देहरादून। उत्तराखंड की धामी सरकार ने जबरन धर्मांतरण के मामले में सख्त कदम उठाया है। राज्य में जबरन धर्मांतरण को संज्ञेय व गैर जमानती अपराध होगा। वहीं अब स्वेच्छा से धर्मांतरण करने पर भी डीएम के पास अर्जी देनी होगी । अर्जी क देने के बाद धर्मांतरण करने वाले को 21 दिन के अंदर जिलाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत होना होगा।
इस संबंध में उत्तराखंड की धामी सरकार ने सदन में उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक रखा है। इसके लागू होने से जहां जबरन धर्मांतरण के मामले में दोषी व्यक्ति को अधिकतम 10 साल की सजा होगी। साथ ही 50 हजार के जुर्माना लगाया जाएगा। वहीं पीड़ित को कोर्ट के माध्यम से 5 लाख रुपये का प्रतिपूर्ति भी देने का प्रावधान होगा।
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस संबंध में संशोधित विधेयक में सामूहिक जबरन धर्मांतरण का अपराध सिद्ध होने पर 10 साल का कारोवास और 50 हजार के जुर्माने की सजा होगी। एकल जबरन धर्मांतरण मामले में दोषी व्यक्ति को 2 से 7 साल की सजा व 25 हजार का जुर्माने की सजा हो सकेगी।