नई दिल्ली: केन्द्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) के आदेश द्वारा एक आदेश जारी करके फिलहाल केन्द्रीय विद्यालयों में छात्रों को मिलने वाले प्रवेश में सांसदों के कोटे को फिलहाल रोक लगा दी है। अब तक लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों के सदस्य 10-10 छात्रों को प्रवेश दिला सकते थे। केन्द्रीय शिक्षा मंत्री के कोटे से देश भर में 450 छात्रों को प्रवेश मिलने की सुविधा थी।
केन्द्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) ने छात्रों के हित में एक बड़ा फैसला लेते हुए केन्द्रीय विद्यालयों में सांसदों के कोटे से होने वाले प्रवेश को आगामी आदेश तक रोक लगा दी है। सांसदों को कोटा पर रोक से अब नये सत्र में आठ हजार से अधिक छात्रों को योग्यता के आधार पर प्रवेश मिल सकेगा। माना जा रहा है कि सांसदों के कोटे को हमेशा के लिए समाप्त किया जा सकता है।
केवल केन्द्रीय विद्यालयों के प्रवेश के लिए था सांसद कोटा
वर्ष 1975 में तत्कालीन केन्द्र सरकार ने सांसदों को यह अधिकार दिया था कि हर सांसद अपने संसदीय क्षेत्र के अथवा किसी भी केन्द्रीय विद्यालय में अपने कोटे से 10-10 छात्रों को प्रवेश दिला सकता था। यह कोटे से प्रवेश की यह सुविधा केवल केन्द्रीय विद्यालयों के लिए थी। सांसदों को केन्द्रीय विश्वविदयालयों, नवोदय विद्यालयों, आईआईटी, आईआईएम आदि ने सांसदों का कोटा नहीं तो फिर केवल केन्द्रीय विद्यालयों में ही क्यों? ये केन्द्रीय विद्यालयों में प्रवेश पाने के योग्य छात्रों के साथ अन्याय ही था।
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संसद में उठी थी सांसद कोटा खत्म करने की मांग
पिछले संसद सत्र के दौरान सुशील कुमार मोदी, कांग्रेस नेता मनीष तिवारी और दूसरे कई सांसदों ने ही केन्द्रीय विद्यालयों में छात्रों के प्रवेश में दिये जाने वाले सांसद कोटे को खत्म करने की मांग की थी। सुशील कुमार मोदी ने तर्क देते हुए कहा था कि तमाम सांसद इसी कोटे की वजह से चुनाव हार जाते हैं। इसके लिए उन्होने पूरा वाकया संसद में बयां किया था।
हर साल प्रत्येक सांसद से हो जाते थे हजारों अभिभावक नाराज
सुशील मोदी का कहना था कि हर वर्ष हजारों अभिभावक बच्चों के प्रवेश के लिए पत्र लिखवाने अपने सांसद के पास जाते हैं, लेकिन सांसद मात्र 10 अभिभावकों के ही बच्चों को प्रवेश दिला पाता था। इससे पांच साल में कई हजार लोग सांसद से नाराज हो जाते थे। आम चुनाव आने पर वे सांसद के खिलाफ माहौल बनाकर उन्हें हराने के लिए सक्रिय हो जाते हैं।
सांसदों की इसी भावना को देखते हुए सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद केन्द्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) ने छात्रों के व्यापक हितों के लिए सांसदों के कोटे पर रोक लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा। सरकार इस कोटे को विधिवत रूप से स्थायी तौर पर खत्म करने के लिए निर्णय ले सकती है।