ED Raid Rajasthan: ED की राजस्थान में बड़ी कार्रवाई: Debock कंपनी पर छापेमारी, करोड़ों की VIP गाड़ियां जब्त
राजस्थान में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक बार फिर बड़ी कार्रवाई करते हुए शेयर मार्केट में लिस्टेड Debock इंडस्ट्रीज कंपनी के मालिक मुकेश मनवीर सिंह के ठिकानों पर एक साथ छापे मारे हैं। जयपुर, टोंक और देवली सहित कई जिलों में छापेमारी की गई, जहां से ED को करोड़ों रुपये की लग्जरी गाड़ियां और कई अहम दस्तावेज मिले हैं।
ED Raid Rajasthan: राजस्थान में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुक्रवार सुबह Debock Industries Limited के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए जयपुर, टोंक और देवली सहित कई ठिकानों पर एक साथ छापे मारे। एजेंसी को कंपनी पर शेयर बाजार में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं और प्रॉक्सी निदेशकों के ज़रिए हेराफ़ेरी के गंभीर आरोप मिले थे।
प्राथमिक जांच में यह भी सामने आया कि “पिछले छह महीनों में Debock के शेयर की कीमत 8 रुपये से बढ़कर 153 रुपये तक पहुंच गई”, जो असामान्य उछाल खुद में शक पैदा करता है। इसी तेज़ बढ़त के पीछे संभावित घोटाले की आशंका के चलते ED की टीम ने एक साथ कई ठिकानों पर दबिश दी।
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कहाँ‑कहाँ पड़ी छापेमारी?
ED की अलग‑अलग टीमों ने जयपुर के वैशाली नगर स्थित लोहिया कॉलोनी में कंपनी के मालिक मुकेश मनवीर सिंह के आवास व कार्यालय, साथ‑साथ टोंक और देवली में दर्जनों ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाया। इन सभी स्थानों से दस्तावेज़, कम्प्यूटर हार्ड‑डिस्क और मोबाइल उपकरण जब्त कर फॉरेन्सिक विश्लेषण शुरू कर दिया गया है।
दर्जनभर लग्जरी गाड़ियों का खुलासा
छापे के दौरान अधिकारियों को एक दर्जन से अधिक मर्सीडीज़, बीएमडब्ल्यू और रेंज रोवर जैसी वीवीआईपी श्रेणी की लग्ज़री कारें मिलीं। इन वाहनों की खरीद‑फरोख्त से जुड़ा स्रोत और भुगतान चैनल अब जांच के दायरे में है।
शेयर का भाव क्यों चढ़ा?
प्रवर्तन निदेशालय को आशंका है कि कंपनी ने कई शेल कंपनियों और डमी निदेशकों के ज़रिए शेयरों की कृत्रिम खरीद‑फरोख्त कर दाम आसमान पर पहुँचाया, ताकि आम निवेशकों को गुमराह कर लाभ कमाया जा सके। इसी संदिग्ध ट्रेडिंग पैटर्न पर विस्तृत डेटा एनालिसिस चल रहा है।
फर्जी कंपनियों का नेटवर्क
ED सूत्रों के मुताबिक, Debock Industries ने कम से कम आधा दर्जन मुखौटा कंपनियाँ बनाई थीं, जिनके बैंक खाते और कॉर्पोरेट कागज़ात में व्यापक गड़बड़ियांपाई गई। शुरुआती पूछताछ में पता चला है कि इन कथित सहयोगी संस्थाओं के अधिकांश निदेशक या तो स्टाफ मैम्बर थे या पहचान उधार पर बनाए गए नाम।
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SEBI पहले ही लगा चुका है शिकंजा
गौरतलब है कि अगस्त 2024 में SEBI ने भी Debock Industries पर निवेशकों से धोखाधड़ी और “बुक एंट्री” के जरिए बैलेंस‑शीट फुलाने के आरोप लगाते हुए कंपनी के प्रमोटर्स पर बाजार प्रतिबंध लगा दिए थे। उस आदेश में प्रमोटर समूह से ₹ 89 करोड़ से अधिक की अवैध कमाई जमा कराने को कहा गया था।
आगे क्या?
ED ने फिलहाल मनी‑लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (PMLA) के तहत केस दर्ज कर रखा है। जब्त दस्तावेजों और डिजिटल सबूतों की फॉरेन्सिक पड़ताल पूरी होने के बाद एजेंसी कई और लोगों को पूछताछ के लिए तलब कर सकती है। जानकारों के मुताबिक, यदि शेयर‑हेराफ़ेरी और धन शोधन के आरोप साबित होते हैं तो लंबी कानूनी प्रक्रिया के साथ करोड़ों की रिकवरी और जेल दोनों सम्भावित हैं।
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