Air Pollution: भारत के लिए खतरे की घंटी, दुनिया के 100 प्रदूषित शहरों में 74 भारत में, स्ट्रोक का खतरा बढ़ा
हालिया शोध में सामने आया है कि दुनिया के 100 सबसे प्रदूषित शहरों में से 74 भारत में हैं, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा हैं। वायु और ध्वनि प्रदूषण ब्रेन स्ट्रोक के खतरे को काफी बढ़ा देते हैं, खासकर PM 2.5 और ट्रैफिक शोर इसके प्रमुख कारण हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदूषण न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है, इसलिए तुरंत कदम उठाने की जरूरत है।
Air Pollution: हाल ही में हुए एक अंतरराष्ट्रीय शोध में सामने आया है कि दुनिया के 100 सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में से 74 भारत में स्थित हैं। यह न केवल वायु प्रदूषण की भयावहता को दर्शाता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि इस प्रदूषण का सीधा प्रभाव नागरिकों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।
प्रदूषण से ब्रेन स्ट्रोक का गंभीर खतरा
शोध में पाया गया कि वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण — खासतौर से ट्रैफिक के शोर — से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है। हवा में मौजूद सूक्ष्म कण (PM 2.5) और तेज आवाजें न केवल दिल की बीमारियों बल्कि मस्तिष्क संबंधी विकारों को भी जन्म देती हैं।
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स्वीडन स्थित करोलिंस्का इंस्टीट्यूट के एनवायरनमेंटल मेडिसिन विभाग द्वारा किए गए इस शोध को एनवायरनमेंट इंटरनेशनल नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है। यह अध्ययन यूरोपीय संघ और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दिशा-निर्देशों के आधार पर किया गया और इसमें डेनमार्क, स्वीडन और फिनलैंड के 1.37 लाख से अधिक वयस्कों के डेटा का विश्लेषण किया गया।
PM 2.5 और शोर – स्ट्रोक के खतरे के दो बड़े कारक
शोध में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि जब PM 2.5 की मात्रा में प्रति घन मीटर 5 माइक्रोग्राम की बढ़त होती है, तो स्ट्रोक का खतरा करीब 9 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। वहीं, ट्रैफिक शोर में 11 डेसिबल की बढ़ोतरी से यह खतरा 6 प्रतिशत तक बढ़ सकता है।
जब ये दोनों कारक — वायु प्रदूषण और शोर — एक साथ मौजूद होते हैं, तो खतरे का स्तर और भी अधिक बढ़ जाता है। उदाहरण के लिए, शांत इलाकों (जहां शोर 40 डेसिबल तक हो) में PM 2.5 की वृद्धि स्ट्रोक का खतरा 6 प्रतिशत तक बढ़ा देती है, जबकि अधिक शोर वाले क्षेत्रों (80 डेसिबल) में यह खतरा 11 प्रतिशत तक पहुंच जाता है।
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भारत में वायु और ध्वनि प्रदूषण की डबल मार
भारत के लिए यह रिपोर्ट खतरे की घंटी है। देश में न केवल वायु प्रदूषण का स्तर विश्व में सबसे ऊँचा है, बल्कि ट्रैफिक शोर भी दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कोलकाता, बेंगलुरू और हैदराबाद जैसे शहरों की स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है। इन शहरों की भौगोलिक और जलवायु स्थितियाँ अपेक्षाकृत बेहतर होने के बावजूद, प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है।
सोचने-समझने की क्षमता भी प्रभावित
जर्नल नेचर कम्युनिकेशन्स में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में यह सामने आया है कि प्रदूषित हवा में थोड़े समय के लिए भी सांस लेने से इंसान की सोचने-समझने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। यह मानसिक स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक असर डाल सकता है और व्यक्ति की भावनात्मक स्थिरता को भी प्रभावित करता है।
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अब जरूरी है ठोस नीतिगत हस्तक्षेप
शोध के निष्कर्ष स्पष्ट संकेत देते हैं कि भारत जैसे विकासशील देश को अब पर्यावरणीय नीतियों पर सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। बढ़ते प्रदूषण का असर न केवल स्वास्थ्य बल्कि आर्थिक उत्पादकता, जीवन प्रत्याशा और सामाजिक जीवन पर भी पड़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को न केवल वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए ठोस रणनीति अपनानी चाहिए, बल्कि शोर प्रदूषण को भी नियंत्रित करने के लिए कानूनों को सख्ती से लागू करना चाहिए।
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