आगरा जिला जेलः कैदी बनाएंगे गाय के गोबर के एक लाख दीये, 51 हजार दीपकों का आर्डर मिला
आगरा जिला जेल में एक गौशाला स्थित है। इस गौशाला में 80 से 85 गायें पाली जा रही हैं। इन गायों के गोबर का उपयोग पहले भी कई प्रयोगों के तौर पर हो चुका है। जिला जेल के बंदियों ने गाय के गोबर से लकड़ियों का निर्माण किया था। इनकी बिक्री से अपेक्षित लाभ भी हुआ था।
आगरा। जिला जेल ने दीपावली के मौके पर एक नया प्रयोग किया है। यहां जेल बंदियों से गाय के गोबर के दीपों का निर्माण कराया जा रहा है। इन दीपों को जिला जेल परिसर तो सजाया ही जाएगा, हजारों की संख्या में दीपकों की बाजार में बिक्री भी की जाएगी।
यहां जिला कारागार में जेल के बंदी गाय के गोबर बनाने में जुटे हैं। ये दीपक पिछले करीब हफ्ते भर से बनाए जा रहे हैं। दीपावली तक एक लाख दीप निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। यह जानकारी जेल अधीक्षक पीडी सलोनिया ने दी है।
जिला जेल में है गौशाला
बता दें कि आगरा जिला जेल में एक गौशाला स्थित है। इस गौशाला में 80 से 85 गायें पाली जा रही हैं। इन गायों के गोबर का उपयोग पहले भी कई प्रयोगों के तौर पर हो चुका है। जिला जेल के बंदियों ने गाय के गोबर से लकड़ियों का निर्माण किया था। इनकी बिक्री से अपेक्षित लाभ भी हुआ था।
जेल अधीक्षक पीडी सलोनिया ने बताया कि जिला जेल में बंदी कई तरह के निर्माण कार्य करते हैं। इस बार गाय के गोबर से दीपक बनाये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे आवल खेड़ा में गायत्री शक्तिपीठ भ्रमण करने गए थे। वहां उन्होंने गायत्री शक्तिपीठ द्वारा प्रयोग में लाए जा रहे गाय के गोबर से बने दीपक देखे। यह देखकर उन्होंने इसके निर्माण प्रक्रिया के बारे में शक्तिपीठ के कर्मचारियों से जानकारी ली।
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इसके बाद उन्होने जिला जेल में दीपावली से पहले ऐसे दीपक बनवाने की योजना बनायी।
गायत्री शक्तिपीठ ने दिया आर्डर
पीडी सलोनिया ने बताया कि गायत्री शक्तिपीठ से उन्हें 51 हजार दीपक बनाने का ऑर्डर मिला है। वे कैदियों द्वारा बनाये गये दीपकों को 40 पैसे प्रति दीपक की दर से खरीदेगें।
25 हजार दीपक की आपूर्ति की गयी
जिला कारागार अब तक करीब 25 हजार दीपक गायत्री शक्तिपीठ को बना भेज चुका है। बाकी के दीपक भी जल्द ही पहुंचा दिए जाएंगे। उनका कहना है कि दीपावली तक करीब एक लाख दीपों का निर्माण किया जाएगा। गायत्री शक्तिपीठ में दीपक भेजने के बाद जो दीपक शेष रह जाएंगे, उन्हें जिला जेल में कैदियों से मिलने आने वाले आगंतुकों को बेचने की तैयारी है।