नई दिल्ली: देश भर के 13 राज्यों में अग्निपथ योजना का विरोध में जो भी उपद्रव, तोड़फोड़, आगजनी और हिंसा की वारदातें हो रही हैं, उन्हें सेना में भर्ती के इच्छुक युवा नहीं बल्कि भाजपा और मोदी विरोधी राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं अंजाम दे रहे हैं। जैसे-जैसे अलग-अलग राज्यों की पुलिस इन मामलों की जांच कर रही है, तमाम तरह की चौंकाने वाली जानकारियां सामने आ रही हैं।
इन घटनाओं में शामिल लोगों की धरपकड़ हो रही है और उनसे पूछताछ में जो भी तथ्य सामने आ रही है, उन पर कार्रवाई हो रही है। सबसे चौंकाने वाली बात यह भी है कि नौकरी के लिए छात्रों को कोचिंग देने वाले तमाम कोचिंग सेंटरों के संचालकों की भूमिका भी बहुत संदिग्ध पायी गयी है।
उत्तर प्रदेश के अलीगढ में ही नौ कोचिंग सेंटरों के संचालकों को गिरफ्तार कर जेल भेजा, जबकि बिहार के पटना में सात कोचिंग सेंटरों को शक के घेरे में रखकर उनके व्हाट्सएप ग्रुप पर भेजे गये मैसेजों की जांच की जा रही है। माना जा रहा है कि इनके संचालकों ने व्हाट्सएप ग्रुप पर युवाओं को भड़काने वाले पोस्ट किये थे।
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बिहार में राष्ट्रीय जनता दल ने ही पूरे प्रांत को हिंसा का आग में झोंका है।इसके अलावा कांग्रेस, राष्ट्रीय लोक दल, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, शिव सेना, जैसे तमाम छोटे-मोटे राजनीतिक दलों का युवाओं को रोजगार दिलाने के कोई मतलब नहीं है, वे केवल मोदी और भाजपा को बदनाम करने की कोशिश में लगे हैं।
ये दलों के नेता भारत विरोधी सोच के कारण देश में अस्थिरता का माहौल पैदा करके राजनीतिक लाभ उठाना चाहते हैं, लेकिन वे अपने नापाक इरादों में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। जैस-जैसे हिंसा मामले में राजनीतिक दलों की लिप्तता उजागर हो रही है, उससे आने वाले समय में तमाम बड़े सफेदपोशों के दामन पर देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के दाग लगने तय हैं।