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Chardham Pilgrimage Deaths: चारधाम यात्रा में बढ़ रही मृत्यु दर, श्रद्धालुओं के लिए सतर्कता अनिवार्य

चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की अचानक हो रही मौतें गंभीर चिंता का विषय हैं। जानिए डॉक्टरों और विशेषज्ञों की राय, सुरक्षित यात्रा के उपाय और सरकार की तैयारियां।

Chardham Pilgrimage Deaths: उत्तराखंड की चारधाम यात्रा भारत की सबसे पवित्र यात्राओं में से एक मानी जाती है, जिसमें हर साल लाखों श्रद्धालु केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इस वर्ष यात्रा की शुरुआत 28 अप्रैल से हुई और अब तक के रिकॉर्ड के अनुसार केवल 27 दिनों में ही 37 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है। यह आंकड़ा न केवल चौंकाने वाला है बल्कि चिंता का विषय भी बन गया है।

कठिन यात्रा मार्ग और स्वास्थ्य चुनौतियां

चारधाम यात्रा विशेषकर केदारनाथ और यमुनोत्री के लिए कठिन पैदल यात्रा का मार्ग है। केदारनाथ धाम तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को करीब 18 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है, जो विशेषकर बुजुर्ग और हृदय संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए खतरनाक हो सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, अधिकतर मौतें दिल की धड़कन रुकने, सांस लेने में परेशानी और रक्तचाप की समस्याओं के चलते हुई हैं।

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अन्य ऊंचाई वाले स्थलों की तुलना

यदि हम हेमकुंड साहिब, लेह-लद्दाख, तवांग या काज़ा जैसे अन्य ऊंचाई वाले पर्यटन स्थलों की बात करें, तो वहां इतनी बड़ी संख्या में मौतें दर्ज नहीं होतीं। जबकि वहां की ऊंचाई चारधाम से भी अधिक है। इसका कारण बेहतर बुनियादी सुविधाएं, बेहतर तैयारी और चिकित्सा सहायता का समय पर उपलब्ध होना है।

चिकित्सकों की राय: फिटनेस और पूर्व तैयारी ज़रूरी

वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. केके त्रिपाठी का कहना है कि श्रद्धालुओं को यात्रा से पहले अपने स्वास्थ्य की संपूर्ण जांच अवश्य करानी चाहिए। जिन लोगों को सांस लेने में दिक्कत, उच्च रक्तचाप या दिल की कोई पुरानी बीमारी है, उन्हें यात्रा के लिए सावधानी बरतनी चाहिए। इसके अलावा डॉक्टर ने सलाह दी कि पहाड़ों पर जाने से पहले नियमित पैदल चलना, व्यायाम करना और सीढ़ियों पर चढ़ना जैसी आदतें अपनानी चाहिए ताकि शरीर ऊंचाई को सहन करने में सक्षम हो सके।

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पर्वतारोही की सलाह: अचानक न करें कठिन चढ़ाई

पर्वतारोही शीतल राज के अनुसार, 3000 से 4000 मीटर की ऊंचाई पर चढ़ना आसान नहीं होता और यह कार्य पर्वतारोहियों के लिए भी महीनों की तैयारी का परिणाम होता है। उन्होंने कहा कि श्रद्धालु अक्सर यह सोचकर यात्रा शुरू करते हैं कि वे आसानी से पहुंच जाएंगे, जबकि वास्तविकता में शरीर को ऊंचाई के अनुसार ढलने के लिए समय चाहिए होता है।

सरकारी प्रयास और जरूरी चेतावनियां

राज्य सरकार द्वारा यात्रा के लिए पंजीकरण अनिवार्य किया गया है और स्वास्थ्य जांच शिविर, एंबुलेंस, आपदा राहत दल जैसी व्यवस्थाएं भी की गई हैं। फिर भी, जिन श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य स्थिति ठीक नहीं होती, वे बिना तैयारी यात्रा पर निकल पड़ते हैं, जिससे कई बार उनकी जान भी चली जाती है।

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यात्रा की सफलता सुरक्षा और सतर्कता पर निर्भर

चारधाम यात्रा श्रद्धा का प्रतीक है, लेकिन सुरक्षा और स्वास्थ्य से जुड़ी सावधानियों को नजरअंदाज करना घातक हो सकता है। सभी श्रद्धालुओं को यात्रा पर निकलने से पहले चिकित्सकीय परामर्श अवश्य लेना चाहिए और पूरी तैयारी के साथ ही यात्रा आरंभ करनी चाहिए, ताकि यात्रा सुखद और सुरक्षित रहे।

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