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Gonda Rail Accident: गोंडा रेल हादसे से पहले का ऑडियो हुआ लीक

Audio before Gonda train accident leaked

Gonda Rail Accident: उत्तर प्रदेश के गोंडा में हुए रेल हादसे से जुड़ी एक ऑडियो वायरल हुई है। इस ऑडियो में हुई बातचीत से यह निष्कर्ष निकलता है कि की-मैन 4 दिन से ट्रैक में खराबी की जानकारी दे रहा था, लेकिन अफसरों ने उसकी एक नहीं सुनी। हालांकि, एनबीटी इस ऑडियो की पुष्टि नहीं करता है। हालांकि, पूर्वोत्तर रेलवे ने ऑडियो का खंडन करते हुए ऐसी किसी लापरवाही से इनकार किया है।

ऑडियो में कुंवर विकास सिंह नाम का व्यक्ति की-मैन से बात कर रहा है। हालांकि उसने कथित की-मैन का नाम लिया है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो पाया है। विकास सिंह पूर्वोत्तर रेलवे गोंडा का यूनियन नेता बताया जा रहा है। इस बातचीत में विकास सिंह की-मैन वाले से पूछ रहा हैं कि उसने सूचना दी थी या नहीं। कथित की-मैन वाला भोजपुरी में बोल रहा है कि हम चार दिन से सूचना दे रहे हैं, लेकिन कोई सुन नहीं रहा है। फोन पर रिकॉर्डिंग भी है। हम कह रहे हैं कि लाइन में खराबी है।

इस पर खुद को विकास सिंह बताने वाला एक शख्स कह रहा है कि, सब एसएसई और एईएन की मर्जी से काम कर रहे हैं। प्रांजुल (वो कौन है, ये स्पष्ट नहीं है) वैसे भी की-मैन की कोई सुनता नहीं है, उन्हें सिर्फ चार्जशीट दाखिल करनी है। की-मैन विकास सिंह की इस बात पर हां में हां मिला रहा है। विकास सिंह आगे कह रहा है कि आप लोग बिल्कुल भी न डरें, चाहे इसके लिए रेलवे बोर्ड ही क्यों न जाना पड़े। की-मैन को जान देने के लिए नहीं बनाया जाता। अगर वो कोई सूचना देता है तो उसे किनारे घास काटने को कहा जाता है।

वह आगे कहते हैं कि प्रभारी के दबाव में कोई काम नहीं होगा। की-मैन वाले भावुक हो जाते हैं तो विकास सिंह समझाते हैं कि सच बोलो। किसी से डरने की जरूरत नहीं है। दबाव में काम नहीं होगा। हम सब कर्मचारी के साथ हैं। कोई नौकरी नहीं छीन सकता। पूरा एनई रेलवे मेंस कांग्रेस हमारे साथ है, सुभाष दुबे भैया हमारे साथ हैं। डरो मत। इतना डर ​​क्यों रहे हो? जो पूछे उसे सच बता दो।

गर्मियों में ट्रैक का विस्तार होता है

वायरल हुए इस ऑडियो ने नई बहस छेड़ दी है। ऑडियो के आधार पर रेलवे के एक विशेषज्ञ ने बताया कि यह जायज समस्या हो सकती है। उन्होंने बताया कि आमतौर पर गर्मी में पटरियां फैलती हैं और सर्दी में सिकुड़ती हैं। गर्मी का मौसम है, ऐसे में ट्रैक फेल होने की संभावना से पूरी तरह इनकार नहीं किया जा सकता। अगर गर्मी के कारण पटरी फैल गई होती या उसमें फ्रैक्चर हो गया होता तो पटरी से उतरने की संभावना बढ़ जाती है। प्रभावित हिस्से पर पहुंचने के बाद ट्रेन कपलिंग होती है। ऑडियो में भी यही बात कही जा रही है। ऐसे में इससे इनकार नहीं किया जा सकता।

रेलवे ने ऑडियो को लेकर किया इनकार

पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के पीआरओ महेश गुप्ता ने कहा कि ऑडियो क्या है या इसमें कौन है, इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। हम उच्चस्तरीय जांच करवा रहे हैं। हमारी एजेंसियां ​​सच्चाई बताएंगी। उन्होंने ऐसे ऑडियो से दूर रहने की सलाह भी दी है। मीडिया ने ऑडियो से जुड़े लोगों से बात करने की कोशिश की, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।

