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Impact of Electoral Bonds in Lok Sabha 2024: इस चुनाव में चुनावी बांड की होगी अग्नि परीक्षा!

These days India is going through elections which is called the biggest festival of democracy. This time Lok Sabha elections are being held in simultaneous phases.

Impact of Electoral Bonds in Lok Sabha 2024: क्या देश में भ्रष्टाचार कोई मायने रखता है? क्या इस मसले पर जनता कोई राय बनाती है? क्या जनता भ्रष्टाचार को लेकर गंभीर होती है? ऐसे से बहुत से सवाल इन दिनों चुनावी दौर में सामने आ रहे हैं। लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व कहा जाने वाला चुनाव से इनदिनों भारत गुजर रहा है। कुल साथ चरणों में इस बार लोकसभा के चुनाव हो रहे हैं और पहला चरण संपन्न भी हो गया है। मजे की बात तो यह है कि बीजेपी चुनाव हुए 102 सीटों पर अदैहिक से अधिक सीटों पर जीत होने का दावा कर रही है तो इंडिया गठबंधन वाले भी जीत के दावों के साथ अगले चरण के चङाव को आगे बढ़ाते दिख रहे हैं।

लेकिन सबसे बड़ी बात तो यही है कि इस बार विपक्ष की तरफ से चुनावी बांड की कहानी को जनता के सामने पडोसा जा रहा है। विपक्ष कह रहा है कि यह देश का सबसे बड़ा घोटाला है और इस बार जनता बीजेपी को सबक सीखा सकती है। लेकिन क्या यह सब हो सकता है ? क्या जनता बीजेपी पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप की सजा बीजेपी को देगी ? सवाल यह भी है कि क्या चुनावी बांड का खेल अब ख़त्म हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस चुनावी बांड को गैरकानूनी करार देते हुए इसे निरस्त कर दिया है और कोर्ट ने इसे असंवैधानिक भी कहा है। जब से कोर्ट का यह फैसला सामने आया तभी से विपक्ष वाले इस मुद्दे को जनता के सामने पड़ोस रहे हैं।

तो सवाल वही है कि क्या चुनावी बांड का मुद्दा अब खतम हो गया है ? बीजेपी समर्थकों की नजर में यह मुद्दा ख़त्म जरूर हो गया है लेकिन जानकार तो यह भी मानते हैं कि अगर जनता ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और बीजेपी के खिलाफ जाकर वोटिंग की तो माजा जाएगा कि चुनावी बांड इस चुनाव में चल गया। यह आगे भी जारी रहेगा। और ऐसा नहीं हुआ और बीजेपी की जीत हो गई तो यह मुद्दा रसातल में चला जाएगा।

अब जनता की प्रतिक्रिया का इन्तजार सबको है। अगर बीजेपी की जीत होती है तो जाहिर है कि जनता ने विपक्ष के इस मुद्दे को ख़ारिज कर दिया है। जनता ने मान लिया कि चुनावी बांड में कोई भ्रष्टाचार हुआ ही नहीं है।

पिछले चुनाव में राहुल गाँधी ने राफेल का मुद्दा बड़े जोर शोर से उठाया था। लेकिन बीजेपी की जीत हो गई और जनता ने इस मुद्दे को नकार दिया। तब से लेकर आज तक इस मुद्दे को विपक्ष नहीं उठा रहा है और न ही राहुल गाँधी भी इस मुद्दे पर कोई बात कर रहे हैं। पिछले चुनाव में इस मुद्दे के बाद भी बीजेपी की भारी जीत हुई थी और राफेल का मुद्दा ख़त्म हो गया।

ऐसे ही इस बार भी चुनावी बांड के मुद्दे के बाद भी बीजेपी की जीत हो जाती है तो मान लिया जाएगा कि जनता ने बीजेपी को क्लीन चिट दे दिया। जनादेश से बढ़कर कुछ भी नहीं होता है लेकिन यह भी सच है कि कभी कभी जनादेश भी नधा होता है। वह पार्टी और नेता के नाम पर बहुत फैसला तो करता है लेकिन उसके पीछे सच्चाई दब कर रह जाती है।

अब जानकार कह रहे हैं कि अगर बीजेपी की जीत भी होती है तब भी यह मुद्दा ख़त्म नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट इस पर आगे भी फैसला सुना सकता है। यह मुद्दा बीजेपी का पीछा नहीं छोड़ने वाला है। कई लोग इस मामले की जांच की मांग कर रहे हैं। जो लोग इस मामले की शिकायत अदालत ने की थी उनकी मांग एसआईटी से जांच कराने की है। अगर जांच होगी तो देश की राजनीति कुछ अलग ही हो जायेगी। ऐसे में इस चुनाव में चुनावी बांड की भी अग्नि परीक्षा होनी है। अगर इस मुद्दे पर बीजेपी को झटका लगता है तो भी देश के भीतर एक नयी राजनीति शुरू हो सकती है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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