Court imposed penalty for negligence : बुलंदशहर: लापरवाही पर अदालत ने लगाया अर्थदंड, लंबित वादों की फाइलों में हलचल
Court imposed penalty for negligence: बुलंदशहर की एडीजे (चतुर्थ) अदालत ने लंबित मामलों में लापरवाही के कारण गुलावठी समेत छह थानों के चार इंस्पेक्टर, दो सब-इंस्पेक्टर और एक आरक्षी पर 99-99 रुपये का जुर्माना लगाया है। यह राशि वेतन से काटकर राजकोष में जमा होगी।
Court imposed penalty for negligence: बुलंदशहर की अदालत ने पुलिस अधिकारियों की लापरवाही पर कड़ा रुख अपनाते हुए गुलावठी सहित छह थानों के चार इंस्पेक्टर, दो सब-इंस्पेक्टर और एक आरक्षी पर 99-99 रुपये का आर्थिक दंड लगाया है। यह कार्रवाई अदालत में वर्षों से लंबित वादों में प्रभावी पैरवी न करने के कारण की गई। इस निर्णय से पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया है, और लंबित वादों को लेकर अधिकारियों की सक्रियता बढ़ गई है।
क्या है मामला?
बुलंदशहर की एडीजे (चतुर्थ) अदालत में 55/2011 राज्य बनाम हम्माद आदि केस में प्रभावी पैरवी न करने पर गुलावठी कोतवाली की प्रभारी निरीक्षक सुनीता मलिक सहित सात पुलिस अधिकारियों पर आर्थिक दंड लगाया गया। कोषागार को आदेश दिया गया कि यह राशि संबंधित अधिकारियों के वेतन से काटकर राजकोष में जमा की जाए।
गुलावठी कोतवाल सुनीता मलिक, जिनकी छवि एक सख्त और कानूनप्रिय अधिकारी की है, पर इस अर्थदंड का असर पड़ा है। वह क्षेत्र में लगातार गश्त कर अपराधों पर अंकुश लगाने के प्रयास कर रही हैं, लेकिन इस मामले में उनकी कोताही को अदालत ने नजरअंदाज नहीं किया।
कौन-कौन अधिकारी हुए दंडित?
अदालत ने बुलंदशहर शहर कोतवाली के निरीक्षक अनिल कुमार शाही पर दो अलग-अलग मामलों में 99-99 रुपये का दंड लगाया। ये मामले 1126/24 राज्य बनाम रिहान और 1688/22 राज्य बनाम हसन थे।
इसके अलावा अन्य थानों के अधिकारी जो दंडित हुए हैं:
औरंगाबाद थाना: एसआई नितिश भारद्वाज (1748/23 राज्य बनाम हिमांशु)
छतारी थाना: एसआई संदीप कुमार (1183/21 राज्य बनाम मनीष)
कोतवाली देहात: इंस्पेक्टर शैलेंद्र प्रताप और आरक्षी आदित्यराज सिंह (325/2014 राज्य बनाम आफाक)
अर्थदंड का महत्व
99 रुपये की यह राशि भले ही छोटी लगती हो, लेकिन इसका प्रशासनिक प्रभाव बड़ा है। किसी अधिकारी की सेवा पुस्तिका में अर्थदंड अंकित होने से उनकी छवि और करियर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह दंड एक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है कि लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
अधिकारियों में मची हलचल
इस कार्रवाई के बाद गुलावठी समेत अन्य थानों में लंबित वादों को लेकर तेजी देखी जा रही है। अधिकारी अब पुरानी फाइलों की छानबीन कर उन्हें सही करने और लंबित मामलों की जल्द पैरवी करने में जुट गए हैं।
सुनीता मलिक की छवि पर प्रभाव
गुलावठी की प्रभारी निरीक्षक सुनीता मलिक की अब तक की कार्यशैली क्षेत्र में सराही जाती रही है। उनकी गश्त और अपराधियों के खिलाफ सख्त रवैये से अपराधों में कमी आई है। हालांकि, अदालत द्वारा लगाया गया यह दंड उनकी छवि को प्रभावित कर सकता है।
क्या होगा आगे?
इस घटनाक्रम के बाद पुलिस विभाग पर अदालत का स्पष्ट संदेश गया है कि लंबित मामलों की अनदेखी स्वीकार्य नहीं होगी। यह घटना पुलिस अधिकारियों के लिए एक सबक है कि न्याय प्रक्रिया में लापरवाही को अदालत गंभीरता से लेती है।
निष्कर्ष
अर्थदंड की यह घटना पुलिस प्रशासन में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। जहां एक ओर यह जिम्मेदारी की याद दिलाती है, वहीं दूसरी ओर पुलिस विभाग को अपने कार्यों में पारदर्शिता और जिम्मेदारी का प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करती है। लंबित वादों की तेजी से निपटान से न्याय प्रक्रिया को बल मिलेगा, और यह घटना एक मिसाल के रूप में देखी जाएगी।