CG News: शहर की सड़कों पर पसरा अंधेरा, बंद पड़ी स्ट्रीट लाइटों से बढ़ा खतरा!
छत्तीसगढ़ के कई शहरों में इन दिनों एक आम समस्या सामने आ रही है—सड़क किनारे लगी स्ट्रीट लाइट्स का बंद होना। जैसे ही शाम ढलती है, मुख्य मार्ग और कॉलोनियां अंधेरे में डूब जाती हैं,
CG News: छत्तीसगढ़ के कई शहरों में इन दिनों एक आम समस्या सामने आ रही है—सड़क किनारे लगी स्ट्रीट लाइट्स का बंद होना। जैसे ही शाम ढलती है, मुख्य मार्ग और कॉलोनियां अंधेरे में डूब जाती हैं, जिससे न सिर्फ राहगीरों को परेशानी होती है बल्कि दुर्घटनाओं और आपराधिक घटनाओं का खतरा भी बढ़ जाता है।
मुख्य मार्गों पर पसरा अंधेरा
रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, राजनांदगांव जैसे बड़े शहरों में कई जगहों पर महीनों से स्ट्रीट लाइटें खराब पड़ी हैं। कुछ स्थानों पर खंभों पर लाइटें हैं ही नहीं, तो कुछ जगहों पर लाइटें हैं लेकिन जलती ही नहीं हैं। नतीजा ये है कि जैसे ही शाम होती है, लोग मोबाइल की टॉर्च या दुकानों की रोशनी के सहारे चलने को मजबूर हो जाते हैं।
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बढ़ रहा है हादसों और अपराध का खतरा
स्ट्रीट लाइटें बंद होने से सड़क हादसों की आशंका बढ़ गई है, खासकर उन इलाकों में जहां स्कूल, कॉलेज या अस्पताल जैसे महत्वपूर्ण संस्थान हैं। वहीं, अंधेरे का फायदा उठाकर अपराधी भी सक्रिय हो रहे हैं। छेड़छाड़, स्नैचिंग और चोरी की घटनाएं उन इलाकों में ज़्यादा हो रही हैं जहां स्ट्रीट लाइटें बंद हैं।
स्थानीय लोगों की शिकायत, लेकिन नहीं सुनवाई
स्थानीय निवासियों ने कई बार नगर निगम, बिजली विभाग और पार्षदों को शिकायत की, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। कुछ जगहों पर लाइटें ठीक करने का वादा तो किया गया, लेकिन हफ्तों बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है।
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प्रशासन की उदासीनता
इस गंभीर समस्या को लेकर प्रशासन की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है। क्या बजट की कमी है या कार्यशैली में लापरवाही? नगर निगम के अधिकारी अक्सर टेंडर प्रक्रिया, मेंटेनेंस स्टाफ की कमी और तकनीकी कारणों को वजह बताते हैं, लेकिन आम जनता को राहत कब मिलेगी, इसका जवाब किसी के पास नहीं।
क्या है समाधान?
स्ट्रीट लाइटों का समयबद्ध निरीक्षण और खराब लाइटों की जल्द मरम्मत
स्मार्ट स्ट्रीट लाइट सिस्टम का विस्तार
लोकल वॉर्ड स्तर पर निगरानी कमेटी का गठन
लोगों से ऑनलाइन शिकायत व्यवस्था को सक्रिय करना
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स्ट्रीट लाइटें सिर्फ रोशनी का साधन नहीं, बल्कि सुरक्षा और सुविधा का अहम हिस्सा हैं। अगर प्रशासन जल्द ध्यान नहीं देता, तो आने वाले दिनों में यह समस्या एक बड़े जनआंदोलन का कारण बन सकती है। जनता को चाहिए कि वे संगठित होकर अपनी आवाज़ उठाएं और अंधेरे में डूबे शहर को फिर से रोशन करें।
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