धरती आबा बिरसा मुंडा की मनाई जा रही पुण्यतिथि, जानिए उनकी शहादत के बारे में…
Birsa death Anniversary: धरती आबा या पृथ्वी पिता के रूप में जाने जाने वाले महान क्रांतिकारी बिरसा मुंडा ने आज के दिन ही आखिरी सांस ली थी। जिनकी पुण्यतिथि देश भर में मनाई जा रही है। इसी दिन इन्होनें सन 1900 में झारखंड की राजधानी रांची की जेल में बिरसा मुंडा ने अपनी अंतिम सांस ली। हर साल की भांति इस साल भी 9 जून को बिरसा मुंडा का शहादत दिवस मनाया जा रहा है। जिसके उपलक्ष्य में जगह जगह पर कार्यक्रम रखें गए हैं। 132वीं पुण्यतिथि पर लोग उन्हें सुबह से ही नमन कर श्रंद्धाजलि अर्पित कर रहें है।
तो वहीं राजधानी रांची में सीएम हेंमत सोरेन, राज्यपाल सीपी राधा कृष्णन , कृषि मंत्री बादल लेख, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा सहित कई मंत्रियों ने धरती आबा बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि पर उनकी प्रतिमा पर माल्यापर्ण किया। साथ ही साथ तमाम नेताओं ने ट्वीट किया है।
बिरसा मुंडा का अन्याय के खिलाफ कदम
झारखंड में भगवान की तरह पूजे जातें है। घर घर में इनकी प्रतिमा की पूजा होती है। बता दें कि झारखंड के लोग इन्हें भगवान की इस लिए पूजते है क्यों कि आदिवासियों के लिए इन्होने ब्रिटिशों से लोहा लिया। ब्रिटिश सरकार के द्वारा हड़पी गई जमीन को दिलाने के लिए बड़ा सहयोग किया था। उस दौरान आदिवासियों पर ब्रिटिश सरकार जमकर अत्याचार कर रही थी। भारतीय जमींदारों और जागीदारों का ब्रिटिश शाशकों के शोषण की भट्टी में आदिवासी समाज झोका जा रहा था। मुंड़ा हमेशा भारतीयों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए और उनके चंगुल से आदाजी दिलाने के लिए कठिन से कठिन जतन करने में लगे रहते थें।
ये था बिरसा मुंडा का बड़ा ऐलान
बेहद ही कम उम्र में बिरसा मुंडा की अग्रेजों के खिलाफ जंग छिड़ गई थी। जिसे उन्होंने ने मरते दम तक कायम रखा था। जिसके चलते उन्हें महान क्रांतिकारी के रूप में जाना जाता है।1895 में बिरसा मुंडा ने खुद इस बात का ऐलान किया था कि उन्हें धरती पर स्वंय भगवान ने नेक और समाज शुधार के लिए भेजा है। ताकि वो अत्याचारियों के खिलाफ के खिलाफ संघर्ष कर मुंडाओं को उनके जंगल जमीन वापस कराए थें। इन्होंने ने तमाम तरह के प्रयास किए।
बता दें कि 9 जून 1900 में 25 साल की उम्र ही मृत्यू हो गई थी। इनकी मौत की वजह ब्रिटिश सरकार ने हैजा हो जाने से बताया था। हालांकि उन्होंने बीमारी के कोई लक्षण नहीं दिखें थे।