आगामी लोकसभा चुनाव के साथ ही कई राज्यों में होने वाले विधान सभा चुनाव में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए बसपा प्रमुख मायावती अब बड़े स्तर पर सक्रिय हो गई हैं। वे अपने ख़ास नेताओं के साथ लगातार बैठके भी कर रही है और हर राज्य के नेताओं से भी बात कर रही है। पिछले कुछ सालों में यूपी के अधिकतर चुनाव में असफल होने के बाद मायावती किसी भी सूरत में आगामी चुनाव में अपने प्रदर्शन को ठीक करना चाहती है। उन्होंने अपने पार्टी कोऑर्डिनेटर कहा है कि स्थानीय स्तर पर बेहतर और मजबूत नेताओं की खोज की जाए जिनका जमीनी आधार हो और जो ख़ास समुदाय में भी पकड़ रखते हैं।
बसपा प्रमुख ने लोकसभा चुनाव के लिए कई स्तर पर काम करना शुरू किया है।
उनकी पार्टी के लोग पहले राज्यों में पार्टी संगठन को मजबूत करने में जुट गए हैं। पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ लगातार बैठक की जा रही है। मायावती की कोशिश है कि पार्टी के भीतर वर्ग विशेष में अच्छा प्रभाव रखने वाले नेताओं को स्थानीय स्तर पर पहले डेवलप किया जाए यानी ऐसे नेता जो किसी भी ख़ास समुदाय से आते हैं और उनमे नेतृत्व करने की क्षमता है उन्हें तलाश करने के निर्देश जारी की गए हैं।
मायावती ने कहा है कि स्थानीय सम्मेलनों में इन नेताओं को बोलने के लिए मंच दिया जाए। साथ ही अगर वह कार्यक्रम या जनसभा करा सकते हैं तो उन्हें पार्टी में बड़ा पद देने की भी बात कही गई है। हर क्षेत्र से सभी धर्म वर्ग संप्रदाय के ऐसे नेताओं की तलाश करने की बात कही गई है। जानकारी के मुताबिक़ कई राज्यों में इस पर काम भी शुरू हो गया है। खबर के मुताबिक बसपा इस बार मध्यप्रदेश भी ताकत के साथ चुनाव लड़ने को तैयार है। मध्यप्रदेश में पहले विधान सभा चुनाव है और फिर लोकसभा चुनाव।
बसपा प्रमुख की नजर कई राज्यों में लोकसभा सीट जीतने पर लगी है।
बसपा की नजर यूपी पर कच्छ ज्यादा ही है। यह बात और है कि बसपा के अधिकतर नेता पार्टी छोड़ कर जा चुके हैं। कभी बसपा में बड़े -बड़े नेता थे। उनका अपना जनाधार भी था। लेकिन जैसे जैसे बीजेपी का उदय हुआ सबसे ज्यादा हानि बसपा को ही हुई है। लेकिन मायावती कहती है कि पार्टी में आना और जाना तो लगा रहता है। पार्टी किसी भी व्यक्ति से बड़ी होती है। हर समाज के युवा और आधार वाले नेताओं के साथ हम संगठन तैयार कर रहे हैं। इसका लाभ भी मिलेगा।
बसपा की सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि उसके दलित और मुस्लिम वोट भी अब दूसरी पार्टी की तरफ गए हैं। ब्राह्मण वोट भी बसपा से कटकर बीजेपी के साथ चूका है। ऐसे में मायावती फिर से दलित और मुस्लिम वोट बैंक को तैयार कर रही है। इसके साथ ही अन्य पिछड़े वर्गों में भी अपनी पहुँच बढ़ा रही है। कई राज्यों में और भी कई तरह का प्रयोग कर रही बसपा। लेकिन देखना है कि बसपा को इसका कितना लाभ मिल पाता है।