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India-America Tariff : भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की दिशा में बड़ा कदम, ट्रंप की पारस्परिक टैरिफ नीति से निपटने की तैयारी

India-America Tariff : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पारस्परिक टैरिफ नीति ने वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका बढ़ा दी है। भारत इस चुनौती से निपटने के लिए वाशिंगटन के साथ व्यापार समझौते के व्यापक ढांचे पर विचार कर रहा है, ताकि समाधान सौहार्दपूर्ण तरीके से निकाला जा सके। ट्रंप ने दो अप्रैल से उन व्यापारिक साझेदारों पर पारस्परिक शुल्क लगाने की घोषणा की है, जो अमेरिका से आयातित उत्पादों पर अधिक कर लगाते हैं। इस नीति के तहत भारत सहित कई देशों पर नए टैरिफ लागू होने की संभावना है, जिससे व्यापारिक संबंधों पर असर पड़ सकता है।

India-America Tariff : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पारस्परिक टैरिफ (Reciprocal Tariff) नीति के चलते वैश्विक व्यापार में उथल-पुथल मच गई है। भारत सहित कई देशों को अमेरिका द्वारा लगाए गए नए आयात शुल्क का सामना करना पड़ सकता है। भारत सरकार इस चुनौती का सौहार्दपूर्ण समाधान खोजने और अमेरिका के साथ एक व्यापक व्यापार समझौते पर काम कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच हुई बातचीत में इस मुद्दे पर गंभीर चर्चा हुई थी, और दोनों देश व्यापारिक संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की दिशा में काम कर रहे हैं।

ट्रंप की नई टैरिफ नीति और भारत पर असर

डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में घोषणा की कि अमेरिका उन देशों पर पारस्परिक शुल्क लगाएगा जो अमेरिकी उत्पादों पर अधिक टैक्स लगाते हैं। इस फैसले का असर भारत सहित यूरोपीय संघ, चीन और कनाडा पर भी पड़ सकता है। ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि अमेरिका के कई व्यापारिक साझेदार उसके उत्पादों पर ऊंचे शुल्क लगाते हैं, जिससे अमेरिकी कंपनियों को नुकसान होता है। इसी को ध्यान में रखते हुए अमेरिका ने 2 अप्रैल से पारस्परिक टैरिफ लगाने की घोषणा की है।

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भारत, जो पहले से ही अमेरिका के साथ व्यापार संतुलन बनाए रखने के प्रयास कर रहा है, अब इस नई नीति के प्रभाव का विश्लेषण कर रहा है। भारत को इस बात की चिंता है कि यदि अमेरिकी टैरिफ लागू हुए, तो इससे भारतीय निर्यातकों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, विशेष रूप से आईटी सेवाओं, फार्मास्यूटिकल्स, स्टील और एल्युमिनियम क्षेत्रों में।

भारत और अमेरिका के बीच संभावित व्यापार समझौता

अमेरिका भारत और के बीच व्यापार संतुलन को सुधारने के लिए एक व्यापक व्यापार समझौते पर बातचीत जारी है। फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच हुई बैठक में इस मुद्दे पर गहन चर्चा हुई थी। दोनों देशों ने इस साल के अंत तक एक व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने और 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है।

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संयुक्त बयान में कहा गया कि निष्पक्ष और पारदर्शी व्यापार शर्तें लागू करने की आवश्यकता है, ताकि दोनों देशों को समान व्यापार अवसर मिल सकें। भारत ने भी संकेत दिया है कि वह व्यापार असंतुलन को दूर करने के लिए नई रणनीतियों पर विचार कर रहा है।

India-America Tariff: Big step towards India-US trade agreement, preparation to deal with Trump’s reciprocal tariff policy for india america tariff

कैसे काम करता है टैरिफ वॉर?

टैरिफ वॉर (Tariff War) तब शुरू होता है जब एक देश अपने व्यापारिक साझेदारों के खिलाफ शुल्क बढ़ाने का फैसला करता है। इससे आयात महंगा हो जाता है और संबंधित देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है।

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टैरिफ क्या है?


यह एक प्रकार का आयात कर (Import Duty) होता है, जिसे सरकार विदेशी उत्पादों पर लागू करती है। इससे घरेलू उद्योग को संरक्षण मिलता है और सरकार को अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होता है।

अमेरिका में टैरिफ कैसे लागू होते हैं?


अमेरिका में 328 बंदरगाहों पर कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन एजेंट्स टैरिफ वसूलते हैं। यह शुल्क उत्पाद के प्रकार के अनुसार अलग-अलग होता है। उदाहरण के लिए:

पैसेंजर कारों पर 2.5% टैरिफ

गोल्फ शूज पर 6% टैरिफ

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कुछ अन्य उत्पादों पर 10% से अधिक शुल्क लगाया जाता है

अमेरिका उन देशों को टैरिफ में रियायत देता है, जिनके साथ उसका व्यापार समझौता होता है। यदि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता होता है, तो भारतीय उत्पादों पर लगने वाले अमेरिकी टैरिफ में कटौती की संभावना बन सकती है।

अमेरिका और अन्य देशों के बीच टैरिफ वॉर का प्रभाव

टैरिफ वॉर की शुरुआत चीन, मैक्सिको और कनाडा के उत्पादों पर अमेरिकी टैरिफ लागू करने से हो चुकी है। चीन और अमेरिका के बीच लंबे समय से व्यापार तनाव जारी है, और अगर यह और बढ़ता है, तो वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसका नकारात्मक असर पड़ सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भारत और अमेरिका इस मुद्दे पर समझौते तक नहीं पहुंचते, तो भारतीय निर्यातकों को अमेरिका में अपने उत्पाद बेचने में कठिनाई हो सकती है। अमेरिका भारत का एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार है, और दोनों देशों के बीच 2023-24 में कुल व्यापार 191 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है। ऐसे में, इस व्यापार समझौते की दिशा में सकारात्मक कदम उठाना दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है।

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भारत के लिए संभावित रणनीति

भारत इस चुनौती से निपटने के लिए निम्नलिखित कदम उठा सकता है:

  1. अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता तेज करना: भारत सरकार अमेरिकी अधिकारियों के साथ बातचीत कर रही है ताकि भारतीय उत्पादों पर लगाए जाने वाले अतिरिक्त शुल्क को कम किया जा सके।
  2. व्यापार विविधीकरण: भारत अपने निर्यात गंतव्यों में विविधता लाने के लिए यूरोप, दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका के बाजारों में अपनी उपस्थिति मजबूत कर सकता है।
  3. आत्मनिर्भर भारत अभियान: घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देकर विदेशी बाजारों पर निर्भरता कम करने की रणनीति अपनाई जा रही है।

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Written By। Mansi Negi । National Desk। Delhi

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