Delhi High Court Judge: संसदीय समिति की बैठक, जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की तैयारी
कर्मचारी, जन शिकायतें, कानून और न्याय संबंधी मामलों की संसदीय स्थायी समिति मंगलवार को एक महत्वपूर्ण बैठक में उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के लिए आचार संहिता बनाए जाने पर विचार करेगी। बैठक में न्यायाधीशों के सेवानिवृत्ति के बाद के कार्यों पर भी चर्चा की जाएगी।
Delhi High Court Judge: कर्मचारी, जन शिकायतें, कानून और न्याय संबंधी मामलों की संसदीय स्थायी समिति मंगलवार को एक महत्वपूर्ण बैठक में उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के लिए आचार संहिता बनाए जाने पर विचार करेगी। बैठक में न्यायाधीशों के सेवानिवृत्ति के बाद के कार्यों पर भी चर्चा की जाएगी।
जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ कार्रवाई की संभावना
दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा पर उनके आवास से बिना हिसाब-किताब के नकद बरामदगी को लेकर निगरानी रखी जा रही है। इस पृष्ठभूमि में सरकार उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है। आरोपों से इनकार करने के बावजूद, उन्हें उनके मूल न्यायालय इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया है।
समिति की बैठक में क्या होगा चर्चा का विषय
समिति सचिवालय द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि बैठक में न्याय मंत्रालय के सचिव से ‘न्यायिक प्रक्रियाएं और उनके सुधार’ विषय पर सुनवाई की जाएगी। इसमें न्यायाधीशों के लिए आचार संहिता और उनकी सेवानिवृत्ति के बाद के कार्यों को उठाने के मुद्दे शामिल होंगे।
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समिति में शामिल प्रमुख सदस्य
इस समिति की अध्यक्षता बीजेपी सांसद ब्रिजलाल कर रहे हैं। इसके अन्य प्रमुख सदस्यों में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और राज्यसभा में नामित सांसद रंजन गोगोई, पूर्व कानून राज्य मंत्री पी.पी. चौधरी, तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुखेंदु शेखर राय और कल्याण बनर्जी, कांग्रेस के विवेक टंका, और डीएमके के सांसद के.पी. विल्सन तथा ए. राजा शामिल हैं।
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जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ भी महाभियोग प्रस्ताव की तैयारी
विपक्ष पहले ही इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ कथित नफरत भरे भाषण को लेकर महाभियोग का नोटिस दे चुका है। राज्यसभा सचिवालय उन सांसदों के हस्ताक्षरों की पुष्टि कर रहा है जिन्होंने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं।
यह घटनाक्रम भारतीय न्यायपालिका की जवाबदेही और पारदर्शिता पर महत्वपूर्ण बहस की ओर संकेत करता है। न्यायाधीशों के आचरण और सेवानिवृत्ति के बाद की भूमिकाओं पर स्पष्ट दिशा-निर्देश बनाए जाने की आवश्यकता पर संसद गंभीरता से विचार कर रही है।
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