Amritsar News: पटना साहिब और श्री अकाल तख्त साहिब के बीच चला आ रहा विवाद समाप्त, मर्यादा और एकता की पुनर्स्थापना
सिख पंथ के दो प्रमुख तख्तों—तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब और श्री अकाल तख्त साहिब—के बीच लंबे समय से चला आ रहा विवाद आखिरकार समाप्त हो गया है। आज दोनों तख्तों पर पांच सिंह साहिबान की बैठकों में आपसी सहमति से विवाद सुलझा लिया गया है, जिससे पूरे सिख समुदाय में राहत और संतोष की लहर दौड़ गई है।
Amritsar News: सिख पंथ के दो प्रमुख तख्तों—तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब और श्री अकाल तख्त साहिब—के बीच लंबे समय से चला आ रहा विवाद आखिरकार समाप्त हो गया है। आज दोनों तख्तों पर पांच सिंह साहिबान की बैठकों में आपसी सहमति से विवाद सुलझा लिया गया है, जिससे पूरे सिख समुदाय में राहत और संतोष की लहर दौड़ गई है।
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सभी हुकमनामे किए गए रद्द
पटना साहिब और श्री अकाल तख्त साहिब के पांच सिंह साहिबान ने एकमत होकर हाल ही में जारी सभी हुकमनामों को रद्द कर दिया है। इस फैसले के साथ ही दोनों तख्तों की गरिमा, मर्यादा और सर्वोच्चता को यथावत बहाल रखा गया है। यह निर्णय सिख पंथ की एकता, परंपरा और शांति बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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क्षमा याचना और मुकदमे की वापसी
पटना साहिब कमेटी ने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार को औपचारिक रूप से पत्र लिखकर क्षमा याचना की है। इसके अंतर्गत पटना साहिब में ज्ञानी रणजीत सिंह गोहर के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस लिया जाएगा। साथ ही, ज्ञानी गोहर को उनके धार्मिक कर्तव्यों का अधिकार भी प्रदान किया जाएगा।
तनखैया व्यक्तियों को मिली राहत
इस फैसले के तहत तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब की ओर से ‘तनखैया’ घोषित किए गए ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज, बाबा टेक सिंह धनोला और सुखबीर सिंह बादल को मुक्त कर दिया गया है। इसी प्रकार, श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा तनखैया घोषित किए गए पटना साहिब कमेटी के सदस्यों को भी, क्षमा याचना प्राप्त होने के बाद दोषमुक्त कर दिया गया है।
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पंथक एकता को मिला बल
इस पूरे घटनाक्रम के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि सिख पंथ के दोनों प्रमुख तख्तों ने आपसी मतभेदों को पीछे छोड़ते हुए एकता और सम्मान को प्राथमिकता दी है। यह फैसला न केवल धार्मिक मर्यादा की रक्षा करता है बल्कि संप्रदायिक सौहार्द और संगठनात्मक मजबूती को भी बढ़ावा देता है।
पटना साहिब और श्री अकाल तख्त साहिब के बीच हुआ यह समझौता सिख इतिहास में धैर्य, समझदारी और आपसी सम्मान का प्रतीक बनकर उभरा है। यह निर्णय भविष्य में किसी भी प्रकार के मतभेदों को संवाद के जरिए हल करने की प्रेरणा देगा।
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