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New CJI: CJI डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल हो रहा खत्म, कौन होंगे अगले चीफ जस्टिस?

CJI DY Chandrachud's tenure is ending, who will be the next Chief Justice?

New CJI: CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस संजीव खन्ना (Justice Sanjiv Khanna ) की सिफारिश की है। चंद्रचूड़ के रिटाय होने के बाद, जस्टिस खन्ना अगले सीजेआई के रूप में कार्यभार संभालेंगे। संजीव खन्ना का कार्यकाल मई 2025 तक रहेगा। जानिए उनके दिए गए महत्वपूर्ण फैसले कौन-कौन से हैं।

अगले महीने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) रिटायर हो रहे हैं। इस संबंध में उन्होंने केंद्र से सिफारिश की है कि सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे उम्रदराज सदस्य जस्टिस संजीव खन्ना को सीजेआई नियुक्त किया जाए।10 नवंबर को डीवाई चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पद से रिटायर हो रहे हैं। वरिष्ठता के आधार पर जस्टिस खन्ना उनकी जगह CJI का पद संभालेंगे। जस्टिस संजीव खन्ना के 13 मई, 2025 को अपनी रिटायरमेंट तक इस पद पर रहने की उम्मीद है। इस तरह सीजेआई के तौर पर उनका कार्यकाल लगभग छह महीने का होगा। जानिए कौन हैं जस्टिस संजीव खन्ना।

CJI चंद्रचूड़ ने की जस्टिस खन्ना के नाम सिफारिश

12 अक्टूबर को, केंद्र सरकार ने CJI चंद्रचूड़ को एक पत्र भेजा था, जिसमें उनसे अपने उत्तराधिकारी का नाम देने का अनुरोध किया गया था। डीवाई चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर, 2022 को मुख्य न्यायाधीर के रूप में पदभार संभाला था। परंपरा के अनुसार, कानून मंत्रालय CJI के रिटायरमेंट से लगभग एक महीने पहले उन्हें पत्र लिखता है, जिसमें उनके उत्तराधिकारी का नाम मांगा जाता है। इसके बाद वर्तमान CJI मंत्रालय को सिफारिश भेजते हुए अपना जवाब देते हैं। उम्मीद है कि सरकार जल्द ही न्यायमूर्ति खन्ना को भारत का अगला मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने संबंधी अधिसूचना जारी करेगी, जो वर्तमान मुख्य न्यायाधीश के सुझाव के अनुरूप 11 नवंबर से प्रभावी होगी।

इन क्षेत्रों में प्रैक्टिस का अनुभव

संवैधानिक कानून, मध्यस्थता, व्यापार कानून, निगम कानून और आपराधिक कानून उन कई क्षेत्रों में से थे जिनमें जस्टिस संजीव खन्ना ने काम किया। उन्होंने आयकर विभाग के वरिष्ठ स्थायी वकील के तौर पर काम किया। बाद में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए स्थायी वकील (सिविल) के रूप में जिम्मेदारी को संभाला। उनकी विशेषज्ञता आपराधिक कानून में भी खास थी। उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में एडिशनल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर के तौर परकई मामलों में बहस की। अक्सर महत्वपूर्ण मामलों में दिल्ली हाईकोर्ट की सहायता के लिए एमिकस क्यूरी के रूप में कार्य किया।

दिल्ली हाईकोर्ट में संभाली अहम जिम्मेदारी

जस्टिस खन्ना (Justice khanna) को 2005 में दिल्ली हाईकोर्ट (delhi highcourt) के एडिशनल जज के रूप में पदोन्नत किया गया था। 2006 में वह स्थायी न्यायाधीश बन गए। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने दिल्ली न्यायिक अकादमी, दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र और जिला न्यायालय मध्यस्थता केंद्रों में भी योगदान दिया। जस्टिस खन्ना का करियर तेजी से आगे बढ़ता रहा। उन्होंने जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में अपनी नियुक्ति से पहले किसी भी हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस के रूप में कार्य नहीं किया।

इन अहम फैसलों में शामिल रहे justice khanna

सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में जस्टिस खन्ना ने ऐतिहासिक योगदान दिया है। विशेष रूप से, उन्होंने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी, जिससे उन्हें लोकसभा चुनावों के दौरान प्रचार करने की अनुमति मिली। इसमें उन्होंने लोकतांत्रिक भागीदारी के महत्व को रेखांकित किया गया। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से जुड़े एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पीएमएलए मामलों में देरी होने पर ये जमानत का वैध आधार हो सकती है। महत्वपूर्ण जनहित के मुद्दों पर न्यायमूर्ति खन्ना का निरंतर प्रभाव इस तथ्य से प्रदर्शित होता है कि वह वर्तमान में एक ऐसी पीठ का नेतृत्व कर रहे हैं जो विभिन्न पीएमएलए प्रावधानों की जांच कर रही है।

ईवीएम-VVPAT से जुड़े मामले में सुनाया अहम फैसला

जस्टिस खन्ना ने उस बेंच का भी नेतृत्व किया जिसने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में डाले गए वोटों के 100% वीवीपैट सत्यापन के अनुरोध को अस्वीकार किया था। चुनावों की अखंडता और सटीकता की गारंटी देने के लिए भारत के चुनाव आयोग द्वारा किए गए कार्यों को अप्रैल 2024 के फैसले में मान्यता दी गई थी।

चुनावी बॉन्ड, आर्टिकल 370 फैसले वाली बेंच में भी थे शामिल

जस्टिस खन्ना पांच-न्यायाधीशों वाली उस पीठ में भी शामिल थे, जिसने इस साल की शुरुआत में चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित कर दिया था। पांच न्यायाधीशों के पैनल ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का समर्थन किया था, जिसने पाया था कि यह अनुच्छेद भारत की संघीय प्रणाली की एक विशिष्ट विशेषता है, जिसमें न्यायमूर्ति खन्ना भी शामिल थे।हालांकि, जम्मू और कश्मीर के लिए संप्रभुता का संकेत नहीं देता है। कानून के विभिन्न क्षेत्रों में एक समृद्ध पृष्ठभूमि और न्यायिक सेवा के प्रति समर्पण के साथ, जस्टिस खन्ना 13 मई, 2025 को रिटायर होंगे।

Written By । Prachi Chaudhary । Nationa Desk । Delhi

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