Ajmer Temple Controversy: अजमेर दरगाह विवाद में कोर्ट की सुनवाई टली, अब 30 अगस्त को होगी अगली तारीख
अजमेर सिविल कोर्ट ने दरगाह मामले में याचिका स्वीकार कर दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक मंत्रालय और ASI को नोटिस जारी किए हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए पूरे अजमेर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। कोर्ट परिसर के आसपास विशेष पुलिस बल तैनात किया गया है और शहरभर में अलर्ट घोषित कर दिया गया है।
Ajmer Temple Controversy: राजस्थान के अजमेर में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की विश्व प्रसिद्ध दरगाह को लेकर मंदिर होने के दावे पर चल रहे विवाद की सुनवाई शनिवार को राजस्थान हाईकोर्ट में होनी थी। लेकिन न्यायाधीश के अवकाश और नगर निगम कर्मचारियों की हड़ताल के चलते यह सुनवाई टाल दी गई। अब इस संवेदनशील मामले की अगली सुनवाई 30 अगस्त 2025 को होगी। मामले की गंभीरता और धार्मिक पहलुओं को देखते हुए प्रशासन पूरी तरह सतर्क है।
दरगाह स्थल पर मंदिर का दावा
हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने याचिका दाखिल कर यह दावा किया है कि अजमेर दरगाह परिसर में पहले संकट मोचन महादेव मंदिर मौजूद था। उन्होंने ऐतिहासिक चित्रों, नक्शों, और दस्तावेजों के साथ दावा किया कि मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा मंदिर को नष्ट कर दरगाह स्थापित की गई थी। उन्होंने कोर्ट से इस स्थल पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा वैज्ञानिक सर्वेक्षण करवाने और हिंदुओं को पूजा-अर्चना का अधिकार देने की मांग की है।
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सिविल कोर्ट ने स्वीकार की याचिका
अजमेर सिविल कोर्ट ने 27 नवंबर 2024 को इस याचिका को स्वीकार कर लिया था। कोर्ट ने दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और ASI को नोटिस जारी किए हैं। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए प्रशासन ने अजमेर में सख्त सुरक्षा प्रबंध किए हैं। कोर्ट परिसर के आसपास विशेष पुलिस बल तैनात किया गया है और पूरे शहर में अलर्ट जारी कर दिया गया है।
दरगाह कमेटी और मुस्लिम संगठनों का कड़ा विरोध
दरगाह से जुड़े संगठनों और मुस्लिम समुदाय ने याचिका का तीखा विरोध किया है। अंजुमन सैयद जादगान समिति ने कोर्ट में दलील दी है कि इस स्थल पर किसी प्रकार के बदलाव की इजाजत नहीं दी जा सकती क्योंकि यह 1991 के पूजा स्थल अधिनियम के अंतर्गत आता है। यह अधिनियम 15 अगस्त 1947 के बाद किसी धार्मिक स्थल के स्वरूप में बदलाव को प्रतिबंधित करता है।
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विष्णु गुप्ता बोले- यह मजार है, पूजा स्थल नहीं
दूसरी ओर, विष्णु गुप्ता ने कोर्ट में तर्क दिया कि यह अधिनियम दरगाह पर लागू नहीं होता क्योंकि यह एक मजार है, न कि पूजा स्थल। उन्होंने यह भी कहा कि उनका उद्देश्य किसी समुदाय की भावनाएं आहत करना नहीं, बल्कि ऐतिहासिक तथ्यों को सामने लाना है।
मामला संवेदनशील, प्रशासन सतर्क
मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने किसी भी संभावित तनाव से निपटने के लिए तैयारियां तेज कर दी हैं। पुलिस अधिकारियों को अलर्ट पर रखा गया है और सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों पर भी नजर रखी जा रही है। कोर्ट ने सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की है।
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