दिल्ली पब्लिक स्कूल, बिजनौर में मनाया विजय की प्रेरणा संस्कृति का महापर्व दशहरा
Up Bijnor News: दिल्ली पब्लिक स्कूल,बिजनौर में 10 अक्टूबर 2024 को दशहरा के भव्य समारोह का आयोजन किया गया। इस विशेष अवसर पर विद्यालय के विद्यार्थियों,शिक्षको ने मिलकर एक अद्वितीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया,जिसमें भारतीय संस्कृति और परंपराओं का अद्भुत प्रदर्शन किया गया।दशहरे का त्योहार भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण और धार्मिक त्योहार है।इस पर्व को असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है।डी पी एस स्कूल प्रांगण में इस पर्व को एक उत्सव के रूप में मनाया गया।विद्यार्थियों ने विभिन्न आयोजनों में अपनी कौशल क्षमताओं का प्रदर्शन किया।संगीत एवं नृत्य के विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए। खास पेशकश बच्चों द्वारा एक विशेष नृत्य नाटिका का मंच प्रस्तुति थी।
कार्यक्रम की शुरुआत राम स्तुति से हुई,जिसमें कक्षा 4 के छात्रों ने अपनी मधुर आवाज में भक्ति गीत गाए।छात्रों ने अपने प्रदर्शन से सभी का दिल जीत लिया।
इसके बाद,छात्रों ने सीता हरण और राम-रावण युद्ध पर आधारित एक नाटक प्रस्तुत किया।इस नाटक में न केवल अभिनय बल्कि नृत्य प्रदर्शन भी शामिल था। प्रमुख पात्रों में कक्षा चार के विद्यार्थियों ने क्रमश:राम की भूमिका शिवांश निरवाल,सीता की भूमिका मे शिवांगी त्रिपाठी, लक्ष्मण की भूमिका समर्थ डोडवाल,हनुमान की भूमिका मे सात्विक,रावण की भूमिका मे,अर्शमान और आदिराज हिरण की भूमिका पुष्कर ने निभाई।बच्चों ने मुख्य भूमिका में अभिनय करते हुए अद्भुत प्रतिभा का प्रदर्शन किया। उनके भाव और हावभाव ने कहानी को जीवंत बना दिया। मंच पर उनकी ऊर्जा और आत्मविश्वास ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।प्रत्येक संवाद में उनकी निपुणता और भावनाएं बेमिसाल थीं।उन्होंने अपने अभिनय के माध्यम से दर्शकों के दिलों में रामायण की गहराई को उतार दिया। यह प्रदर्शन न केवल कला का,बल्कि उनके समर्पण का भी अद्भुत उदाहरण था।
बच्चों ने सीता हरण के नृत्य नाटक में अद्भुत प्रदर्शन किया।उनकी अभिनय क्षमता ने सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
नृत्य की अदाएं और भावनाएं बेहद प्रभावशाली थीं।इस नाटक ने रामायण की गहरी भावनाओं को जीवंत कर दिया।बच्चों की मेहनत और तालमेल सराहनीय था। उनका आत्मविश्वास और ऊर्जा सभी को प्रेरित कर गया। वहीं दूसरी ओर बच्चों ने राम-रावण युद्ध के नृत्य नाटक में शानदार प्रदर्शन किया।उनकी अभिनय क्षमता और समर्पण ने सभी को प्रभावित किया।युद्ध के दृश्य जीवंत हो उठे थे,और संगीत ने माहौल को और भी रोमांचक बना दिया।नृत्य के प्रत्येक अंश में उनकी मेहनत झलक रही थी। सभी ने मिलकर एक बेहतरीन प्रस्तुति दी,जिसने रामायण की महानता को खूबसूरती से दर्शाया।
समारोह मे मंच संचालन कक्षा चार से रसिका अग्रवाल और दक्ष राणा द्वारा किया गया।उनके प्रभावशाली संचालन ने कार्यक्रम में जीवंतता भरी।
समारोह का मुख्य आकर्षण रावण दहन था,जो अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है।यह दृश्य दर्शकों के लिए अत्यंत उत्साहजनक और प्रेरणादायक था।दशहरा पर्व के अवसर पर,कक्षा 1 की नन्ही बालिकाओं ने देवी नौ दुर्गा के 9 रूपों का महत्व और उनकी शक्ति को उजागर करने के लिए एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया।देवी दुर्गा के ये नौ रूप न केवल आध्यात्मिक प्रतीक हैं,बल्कि हमारे जीवन में संघर्ष और बाधाओं को पार करने की प्रेरणा भी देते हैं।कक्षा प्रथम की छात्राओं में डोल्फी माँ शैलपुत्री के रूप में थी जो शक्ति और स्थिरता का प्रतीक हैं।और हमें आत्मविश्वास प्रदान करती है।सान्वी ढाका ब्रह्मचारिणी के रूप में थी जो संयम की देवी हैं।और हमें संकल्पित रहने की प्रेरणा देती हैं।चंद्रघंटा के रूप में लारण्या वत्स थी जो हमें आंतरिक शक्ति की ओर ले जाती हैं।
ओमायरा कुष्मांडा सृजन और समृद्धि की देवी बनी जो हमें नए विचारों और ऊर्जा से भर देती हैं।लक्ष्या अग्रवाल स्कंदमाता के रूप में थी जो मातृत्व और सुरक्षा का प्रतीक हैं,जो हमें प्रेम और सहानुभूति का अनुभव कराती हैं। अनाया अग्रवाल कात्यायनी के रूप में साहस और आत्मरक्षा की देवी बनी जो हमें कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति देती हैं।हिरणाक्षी कालरात्रि बनी जो अंधकार को दूर करने वाली देवी हैं,ये हमें भय से मुक्त करती हैं।वान्या अहलावत महागौरी शुद्धता और ज्ञान की देवी बनी जो हमें सच्चाई की राह दिखाती हैं। शिवाक्षी झा सिद्धिदात्री बनी जो समृद्धि और सिद्धियों की देवी हैं जो हमें सफलताओं की ओर ले जाती हैं।
कन्याओं का यह सुंदर रूप बहुत ही मनमोहक रहा। इस अवसर पर विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती पायल कपूर ने उपस्थित सभी को संबोधित करते हुए दशहरा के महत्व और इसके पीछे के संदेश पर प्रकाश डाला।उन्होंने छात्रों को नैतिकता, साहस और अच्छे कार्यों के प्रति प्रेरित किया।
इस कार्यक्रम ने सभी के दिलों में उत्साह और एकता की भावना को बढ़ाया।दिल्ली पब्लिक स्कूल, बिजनौर ने यह साबित कर दिया कि वह सांस्कृतिक धरोहर को संजोने और निखारने में प्रतिबद्ध है।