बिहार में तेजी से घटनाक्रम बदलते जा रहा है। 23 जून को पटना में विपक्षी एकता की बैठक होनी है। नीतीश कुमार बीजेपी को मात देने के लिए यह सब कर रहे हैं। इस बैठक में सामान विचारधारा के 15 से ज्यादा पार्टियां शामिल हो सकती है। राहुल गाँधी और खड़गे भी इस बैठक में शामिल हो सकते हैं। उधर इस बैठक की तैयारी से पहले पहले ही हम पार्टी ने नीतीश कुमार को बड़ा झटका दिया है। हम पार्टी के नेता संतोष सुमन नीतीश मंत्रिमंडल में शामिल थे लेकिन किसी कारन वस उन्होंने पिछले दिन इस्तीफा दे दिया। कहा जा रहा है कि वे अब बीजेपी के साथ जा सकते हैं। संतोष सुमन पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के पुत्र हैं।
जल्दबाजी में आज रत्नेश सदा को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया।
राज्यपाल विश्वनाथ अर्लेकर ने सदा को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई है। बता दे कि रत्नेश को जदयू कोटे से मंत्री बनाया गया है। सदा मुसहर समाज से आते हैं और सहरसा के सोनबरसा से लगातार तीन बार विधायक रहे हैं। इलाके में उनकी ख़ास पकड़ है। कहा जा कि मांझी के जाने के बाद सदा मुसहर समाज के नेता के रूप में जदयू में स्थापित हुए हैं।
बता दें कि रत्नेश सदा 2020 के विधान सभा चुनाव में सोनवरसा सुरक्षित सीट से चुनाव जीतकर आये थे।
उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार ऋषिदेव को हराया था। सदा अभी जदयू के सचेतक।
उधर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा है कि यह कोई मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं है। मंत्री का एक पद खाली हुआ था उसे अभी भरा गया है। 23 जन की बैठक पर हमारी नजर है। इस बैठक के सफल होने के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार होगा। हमारी भी कुछ मांगे हैं। कांग्रेस कोटे से कुछ और लोगों को मंत्रिमंडल में जगह देने की मांग हम कर रहे हैं। समय आने पर वह भी हो जाएगा।
हालांकि विपक्ष ने नीतीश कुमार पर कई तरह के हमले किये हैं। उन पर कई तरह के आरोप भी लगाए जा रहे हैं लेकिन कुमार सबसे ध्यान हटाकर अपने मिशन में लगे हुए हैं। उनका मिशन यही है कि अगले चुनाव में बीजेपी को हराया जाए। सूत्रों का कहना है कि जदयू और राजद मिलकर ऐसी रणनीति तैयार कर रहे हैं कि इस बार बिहार से बीजेपी को एक भी सीट नहीं मिल सके।