मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले कई दिन से चल रही भारी उठापटक के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बागी विधायक एकनाथ शिंदे और उनके सर्मथक विधायकों का एकता और एकजुटता के आगे अपनी हार मान ली है। उन्होने अभी तक भले ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया है, लेकिन वे खुद मान चुके हैं कि अब शिवसेना के अधिकांश विधायक बागी होकर एकनाथ शिंदे खेमे में हैं।
शिवसेना में हुई बड़ी फूट और सरकार बने रहने के लिए समर्थक विधायकों की आवश्यक संख्या न होने के कारण वे अब खुद को मुख्यमंत्री नहीं मान रहे और ऐसा इसलिए कहा जा सकता है, क्योंकि उन्हें खुद ही मुख्यमंत्री का सरकारी आवास छोड़ दिया और अपने निजी आवास मातोश्री चले गये हैं। हालांकि उद्धव ठाकरे के इस निर्णय से सरकार में उनके सहयोगी दल एनसीपी (राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी) प्रमुख शरद पवार खासे नाराज बताये गये हैं।
उद्धव ठाकरे इतने हताश व नाराज हैं, कि उनका आत्म विश्वास पूरी तरह से डगमगाया हुआ है। अब तक महाराष्ट्र सरकार में संकटमोचन की भूमिका निभाते आ रहे एनसीपी प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस नेता कमलनाथ के साथ खड़े होने और हर पूर्व की तरह सहयोग दिये जाने का आश्वासन भी कोई काम नहीं आया। सरकार बचने और पार्टी विधायको-नेताओं का फिर से उनके साथ एक मंच पर खड़ा होने की कोई उम्मीद न होने से ठाकरे को खुद की सत्ता, सरकारी आवास छोड़कर अपने निजी आवास पर जाना ही उचित समझा।
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इधर एकनाथ शिंदे का बागी शिवसेना विधायकों द्वारा विधायक दल का नेता मानने की घोषणा के बाद शिंदे के समर्थक विधायकों की संख्या बढती जा रही है। शिंदे का समर्थन में 37 से अधिक विधायक आने से अब उनके किसी दूसरे दल में शामिल होने दल बदल कानून के तहत कार्रवाई होने का डर भी नहीं रहा है। शिवसेना के तमाम सांसद भी शिंदे के साथ बताये जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में हर मोर्चे पर उद्धव ठाकरे को मुंह की खानी पड़ रही है।
माना जा रहा है कि एकनाथ शिंदे और समर्थक विधायक शिवसेना तो नहीं छोडेगें, लेकिन वे भाजपा के साथ मिलकर सरकार जरुर बना सकते हैं। भाजपा के साथ सरकार बनाये जाने की स्थिति में एकनाथ शिंदे का उपमुख्यमंत्री बनना तय है और उनके कई नजदीकियों को संख्या बल से हिसाब से मंत्री पद से भी नवाजा जाएगा।