Fact Check : अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर वायरल हो ही फर्जी पोस्ट, का असली सच जानिए
Ram Mandir Ayodhya fact Check: राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट, अंतकाल पछताएगा जब प्राण जाएगे छूट, कहावता सच है क्योंकि चारों और राम नाम की लूट मची है. कोई अयोध्या में राम लल्ला के दर्शन करने को बेताब है तो कोई राम के नाम पर फर्जावाड़ा कर अवसर तलाश रहा है. भगवान श्री राम का प्राण प्रतिष्ठा हो गई लेकिन फर्जी और भ्रमक फोटों वीडियो और ऑडियों सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है. किछ दिन पहले फेसबुक पर शेयरकी गई थी. जिसमे दावा किया जा रहा था. मथुरा वृंदावन में श्राद्धालुओं के जूतों की सुरक्षा से यशोदा नाम की महिला ने 51 लाख रूपए जुटाएं और राम मंदिर के लिए दान कर दिए. जिसे सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स इस बात को सच मानकर जमकर वायरल कर रहे हैं.
लेकिन न्यूज वॉच इंडिया जब इस खबर की तह तक पहुंचा तो यह पोस्ट पूरी तरीके से फर्जी साबित निकली. इस पोस्ट में दिख रही महिला से जुड़ी कई खबरें साल 2017 में मीडिया में सुर्खियां बटोर रही थीं कि, फिलहाल माना जा रहा है कि, इस महिला ने गौशाला के लिए कुछ पैसे दान में दिए हैं. हालांकि, ‘न्यूज वॉच इंडिया’ इसकी पुष्टि नहीं करता है. फिलहाल उसी महिला का वीडियो राम मंदिर के लिए चंदा देने के नाम पर वायरल हो रहा है. जब इसकी जांच की गई तो राम मंदिर के दावे वाली पोस्टे फर्जी साबित निकली.
इसलिए हो रहा है ये वीडियो वायरल
एक फेसबुक यूजर ने अपनी वॉल पर इस तस्वी र को पोस्टत करते हुए दावा किया, कि “पीली साड़ी में जो माता जी हैं उनका नाम यशोदा हैं. महज 20 साल की थी तभी उनके पति धराधाम उन्हे छोड़कर चले गये. जिसके बाद वो अकेली हो गईं लेकिन फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं छोड़ी.उन्होंने बांके बिहारी जी को अपना पूरा जीवन दान कर दिय. और वृंदावन की गलियों में दर्शन के लिये गये श्रद्धालुओं के जूतों की सुरक्षा करने में मग्न हो गई. बदले में वृंदावन आये श्राद्धालू जो भी उन्हें कुछ पैसे देते देते. उन्ही से 30 वर्षों में थोड़े-थोड़े पैसे इकट्ठा करके उन्होंने 51 लाख रुपये जमा कर लिये. अब श्री लेकिन जब उन्हे राम मंदिर निर्माण की सूचना मिली तो महिला ने अपने राम के मंदिर में करीब 51,10,025/- रुपये दान कर दिए. ये ही है सनातन। कोटि कोटि नमन।” ये पोस्ट 20 जनवरी 2024 को पोस्ट की गई थी. इसके कंटेंट में जो लिखा हुआ था वहीं हमने आपके सामने लिखा है.
जांच में क्या मिला ?
वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने सबसे पहले वायरल वीडियो को गूगल लेंस (Google Lens) से सर्च करना शुरू किया. वायरल पोस्टर में इस्तेगमाल की गई तस्वीoर कई फेसबुक पोस्टव पर काफी पुरानी तारीख में अपलोड मिली. एक सप्ताहिकी पत्रिका की 16 अक्टूेबर 2017 की रिपोर्ट में बताया गया कि कटनी की निवासी फूलमती बरसों से वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर के पास दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के जूतों चप्पलों की रखवाल करती हैं. अपनी पैतृक संपत्ति और जूते-चप्पंलों की रखवाली से जुटाए गए पैसों से उन्होंकने 17 लाख रुपये गौशाला को दान दिया.
इस खबर की पड़ताल में हमें बांके बिहारी वृंदावन नाम के एक एक फेसबुक पर असली तस्वीडर मिली. इसका इस्तेमाला करते हुए बताया गया कि, “मात्र महिला यशोदा 20 साल की उम्र में विधवा हो गई थी. यशोदा जुते चप्पलो की रखवाली करती है. आज इनके चरण छूकर सपरिवार आशीर्वाद भी लिया क्योंकि इस महिला ने पिछले 30 वर्षों में 5,10,25,50 पैसे इकट्ठा करके, 40 लाख (4000000/-)रुपये की रकम से एक गौशाला और धर्मशाला का निर्माण किया है।”
परिणाम: न्यूज वॉज इंडिया ने अपनी जांच में पाया कि वायरल पोस्ट फर्जी है. तस्वी्र में दिख रही महिला ने राम मंदिर के लिए कोई भी चंदा नहीं दिया है.