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Folk Tune Program: उत्तराखंड में बच्चों को लोक धुनों से जोड़ेगा शिक्षा विभाग, संस्कृति संरक्षण की दिशा में ऐतिहासिक पहल

उत्तराखंड सरकार शैक्षिक सत्र 2025-26 से "लोक धुन कार्यक्रम" शुरू करने जा रही है, जिसका उद्देश्य बच्चों को राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से जोड़ना है। इस कार्यक्रम के तहत छात्रों को लोक संगीत, वाद्य यंत्रों और नृत्य की शिक्षा स्थानीय कलाकारों से दी जाएगी। यह पहल सांस्कृतिक संरक्षण के साथ-साथ लोक कलाकारों को रोजगार का अवसर भी देगी।

Folk Tune Program: भारतीय संस्कृति और परंपरा को अगली पीढ़ियों तक पहुंचाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं।उत्तराखंड सरकार अब विद्यार्थियों को प्रदेश की पारंपरिक संस्कृति से जोड़ने के उद्देश्य से एक नई योजना लागू करने जा रही है। शिक्षा विभाग द्वारा शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से “लोक धुन कार्यक्रम” की शुरुआत की जाएगी, जिसके माध्यम से छात्रों को सांस्कृतिक विरासत से अवगत कराया जाएगा, जिसके माध्यम से स्कूली बच्चों को राज्य की समृद्ध लोक संस्कृति, संगीत और पारंपरिक वाद्य यंत्रों से परिचित कराया जाएगा।

नई शिक्षा नीति में भारतीय परंपरा पर जोर

भारत सरकार ने वर्ष 2020 में लागू की गई नई शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान और सांस्कृतिक मूल्यों के प्रचार-प्रसार को विशेष महत्व दिया है। इसी नीति के तहत देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों – काशी हिंदू विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय – में एमए इन हिंदू स्टडीज जैसे पाठ्यक्रमों की शुरुआत हो चुकी है। अब उत्तराखंड सरकार भी इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए दून विश्वविद्यालय में इसी वर्ष एमए इन हिंदू स्टडीज कार्यक्रम शुरू करने जा रही है। इसका उद्देश्य भारतीय परंपरा और उत्तराखंड की सांस्कृतिक जड़ों पर अध्ययन और शोध को बढ़ावा देना है।

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लोक धुन कार्यक्रम से बच्चों को मिलेगी सांस्कृतिक शिक्षा

इस उद्देश्य को आगे बढ़ाते हुए उत्तराखंड शिक्षा विभाग समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत “लोक धुन कार्यक्रम” की शुरुआत करने जा रहा है। इस अनूठे कार्यक्रम के जरिए छात्रों को उत्तराखंड के पारंपरिक वाद्य यंत्रों, लोक गीतों और लोक नृत्य की जानकारी दी जाएगी। बच्चों को यह प्रशिक्षण स्थानीय लोक कलाकारों द्वारा दिया जाएगा, जिससे न केवल बच्चों में सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ेगी, बल्कि कलाकारों को भी आर्थिक सहयोग मिलेगा।

450 स्कूलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में होगी शुरुआत

राज्य शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान के अपर निदेशक कुलदीप गैरोला ने बताया कि यह कार्यक्रम शुरुआती चरण में 450 विद्यालयों में शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि “नई शिक्षा नीति भारतीय परंपरा और संस्कृति के संरक्षण की बात करती है और इसके लिए विद्यालय सबसे उचित माध्यम हैं।” उन्होंने स्पष्ट किया कि इस कार्यक्रम के अंतर्गत लोक संगीत, नृत्य और वाद्य यंत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। समय के साथ इसे प्रदेश के अन्य स्कूलों तक भी विस्तार दिया जाएगा।

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लोक कलाकारों को मिलेगा प्रशिक्षण का अवसर

लोक धुन कार्यक्रम के तहत जिन पारंपरिक वाद्य यंत्रों का प्रशिक्षण बच्चों को मिलेगा, उनमें हुड़का, ढोल, दमाऊ, रणसिंघा जैसे वाद्य प्रमुख होंगे। इनका उपयोग करने वाले अनुभवी लोक कलाकारों को स्कूलों में प्रशिक्षक के तौर पर नियुक्त किया जाएगा। इससे बच्चों को स्थानीय सांस्कृतिक विरासत से जुड़ने का अवसर मिलेगा, वहीं कलाकारों को भी रोजगार का नया मंच मिलेगा।

गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने की पहल की सराहना

उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने सरकार की इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि यह बहुत ही सकारात्मक और सराहनीय कदम है। उन्होंने कहा कि “मैंने पहले भी सोशल मीडिया के माध्यम से यह सुझाव दिया था कि स्कूलों में उत्तराखंड की लोक संस्कृति को पढ़ाया जाए। लोक गीत केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि उनमें हमारा इतिहास और परंपरा समाहित है।”

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नेगी ने स्थानीय कलाकारों को जिम्मेदारी देने की मांग की

नेगी ने आगे कहा कि यदि यह कार्यक्रम एक्स्ट्रा क्लास के रूप में भी शुरू किया जाता है, तो यह एक अच्छी शुरुआत होगी। साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि इसमें स्थानीय कलाकारों को अधिकाधिक भागीदारी दी जानी चाहिए, जिससे उन्हें आर्थिक लाभ भी मिल सके और सांस्कृतिक धरोहर का प्रचार-प्रसार भी हो। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में इसे स्कूल पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।

उत्तराखंड सरकार द्वारा “लोक धुन कार्यक्रम” की शुरुआत सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह न केवल विद्यार्थियों को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ेगा, बल्कि लोक कलाकारों को सम्मान और अवसर भी प्रदान करेगा। यह कार्यक्रम राज्य की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और आगे बढ़ाने में मील का पत्थर साबित हो सकता है।

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