Himachal Weather: दरकते पहाड़ और उफनती नदियां हिमाचल में कुदरत ने दिखाया अपना सबसे खौफनाक रूप।
हिमाचल प्रदेश, जो अपनी खूबसूरत वादियों और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है, इन दिनों प्रकृति के रौद्र रूप का सामना कर रहा है। मानसून की भारी बारिश ने राज्य के कई हिस्सों में तबाही मचा दी है। पहाड़ दरक रहे हैं, नदियां उफान पर हैं और बाढ़ ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है।
Himachal Weather: हिमाचल प्रदेश, जो अपनी खूबसूरत वादियों और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है, इन दिनों प्रकृति के रौद्र रूप का सामना कर रहा है। मानसून की भारी बारिश ने राज्य के कई हिस्सों में तबाही मचा दी है। पहाड़ दरक रहे हैं, नदियां उफान पर हैं और बाढ़ ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है।
भूस्खलन और दरकते पहाड़
लगातार हो रही मूसलधार बारिश के कारण राज्य के अनेक क्षेत्रों में भूस्खलन की घटनाएं सामने आई हैं। शिमला, मंडी, कुल्लू और चंबा जैसे जिलों में सड़कों पर मलबा गिरने से यातायात बाधित हो गया है। कई गांवों का संपर्क मुख्य सड़कों से कट गया है। पहाड़ियों से गिरते पत्थरों और मलबे के कारण दुर्घटनाओं का खतरा लगातार बना हुआ है।
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बाढ़ का बढ़ता कहर
भारी वर्षा के चलते व्यास, सतलुज और ब्यास नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ा है। नदियों के किनारे बसे गांवों और कस्बों में पानी घुसने की खबरें आई हैं। खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो गई हैं, तो वहीं कई मकानों में पानी भरने से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ी है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य जारी हैं, लेकिन खराब मौसम से रेस्क्यू ऑपरेशंस में कठिनाई आ रही है।
सड़कें और यातायात प्रभावित
हिमाचल की कई प्रमु सड़कों पर भूस्खलन और बाढ़ के कारण आवाजाही बंद हो गई है। राष्ट्रीय राजमार्ग 3 और 5 पर जगह-जगह मलबा जमा हो गया है। पर्यटकों को सुरक्षित स्थानों पर रुकने की सलाह दी गई है, जबकि स्थानीय प्रशासन लगातार मॉनिटरिंग कर रहा है। कई पर्यटक अब भी रास्तों में फंसे हुए हैं, जिन्हें निकालने के प्रयास चल रहे हैं।
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प्रशासन की तैयारी और अलर्ट
हिमाचल प्रदेश आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (HPDMA) ने लोगों से अपील की है कि वे अनावश्यक यात्रा से बचें और पहाड़ी इलाकों में न जाएं। मौसम विभाग ने अगले 48 घंटों के लिए भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है। स्कूल और कॉलेजों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। सेना और NDRF की टीमें राहत कार्य में जुटी हैं।
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स्थानीय लोगों की चिंता
ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए यह मौसम हर साल एक चुनौती बनकर आता है, लेकिन इस बार हालात ज्यादा भयावह हैं। कई लोगों के घर तबाह हो चुके हैं, मवेशी बह गए हैं और फसलों का भारी नुकसान हुआ है। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्राकृतिक आपदाओं की तीव्रता अब पहले से कहीं ज्यादा हो गई है।
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
विशेषज्ञ मानते हैं कि हिमालयी क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन का असर साफ नजर आ रहा है। असामान्य बारिश, अचानक बाढ़ और भूस्खलन जैसी घटनाएं इसी का परिणाम हैं। इन क्षेत्रों में पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने के लिए स्थायी और दीर्घकालिक समाधान की जरूरत है।
हिमाचल प्रदेश इस समय एक गंभीर प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है। प्रशासन, बचाव दल और आम नागरिक सभी मिलकर इस संकट से निपटने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन यह समय केवल राहत का नहीं, चेतावनी का भी है — हमें प्रकृति के संकेतों को समझना होगा और विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को भी प्राथमिकता देनी होगी।
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