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Supreme Court on Arvind Kejriwal: SC से जमानत के बावजूद जेल से बाहर नही आ पाएंगे अरविंद केजरीवाल

Arvind Kejriwal will not be able to come out of jail despite getting bail from SC

Supreme Court on Arvind Kejriwal: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई है। इसी के साथ पीएमएलए से जुड़ा मामला बड़ी बेंच को सौंप दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अरविंद केजरीवाल 90 दिन से ज़्यादा जेल में बिता चुके हैं। वह एक निर्वाचित नेता हैं, इसलिए वे यह तय करने के लिए स्वतंत्र हैं कि उन्हें इस पद पर रहना चाहते हैं या नहीं।

दिल्ली एक्साइज पॉलिसी केस में ईडी की गिरफ्तारी वाले मामले में सीएम अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सर्वोच्च अदालत (Supreme court) ने उन्हें अंतरिम जमानत दे दी है। इसके साथ कोर्ट ने मामले को बड़ी बेंच यानी तीन जजों की पीठ के सामने भेज दिया है। सुप्रीम कोर्ट से भले ही केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी गई है, हालांकि, अभी वो जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि सीबीआई ने उन्हें इसी केस में अरेस्ट किया है। सीबीआई अरेस्टिंग मामले में जब तक उन्हें जमानत नहीं मिलती सीएम केजरीवाल को जेल में ही रहना होगा।

सिर्फ पूछताछ से गिरफ्तारी नहीं हो सकती

केजरीवाल को अंतरिम जमानत देते हुए कोर्ट ने कहा कि सिर्फ पूछताछ से गिरफ्तारी नहीं हो सकती है. वहीं, केजरीवाल के वकील विवेक जैन ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट 18 जुलाई को सीबीआई मामले की सुनवाई करेगा। केजरीवाल बाहर आएंगे या नहीं, यह तो इस मामले के फैसले के बाद ही पता चलेगा। हालांकि, केजरीवाल के जेल से बाहर आने की पूरी संभावना है।

SC ने क्या-क्या कहा?

केजरीवाल को अदालत ने अंतरिम जमानत दी, क्योंकि उन्हें दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में 90 दिनों से अधिक समय तक हिरासत में रखा गया था। वह एक निर्वाचित नेता हैं वह तय करेंगे कि आगे चलकर इस पद पर बने रहना है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हमने चुनावी फंडिंग पर भी सवाल उठाए है.

SC ने कहा हमने पीएमएलए की धारा 19 की बारीकियों पर गौर किया है, लेकिन जमानत के मुद्दे पर गौर नहीं किया है। पीएमएलए की धारा 19 के गिरफ्तारी नियमों की व्याख्या करना भी आवश्यक है। पीएमएलए की धारा 19 और 45 के बीच अंतर को स्पष्ट किया गया है। अधिकारियों की व्यक्तिपरक राय पीएमएलए की धारा 19 में निहित है और न्यायिक जांच के अधीन है। दूसरी ओर, केवल न्यायालय ही धारा 45 का उपयोग कर सकता है।

आपको बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय को मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम की धारा 19 के तहत गिरफ्तारी करने का अधिकार है, अगर वह उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर यह निर्धारित करता है कि कोई व्यक्ति मनी लॉन्ड्रिंग का दोषी है। एजेंसी को केवल आरोपी को गिरफ्तारी का कारण बताना चाहिए।

Prachi Chaudhary

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