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E-Richshaw Lady: रुड़की की सड़कों पर ई-रिक्शा चला रही नीलम बनीं महिला सशक्तिकरण की मिसाल, कठिनाइयों के बावजूद खड़ा किया परिवार

Neelam, who drives an e-rickshaw on the streets of Roorkee, became an example of women empowerment, raised a family despite difficulties

E-Richshaw Lady: कोरोना महामारी के दौरान कई परिवारों ने अपने प्रियजनों को खो दिया और जीवन की नई चुनौतियों का सामना किया। ऐसी ही एक साहसी महिला, नीलम, हरिद्वार जिले के रुड़की नगर की नई बस्ती सुनहरा की निवासी, अपने पति के निधन के बाद अकेले अपने तीन बच्चों का पालन-पोषण कर रही हैं। नीलम ने कठिन परिस्थितियों से जूझते हुए न केवल अपने परिवार को सहारा दिया, बल्कि महिला सशक्तिकरण की एक प्रेरणादायक मिसाल भी पेश की है।

पति की मृत्यु के बाद आईं आर्थिक मुश्किलें

कोरोना महामारी के दौरान नीलम के पति का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। इस दुखद घटना के बाद नीलम के सामने अपने तीन बच्चों की जिम्मेदारी आ गई। नीलम बताती हैं कि पति के जाने के बाद उनके जीवन में आर्थिक परेशानियों का अंबार लग गया। उन्होंने परिवार चलाने के लिए लोगों के घरों में झाड़ू-पोछा और खाना बनाने का काम शुरू किया। हालांकि, यह काम उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं था।

नीलम ने इस दौरान कई जनप्रतिनिधियों से आर्थिक मदद की गुहार लगाई, लेकिन उन्हें किसी ठोस सहायता की उम्मीद नहीं मिली। इसके बावजूद नीलम ने हार नहीं मानी और अपने जीवन को पटरी पर लाने के लिए नई राह तलाशने लगीं।

ई-रिक्शा बना रोजी-रोटी का साधन

अंततः नीलम ने रुड़की की सड़कों पर ई-रिक्शा चलाने का निर्णय लिया। वह प्रतिदिन 300 रुपये के किराए पर ई-रिक्शा लेकर शहर में सवारी ढोने का काम करती हैं। नीलम दिनभर की मेहनत से करीब 600 से 700 रुपये कमा लेती हैं, जिनमें से 300 रुपये रिक्शा के किराए में चला जाता है। बचे हुए पैसों से वह अपने दो बेटों और एक बेटी का पालन-पोषण करती हैं। यह कठिन सफर उनके लिए केवल आर्थिक जरूरतों को पूरा करने का जरिया नहीं, बल्कि खुद को और अपने बच्चों को बेहतर भविष्य देने की उम्मीद भी है।

नीलम का संघर्ष समाज के लिए प्रेरणा

जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएं, उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपने परिवार के लिए हर संभव प्रयास किए।नीलम का संघर्ष और हौसला समाज के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत करता है। उनकी यह यात्रा महिलाओं के सशक्तिकरण का एक मजबूत संदेश है—कि महिलाएं किसी भी चुनौती का सामना कर सकती हैं और अपने परिवार का सहारा बन सकती हैं।

नीलम अब यह उम्मीद कर रही हैं कि उन्हें किसी प्रकार की स्थायी सहायता मिल सके, जिससे वे अपनी खुद की ई-रिक्शा खरीद सकें और आर्थिक रूप से और अधिक स्थिर हो सकें। उनकी यह कोशिश न केवल उनके बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगी, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणा भी बनेगी।

Written By। Mansi Negi । National Desk। Delhi

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