Haryana Election Results: 5 अक्टूबर, 2024 को हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों को लेकर आए एग्जिट पोल्स में BJP को झटका लगता दिखाया गया। हरियाणा में कांग्रेस को सीटों में बढ़त मिली, लेकिन समय के साथ बीजेपी के पक्ष में पासा पलटने लगा। वोट प्रतिशत में भी BJP और Congress में कांटे की टक्कर रही। आधिकारिक नतीजे आना बाकी है।
मतदान केंद्रों पर अभी भी कुछ मतदाता पंक्तियों में खड़े हैं तो कुछ देर मतदान चलेंगे। आपको बता दें शाम 6.30 बजे से एग्जिट पोल के नतीजे बताना शुरू हो जाएगे।
हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों का आज ऐलान हो रहा है। चुनाव में बीते दस साल से हरियाणा की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला हुआ है। 90 सदस्यीय विधानसभा की ज्यादातर सीटों पर भाजपा और कांग्रेस कैंडिडेट आमने-सामने रहे हैं। एग्जिट पोल और चुनावी पंडितों की भविष्यणावियों को झुठलाते हुए बीजेपी राज्य में पूर्ण बहुमत हासिल करने की ओर बढ़ रही है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि बीजेपी ने बाजी को अपने पक्ष में कैसे किया।
हरियाणा की सामाजिक-आर्थिक संरचना को बनाने वाली 36 जातियां राज्य में चुनावों के दौरान चर्चा का विषय बनी रहती हैं। चुनावों में सभी पार्टियां जाति संबंधों पर भी निर्भर रही हैं। इस चुनाव की बात करें तो कांग्रेस मुख्य रूप से जाटों पर निर्भर दिखी, जो आबादी का करीब 22 फीसदी हिस्सा है। इसकी वजह किसान आंदोलन के बाद जाटों की भाजपा से नाराजगी भी रही। वहीं करीब 21 फीसदी दलित और अल्पसंख्यक वोटों (मुस्लिम और सिख) पर कांग्रेस की निगाह रही।
BJP ने सवर्ण, OBC को एकजुट कर पलटी बाजी
कांग्रेस जहां जाट-दलित समीकरण बनाती दिखी तो दूसरी ओर भाजपा ने गैर-जाटों, मुख्य रूप से अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को एकजुट करने पर ध्यान केंद्रित किया। हरियाणा में OBC की आबादी करीब 35 फीसदी है। BJP ने अपने परंपरागत सवर्ण वोट के साथ गैर जाट वोटों को साधा। साथ ही कई अभियान चलाकार अनुसूचित जाति तक भी पहुंचने की कोशिश की और कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया। इसने भाजपा को सीधा फायदा पहुंचाया और हरियाणा में हैट्रिक के करीब पहुंचा दिया।
हरियाणा में अगर कांग्रेस के अलावा दूसरे दलों की बात की जाए तो इनेलो-बसपा गठबंधन और जेजेपी-असपा गठबंधन भी मुकाबले में था। दोनों ही गठबंधन बहुत बड़ा फर्क पैदा करने में नाकाम रहे लेकिन ये भी दिलचस्प बात है कि ये दोनों ही गठबंधन दलित और जाटों के भरोसे थे। JJP और इनेलो जाटों पर तो असपा और बसपा दलितों पर निर्भर पार्टियां हैं। ऐसे में करीबी मुकाबलों वाली सीटों पर ये गठबंधन BJP के बजाय कांग्रेस के लिए ही नुकसानदेह साबित हुए। इससे कहीं ना कहीं BJP को फायदा हुआ और कांग्रेस को नुकसान हुआ।
BJP को मिल रहा है बहुमत
हरियाणा (HARYANA) में जीतने के लिए 45 सीटों की आवश्यकता है और BJP 49 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं। उसकी 40 से ज्यादा सीटों पर निर्णायक बढ़त है। ऐसे में ये साफ है कि हरियाणा में बीजेपी की सरकार बनना अब तकरीबन तय है। कांग्रेस को हरियाणा में 35 सीटों पर जीत मिल रही है। यानी वह बहुमत से 10 सीट दूर रह गई है।
हरियाणा में 2019 के चुनाव में 10 सीटें जीतने वाली जेजेपी इस बार जीरो पर सिमट गई है। वहीं हरियाण के दो पड़ोसी राज्यों में सरकार रखने वाली आम आदमी पार्टी भी हरियाणा में कोई सीट नहीं जीत सकी है। हरियाणा में भाजपा और कांग्रेस के बाद सबसे ज्यादा चार सीटों पर निर्दलीय आगे हैं। बसपा और इनेलो एक-एक सीट पर आगे हैं।