नई दिल्ली: बीते कई दिनों से बहुत से देश वैश्विक घटनाक्रमों में बदलाव के चलते खाने- पीने के संकट से जूझ रहे है. वहीं पड़ोसी देश श्रीलंका काफी दिन पहले से ही संकट का सामना कर रहा है. अब भूटान में भी धीरे-धीरे खाने की कमी के चलते संकट का सामना कर रहा है. भूटान के गांव इलाकों में रहने वाले लोगों को खाने-पीने के की कमी से जूझ रहे है.
रूस-यूक्रेन के युद्ध के चलते कई देशों को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. भूटान की आबादी 8 लाख से भी कम है. लेकिन फिर भी छोटा सा देश खाने-पीने के संकट से गुजर रहा है. कोरोना महामारी के बाद ही भूटान देश थोड़ा आर्थिक संकट से उबर पाया था कि अब फिर से देश को बड़ा झटका लग गया है.
रूस-यूक्रेन के युद्ध को तीन महीने से भी ज्यादा समय हो गया है, जिसकी वजह से कई देश संकट से जूझ रहे है. युद्ध के कारण क्रूड ऑयल और अनाजों की वैश्विक कीमतें आसमान छू चुकी हैं.
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भूटान उन पड़ोसी देशों में शामिल है, जो खाने-पीने की चीजों की घरेलू डिमांड को पूरा करने के लिए भारत पर निर्भर करता है. भूटान ने पिछले साल भारत से 30.35 मिलियन डॉलर का अनाज खरीदा था. भूटान के वित्त मंत्री लोकनाथ शर्मा ने इस बात पर चिंता जाहिर की है कि भारत ने गेहूं और चीनी के निर्यात पर पाबंदियां लगा दी है. वित्त मंत्री ने बिना किसी देश का नाम लिए कहा, ‘खाने-पीने की चीजों की कमी से महंगाई और बढ़ सकती है. कुछ देशों ने अनाजों के निर्यात पर रोक लगाने का फैसला किया है. इसका क्या असर होगा, इसे लेकर सरकार चिंतित है.’ हालांकि भारत ने साफ कहा है कि वह पड़ोसी देशों को अनाजों का निर्यात करता रहेगा. साथ ही भारत ने उन देशों को भी अनाज देने का फैसला किया जो संकट से जूझ रहे है.