सुरक्षा कर्मियों की कमी है

सूत्रों ने बताया कि पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल में कई सुरक्षा कर्मी ऑफिस ड्यूटी में ही उलझे हुए हैं। वे अपना मूल काम भी नहीं कर पा रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण कर्मचारियों की कमी है। यही हाल रेलवे के अन्य विभागों का भी है।

एलएचबी कोचों के कारण ज्यादा नुकसान नहीं हुआ

दुर्घटनाग्रस्त ट्रेन में एलएचबी कोच होने की वजह से नुकसान काफी कम हुआ। आपको बता दें कि एलएचबी कोच (लिंक हॉफमैन बुश) को 1999 में भारतीय रेलवे में शामिल किया गया था। इसका निर्माण कपूरथला रेल कोच फैक्ट्री में होता है। यह कोच यात्रियों के लिए काफी आरामदायक है। एलएचबी कोच स्टेनलेस स्टील से बने होते हैं, जिससे दुर्घटना होने पर झटका सहने की क्षमता बढ़ जाती है। इसके अलावा यह उन्हें हल्का भी बनाता है और भार वहन करने की क्षमता भी बढ़ाता है।

एलएचबी कोच में कपलिंग सिस्टम दो कोचों के बीच सापेक्ष गति को कम करता है और दुर्घटना की स्थिति में एक कोच को दूसरे के ऊपर चढ़ने से रोकता है। इसके स्लीपर और सभी श्रेणियों के एसी कोच में बर्थ की क्षमता अधिक होती है, जिसके कारण अधिकतम 22 कोच लगाए जा सकते हैं। वहीं जनरल कोच में यात्रा करते समय कंपन अधिक होता है। साथ ही ट्रेन की गति के साथ-साथ शोर भी काफी होता है। इन कोच के अंदर बर्थ की संख्या कम होती है, लेकिन एक ट्रेन में अधिकतम 24 कोच लगाए जा सकते हैं, जिसके कारण एक ट्रेन में 3 अनारक्षित कोच लगाए गए।

रेलवे में सुरक्षा को लेकर शोध चल रहे हैं और ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग, रक्षक समेत कई नई तकनीकों पर काम चल रहा है। लखनऊ से गोरखपुर रूट पर भी ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग का काम चल रहा है। इसके लगने के बाद एक सेक्शन में एक के बाद एक ट्रेनें चल सकेंगी। ट्रैक की क्षमता बढ़ने से यात्रियों की सुविधा के लिए मांग के अनुसार पूर्वोत्तर रेलवे में गतिमान ट्रेनें चल सकेंगी। इसी बीच हादसा हो गया। हालांकि इसके कारणों का खुलासा नहीं हो पाया है लेकिन आरडीएसओ और रेलवे की तमाम रिसर्च और कवायदों पर सवाल उठ रहे हैं।

रेलवे बोर्ड ने उत्तर, पूर्वोत्तर और उत्तर मध्य रेलवे समेत सभी जोनों को साफ निर्देश दिया है कि सुरक्षा से समझौता न किया जाए। इसके लिए ट्रैक मेंटेनेंस, सिग्नलिंग और अत्याधुनिक एलएचबी बोगियां लगाई जा रही हैं। रेलकर्मियों की काउंसलिंग की जा रही है। उनकी सुविधाओं पर जोर दिया जा रहा है। इसके बावजूद हादसों पर लगाम नहीं लग पा रही है।

गोरखपुर से लखनऊ के बीच जल्द ही 130 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनें दौड़ेंगी। ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग के अलावा रेल लाइन के दोनों तरफ स्टील सेफ्टी फेंसिंग लगाई जाएगी। दावा है कि काम पूरा होने के बाद गोरखपुर से लखनऊ के बीच चलने वाली सेमी हाईस्पीड ट्रेन वंदेभारत समेत अन्य प्रमुख ट्रेनों की स्पीड 110 से बढ़कर 130 किमी प्रति घंटे हो जाएगी। स्पीड बढ़ने के साथ ही सुरक्षा भी मजबूत होगी और इसके अलावा समयपालन भी बेहतर होगा।

Chanchal Gole

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