नई दिल्ली: प्रदेश के कई जिलों में जहां गर्मी का सितम जारी है. वहीं कई जगह बारिश आफत बनी हुई है. खराब मौसम चारधाम यात्रा में भी रुकावट बन पड़ा है. जिसकी वजह से करीब 4000 यात्री जोशीमठ, गोविंदघाट, पांडुकेश्र्वर और 2500 यात्री बद्रीनाथ में रोके गए.
बता दें कि सोनप्रयाग से सुबह 8 बजे तक 100 यात्री केदारनाथ के लिए रवाना हुए, लेकिन फिर भारी बारिश के चलते यात्रियों को सोनप्रयाग में ही रोक लिया गया है. मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून समेत प्रदेश के पांच जिलों में आज बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है. मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, रविवार को राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में कहीं-कहीं तेज बौछार के साथ बारिश की आशंका जताई है. इसी तरह मैदान से लेकर पर्वतीय जिलों में कई स्थानों पर गरज के साथ हल्की से मध्यम बारिश होगी.
शनिवार को नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन की ओर से किसी भी पर्यटक को घाटी में प्रवेश नहीं करने दिया गया. फूलों की घाटी में शुक्रवार रात को भारी बारिश के चलते जगह-जगह पैदल रास्ते क्षतिग्रस्त हो गए हैं. वन क्षेत्राधिकारी चेतना कांडपाल ने बताया कि भारी बारिश के कारण घाटी को जाने वाला रास्ता टूट गया है. पर्यटकों को फिलहाल घाटी में प्रवेश करने नहीं दिया जा रहा है. मौसम सामान्य होने के बाद रास्ते का सुधारीकरण कार्य किया जाएगा, इसके बाद पर्यटकों की आवाजाही सुचारू हो पाएगी.
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जानकारी के अनुसार, प्रदेश में दो दिन से हो रही बारिश के चलते कई गाड़-गदेरे उफान पर आ गए हैं. नदियों का जलस्तर भी बढ़ गया है. लगातार हो रही बारिश के कारण सड़कों को खोलने का काम भी बेहद धीमा गति से चल रहा है. पहाड़ियों से मलबा और बोल्डर गिरने से तीन राष्ट्रीय राजमार्गों सहित 225 सड़कें बंद हो गई। इनमें से मात्र 46 सड़कों को ही खोला जा सका.
भारतीय मौसम विभाग अमरनाथ गुफा के इलाके में मौसम की सटीक भविष्यवाणी देने में असफल रहा. आईएमडी ने शुक्रवार को गुफा के आसपास इलाके में येलो अलर्ट जारी किया था, इसका मतलब मौसम पर नजर रखना होता है, इसका मतलब ये नहीं होता कि बारिश या भारी बारिश होगी. यही कारण है कि स्थानीय प्रशासन ने अलर्ट को गंभीरता से नहीं लिया और यात्रियों का आना जारी रहा. दरअसल, मौसम विभाग अमरनाथ यात्रा को लेकर सुबह और शाम दो बार पूर्वानुमान जारी करता है. शाम चार बजे के बुलेटिन में भी विभाग मौसम के मिजाज को नहीं समझ पाया. उसने बादल छाने और हल्की बारिश की संभावना जताई. लेकिन शुक्रवार साढ़े पांच बजे हुई बारिश ने तबाही मचा दी. जब अचानक बादल फटने से नाले में बेहिसाब पानी आ गया. पानी की रफ्तार इतनी तेज थी कि किसी को संभलने का मौका तक नहीं मिला. यात्रियों के तंबू तिनके की तरह सैलाब में बह गए. तंबू और सामानों के साथ यात्रियों को भी सैलाब बहा गया.
बारिश की यह घटना चौंकाने वाली है. दरअसल, होली केव क्षेत्र में सुबह से शाम पांच बजे तक कोई बारिश नहीं हुई. लेकिन फिर अचानक भारी बारिश हुई. हालांकि, गुफा के निकट महज २8 मिमी बारिश एक घंटे में तथा 31 मिमी दो घंटे में हुई है. उस क्षेत्र में एक ही रिकॉर्डिंग केंद्र है. यदि गुफा से दो किमी दूरी पर 100 मिमी बारिश होगी तो वो रिकॉर्ड में नहीं आएगी. आपको बता दें कि जैसे दिल्ली के शाहदरा में यदि भारी बारिश होती है और सफदरजंग इलाके में नहीं होती है तो मौसम विभाग के रिकॉर्ड में दिल्ली में शून्य बारिश दर्ज की जाती है.
विशेषज्ञों का मानना है कि भारी बारिश या बादल फटने का सौ फीसदी पूर्वानुमान संभव नहीं है, खासकर पहाड़ी इलाके में, पर्वतीय क्षेत्रों में रडार के सटीक आंकड़े भी नहीं मिल पाते हैं. जबकि मैदानी इलाकों में काफी हद तक अनुमान लगाना संभव होता है.