CM Yogi News: यूपी में खाद की किल्लत से बेहाल किसान, संकट के बीच CM योगी ने बोली बड़ी बात…
यूपी में खाद की किल्लत से बेहाल किसान, संकट के बीच CM योगी ने बोली बड़ी बात…
CM Yogi News: बलिया में कई जगहों पर खाद संकट की वजह से बुआई का काम ठप हो गया है। कानपुर देहात में किसान रात से ही खाद पाने के लिए लाइन में लग रहे हैं। इनमें से बहुत किसानों को मायूस लौटना पड़ रहा है। कई जिलों में किसान खाद संकट की वजह से धरना और प्रदर्शन भी कर रहे हैं।
आपको बता दें लखनऊ, कानपुर, बलिया, बाराबंकी और फिरोजाबाद समेत उत्तर प्रदेश के कई जिलों में खाद की कमी से किसान परेशान हैं। सुबह-सुबह किसान खाद पाने के लिए सहकारी समिति केंद्रों पर लाइन में लग जाते हैं। कई बार ऐसा होता है कि उन्हें देर शाम तक भी नहीं खाद नहीं मिल पाता है। खाद की बोरियां कम हैं और किसान बहुत ज्यादा।
खाद संकट से परेशान होकर किसान जगह-जगह धरना-प्रदर्शन भी कर रहे हैं। खाद से जुड़ी समस्याओं के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगे आकर मोर्चा संभाला है। उन्होंने प्रदेश में खाद की उपलब्धता को लेकर उच्च स्तरीय बैठक की। मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि राज्य में किसानों को पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएं।
केंद्र सरकार से समन्वय बनाने का निर्देश
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि निजी क्षेत्र से प्राप्त हो रहे उर्वरक को सहकारी समितियों और अन्य सरकारी माध्यमों से किसानों तक पहुंचाया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि निजी कंपनियों से मिलने वाली खाद को उचित मूल्य पर किसानों को उपलब्ध कराना आवश्यक है ताकि उनकी फसल उत्पादन प्रक्रिया में कोई बाधा न आए। सीएम ने अधिकारियों से कहा कि वे केंद्र सरकार के साथ प्रभावी समन्वय स्थापित करें और आवश्यकतानुसार उर्वरक की आपूर्ति सुनिश्चित करें।
सीएम योगी ने निर्देश दिया कि खाद वितरण स्थलों पर किसानों को आवश्यक बुनियादी सुविधाएं दी जाएं। उनके अनुसार, किसानों को खाद वितरण के दौरान लाइन, पानी की व्यवस्था, छाया और आराम करने की जगह जैसी सुविधाएं मिलनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से अनुरोध किया कि वे सुनिश्चित करें कि वितरण स्थलों पर कोई अव्यवस्था न हो और व्यवस्था बनी रहे। साथ ही, उन्होंने किसानों के हितों की रक्षा करते हुए खुली प्रक्रिया लागू करने के महत्व पर जोर दिया।
वितरण प्रक्रिया पर नजर बनाएं अफसरों की टीम’
मुख्यमंत्री ने खाद वितरण प्रक्रिया की निगरानी के लिए एक विशेष तंत्र की स्थापना का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर अधिकारियों की एक टीम बनाई जाए जो वितरण प्रक्रिया पर नजर रखे और नियमित रूप से रिपोर्ट प्रस्तुत करे। इस तंत्र के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि खाद की कालाबाजारी या जमाखोरी न हो। मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी कि ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
आलू की बोआई का सीजन
आपको बता दे कि खाद का संकट पूरे राज्य को प्रभावित करता है, सिर्फ़ एक शहर या इलाके को नहीं। इस मौसम में रबी की बुआई अपने चरम पर होती है। किसानों के लिए खाद एक बड़ी चिंता का विषय है। वे रात-रात भर कतारों में खड़े रहते हैं, लेकिन उन्हें खाद नहीं मिल पाती। यह स्थिति तब है जब अक्टूबर से बुआई शुरू हो चुकी है।
अगेती आलू की बुआई सबसे पहले सितंबर में होती है, जबकि बाद में अक्टूबर में देर से आने वाले आलू की बुआई होती है। अब तक सिर्फ़ आलू उगाने वाले किसान ही चिंतित थे, लेकिन नवंबर आ गया है। इसके अलावा, यह आलू, सरसों और गेहूं की बुआई का समय है। खाद की ज़रूरत तो सभी को है, लेकिन जितनी खाद की ज़रूरत है, उतनी उन्हें नहीं मिल पा रही है। इसकी वजह यह है कि ज़रूरत के हिसाब से खाद नहीं मिल पा रही है।
बलिया में बुआई का काम पड़ा ठप्प
वहीं, इसके अलावा बलिया के किसानों को खेतों में रोपाई के लिए खाद नहीं मिल पा रही है। भरखरा गांव के किसान अशोक मिश्रा ने खाद की कमी को लेकर अपनी चिंता जाहिर की। किसान अशोक मिश्रा के मुताबिक, हमारे पास बीज तो किसी तरह से आ गया है, लेकिन खाद नहीं मिल पा रही है।
पूरे जिले में खाद कहीं भी नहीं मिल रही है। किसान पहले से ही बुआई के लिए परेशान हैं और प्राइवेट दुकानदार पैसों में मनमानी कर रहे हैं। खाद नहीं होने की वजह से खेतों में बुआई का काम ठप्प पड़ गया है।
घंटों लाइन में खड़े रहते हैं किसान
इसी तरह, कानपुर में खाद की कमी के चलते किसानों के सामने समस्या खड़ी हो गई है। खाद पाने के लिए किसान घंटों लंबी लाइनों में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन, घंटों लाइन में लगने के बाद भी उन्हें खाद नहीं मिल रही है। कानपुर ग्रामीण की कई सहकारी समितियों पर खाद न मिलने से किसान परेशान हैं।
हालांकि, संबंधित अधिकारियों का कहना है कि खाद की आपूर्ति सीमित नहीं है। किसानों को खाद मिल रही है। लेकिन किसानों की यह लंबी लाइन व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रही है।