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Amit Shah on Cash Controversy: ‘कैश विवाद’ पर अमित शाह का बड़ा बयान, ‘भ्रष्टाचार पर कोई समझौता नहीं’

गृह मंत्री अमित शाह ने कैश विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि न्यायाधीशों के खिलाफ किसी भी एफआईआर के लिए CJI की अनुमति आवश्यक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रखेगी। इस बयान से न्यायपालिका की स्वतंत्रता और पारदर्शिता को लेकर राजनीतिक बहस तेज हो गई है।

Amit Shah on Cash Controversy: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में न्यायपालिका और भ्रष्टाचार से जुड़े एक बड़े मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रधान न्यायाधीश (CJI) की अनुमति के बिना किसी भी न्यायाधीश के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब कैश विवाद को लेकर राजनीतिक और कानूनी हलकों में चर्चा जोरों पर है।

कैश विवाद पर क्या बोले अमित शाह?

अमित शाह ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रखना बेहद आवश्यक है और सरकार किसी भी अनुचित हस्तक्षेप का समर्थन नहीं करती। उन्होंने कहा, “किसी भी जज के खिलाफ किसी भी प्रकार की जांच या प्राथमिकी दर्ज करने से पहले CJI की मंजूरी अनिवार्य है।” यह बयान ऐसे समय में आया है जब न्यायपालिका से जुड़े मामलों में पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर बहस चल रही है।

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भ्रष्टाचार के मामलों में सरकार की सख्ती

गृह मंत्री ने जोर देकर कहा कि सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपना रही है। उन्होंने कहा, “देश में कोई भी भ्रष्ट व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है। चाहे वह कोई भी हो, अगर भ्रष्टाचार में संलिप्त पाया जाता है, तो कड़ी कार्रवाई होगी।”

यह बयान विपक्षी दलों के उन आरोपों के जवाब में भी देखा जा रहा है जिसमें कानूनी संस्थाओं के दुरुपयोग की बात कही गई थी। अमित शाह ने स्पष्ट किया कि सरकार कानून के दायरे में रहकर ही फैसले ले रही है और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर कोई आंच नहीं आने दी जाएगी।

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राजनीतिक गलियारों में हलचल

अमित शाह के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। विपक्षी पार्टियों का कहना है कि सरकार न्यायपालिका को नियंत्रित करना चाहती है, जबकि भाजपा इसे पारदर्शिता और स्वायत्तता बनाए रखने का प्रयास बता रही है।

क्या है आगे की राह?

विशेषज्ञों का मानना है कि अमित शाह के इस बयान से भ्रष्टाचार के मामलों की जांच प्रक्रिया को लेकर स्थिति अधिक स्पष्ट हो सकती है। इससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता और कार्यप्रणाली को लेकर चल रहे संदेह भी दूर हो सकते हैं।

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हालांकि, इस मुद्दे पर राजनीतिक और कानूनी बहस अभी जारी रहेगी। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और न्यायपालिका इस मामले पर आगे क्या रुख अपनाते हैं।

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Written By। Mansi Negi । National Desk। Delhi

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