुरुआत की। हरदोई में नरसिंह भगवान का भी मंदिर है जिसे कहा जाता है कि यहां भगवान नरसिंह ने अवतार लिया था और हिरण्यकश्यप का वध किया था।इसीलिए हरदोई में होली का त्योहार काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।

भारत में होली भी कई तरीके की मनाई जाती है। जिनमें से एक होली काशी में मनाई जाती है। लेकिन वाराणसी की अगर बात की जाए तो वहां पर पौराणिक कथाओं के मुताबिक मसाने की होली की शुरूआत भगवान शिव ने की थी। ऐसा माना जाता है रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ माता पार्वती के साथ विवाह के बाद पहली बार काशी आए थे। उस दिन मां का स्वागत गुलाल के रंग से किया था. इसीलिए रंगभरी एकादशी का विशेष महत्व है। इस दिन शिव जी और माता पार्वती जी की विशेष पूजा का भी विधान है।

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