Lok Sabha Election Update: कांग्रेसी ‘राजकुमार’ के सामने ‘किला’ बचाने की चुनौती! अखिलेश का ‘हाथ’ को पूरा साथ, बन जाएगी बात?
Lok Sabha Election Update: हिंदुस्तान की सियासत में एक दौर हुआ करता था। जब देश में कांग्रेस एकतरफा राज करती थी। हर सीट पर जीत तय होती थी। ये सिलसिला कई सालों तक चला। लेकिन फिर एक दिन नरेंद्र मोदी नाम का तूफान 2014 में प्रधानमंत्री बनता है। ये तूफान कांग्रेस की नैया को डूबाने के लिए ही आता है। कांग्रेस के आज सभी किले ढह चुके हैं। भारतीय जनता पार्टी का झंडा आज वहां पर जीत की पताखा फहरा रहा है। बस एक किला है जिसका नाम है रायबरेली। रायबरेली से पिछली बार सोनिया गांधी ने जीत हासिल की थी। लेकिन इस बार मोर्चा संभाले हुए हैं सोनिया गांधी के लाल राहुल गांधी।
राहुल गांधी किले को फतह करने के लिए हर दांव चल रहे हैं। प्रियंका राहुल ने अमेठी और रायबरेली में डेरा डाला हुआ है। इसी कड़ी में गांधी परिवार ने एक 6 मिनट 14 सेकेंड का वो वीडियो जारी किया है। जिसमें गांधी परिवार की वो भावुक यादें हैं। जो देश की जनता के साथ-साथ। रायबरेली और अमेठी की जनता तक भी पहुंच रखती है। राहुल गांधी भले रायबरेली से मैदान में हैं। वीडियो में परिवार की पुरानी तस्वीरों के जरिए बता रहे हैं। कि कैसे अमेठी से उनका गहरा रिश्ता है।
मां सोनिया गांधी भी रायबरेली और अमेठी को याद करती हैं। गांधी परिवार और खुद के उस रिश्तों की कसक बतलाती हैं। पुरानी और धुंधली तस्वीरों के जरिए राहुल अपने पिता राजीव गांधी और अमेठी के रिश्ते का पुराना पन्ना याद करवाते हैं। भावुकता, इमोशन, ये वो ट्रंप कार्ड है। जिसे कांग्रेस पार्टी 24 के चुनाव में रायबरेली और अमेठी सीट के लिए इस्तेमाल कर रही है।
दूसरी तरफ प्रियंका गांधी ने अमेठी का गढ़ बचाने के लिए उसे अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ दिया है। खुद प्रियंका ने भाई राहुल और सलाहकार केएल शर्मा की जीत पक्की करने के लिए अमेठी-रायबरेली में डेरा डाल रखा है। लोगों से अपनी भावनात्मक रिश्ता जोड़ते हुए, पिता को याद करके सभाएं कर रही हैं।
प्रियंका की जिद्द ऐसी कि सिर्फ एक दिन में 7 जनसभाएं करके प्रचंड गर्मी में पसीना बहा रही हैं। कांग्रेस की मेहनत का साफ असर बीजेपी पर भी दिख रहा है। शायद बीजेपी को भी ये अहसास है, कि अमेठी की जंग इतनी आसां नहीं। अमेठी में बीजेपी के मंगल के लिए बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और सीएम योगी भी पसीना बहा रहे हैं।
दरअसल आपको बता दें कि साल 2014 में स्मृति ईरानी राहुल गांधी से हार गईं थीं। तो 2019 में स्मृति ईरानी महज 55 हजार वोटों से जीतीं थी। 24 के चुनाव में हर फेज में वोटों का गिरता प्रतिशत भी बीजेपी के लिए एक बड़ा संकट है। अगर ऐसे ही वोटों का प्रतिशत गिरता रहा। तो अमेठी में बीजेपी के लिए संकट हो सकता है।
उधर, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को साफ निर्देश दे चुके हैं कि ऐसे लड़ें जैसे कि आपकी अपनी पार्टी मैदान में है। जिसका असर भी दिख रहा है और अमेठी-रायबरेली की रैलियों में लाल टोपी वालों की मौजूदगी है। अब सवाल ये है कि क्या केएल शर्मा गांधी परिवार के लिए अमेठी को बचा कर रख पाएंगे? खासकर तब जब पिछले कई चुनावों में कांग्रेस का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है।