Baba Shivanand Death: बाबा शिवानंद का निधन योग, संयम और सेवा के प्रतीक का अवसान
Baba Shivanand Death: भारत के प्रख्यात आध्यात्मिक गुरु और पद्मश्री सम्मानित संत बाबा शिवानंद का शनिवार रात निधन हो गया। वे 128 वर्ष के थे शिष्यों के अनुसार और लंबे समय से स्वस्थ जीवन के प्रतीक माने जाते रहे। उन्हें कुछ दिनों से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ थीं और 30 अप्रैल को उन्हें बीएचयू अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उपचार के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली।
Baba Shivanand Death: भारत के प्रख्यात आध्यात्मिक गुरु और पद्मश्री सम्मानित संत बाबा शिवानंद का शनिवार रात निधन हो गया। वे 128 वर्ष के थे शिष्यों के अनुसार और लंबे समय से स्वस्थ जीवन के प्रतीक माने जाते रहे। उन्हें कुछ दिनों से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ थीं और 30 अप्रैल को उन्हें बीएचयू अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उपचार के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली।
उनके निधन की खबर ने पूरे देश को शोक में डुबो दिया है। उनकी अंतिम यात्रा के लिए उनका पार्थिव शरीर वाराणसी के कबीरनगर कॉलोनी स्थित उनके निवास स्थान पर रखा गया है, जहां आम जनमानस और उनके अनुयायी अंतिम दर्शन कर रहे हैं। उनके शिष्यों के अनुसार, अंतिम संस्कार आज शाम को संपन्न किया जाएगा।
दीर्घायु जीवन का रहस्य संयम और योग
बाबा शिवानंद का जीवन सादगी, संयम और सेवा का अद्भुत उदाहरण था। वे नियमित रूप से योगाभ्यास करते थे, सात्विक भोजन ग्रहण करते थे और जीवन भर संयमित दिनचर्या का पालन करते रहे। उनका मानना था कि “अगर आप अपने शरीर को एक मंदिर की तरह रखें, तो यह आपको दीर्घ जीवन का वरदान देगा।”
उनकी उम्र को लेकर लंबे समय से चर्चा होती रही है। उन्होंने अपने दस्तावेजों में जन्म वर्ष 1896 बताया था, और कई अनुयायियों ने भी इस पर सहमति जताई। हालांकि सरकार द्वारा उनकी उम्र की पुष्टि वैज्ञानिक तरीके से नहीं हुई थी, फिर भी उनकी सक्रियता और ऊर्जा ने लोगों को हमेशा चकित किया।
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पद्मश्री सम्मान और वैश्विक पहचान
साल 2022 में भारत सरकार ने बाबा शिवानंद को ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया। पुरस्कार समारोह के दौरान राष्ट्रपति के सामने उनका दंडवत प्रणाम करना पूरे देश में चर्चा का विषय बना। उस पल ने उनकी विनम्रता, संस्कृति और आस्था की गहराई को दर्शाया।
इस सम्मान के बाद उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिली। सोशल मीडिया और टीवी चैनलों पर उनके योगाभ्यास, आहार और जीवनशैली को लेकर विशेष कार्यक्रम प्रसारित किए गए। कई लोगों ने उन्हें “जीवित योग पुरूष” की उपाधि दी।
सेवा और समाज के लिए योगदान
बाबा शिवानंद ने न केवल आध्यात्मिक जीवन जिया, बल्कि उन्होंने समाज के निर्धन वर्गों की सेवा को भी अपना कर्तव्य माना। वाराणसी और आसपास के क्षेत्रों में उन्होंने सैकड़ों जरूरतमंदों को आयुर्वेदिक चिकित्सा, भोजन और शिक्षा के संसाधन प्रदान किए। वे मानते थे कि अध्यात्म का वास्तविक रूप सेवा में निहित है। उन्होंने अपने अनुयायियों को सदैव एक ही सन्देश दिया — “जियो सरलता से, सोचो शुद्धता से और कर्म करो सेवा भाव से।”
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जनता की श्रद्धांजलि
बाबा शिवानंद के निधन की खबर सुनकर वाराणसी और देश के विभिन्न भागों से लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुँच रहे हैं। सोशल मीडिया पर #BabaSivanand, #PadmaShriSaint जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। कई राजनेताओं, योगगुरुओं और सामाजिक संगठनों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट में लिखा
“बाबा शिवानंद जी का जीवन संयम, सेवा और साधना की प्रेरणा है। उनका निधन हमारे लिए अपूरणीय क्षति है। मैं उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। ॐ शांति।”
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एक युग का अंत
बाबा शिवानंद का जीवन यह सिखाता है कि आयु सिर्फ संख्याओं का खेल नहीं है, बल्कि यह उस जीवनशैली का परिणाम है जो हम जीते हैं। उन्होंने साबित किया कि आध्यात्म, योग और सेवा का सम्मिलित मार्ग न केवल व्यक्ति को दीर्घायु बना सकता है, बल्कि उसे मानवता के लिए एक प्रकाशस्तंभ भी बना सकता है| उनकी शारीरिक विदाई भले हो गई हो, लेकिन उनके विचार, शिक्षाएं और जीवनशैली सदैव प्रेरणा देती रहेंगी।
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