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राम मय के नायक पीएम मोदी, अयोध्या से जुड़ गया मोदी का जन्मो जन्मो तक नाम

Narendra Modi Ram Mandir : ‘राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद अब यह समय समर्थ-सक्षम और भव्य-दिव्य भारत के निर्माण के लिए संकल्प लेने का है।’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये बातें अयोध्या में कही। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दौरान जिस तरह से लोग राम मय नजर वो बहुत ही भव्य था। जानिए कैसे PM मोदी ने बहुसंख्यकों में (Narendra Modi Ram Mandir) भरा राम के गौरवमई भाव।


राम मंदिर का उद्घाटन और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करते-करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi Ram Mandir) ने BJP को बहुसंख्यक के हृदय में भी प्रतिष्ठापित कर दिया। यहां से केवल राम को लेकर नया इतिहास नहीं रचा गया बल्कि PM मोदी भी इतिहास पुरुष बन गए। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि सनातन सांस्कृतिक कार्यक्रम का यह स्वरूप राजनीति के पहिए पर घूम रहा था। यह वह समय साबित हुआ जब बीजेपी ने PM मोदी (Narendra Modi Ram Mandir) की बड़ी भूमिका के साथ भारतीय राजनीति को न केवल एक नया आयाम दिया बल्कि बहुसंख्यकों में राम के प्रति एक गौरव भाव भरने में भी सफलता पाई। नमो के इस अभियान की यह सफलता की ही मिसाल है कि कल तक जो दल राम को लेकर कन्नी काटा करते थे आज राम को किसी न किसी रूप में स्वीकारने (Narendra Modi Ram Mandir) की बात करने लगे।

खुल कर की बहुसंख्यक की राजनीति

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा ने बहुसंख्यकवाद की राजनीति को एक नए संदर्भ में प्रेरित करने का काम किया। BJP के लिए राम राजनीतिक मुद्दा नहीं रहे पर राम को अपनी जुबान पर जब चढ़ाया तो दो सांसदों की पार्टी से निकलकर अपने दम पर सरकार बनाने की स्थिति में आ गई। अगर चुनाव आयोग की ओर से आगामी लोकसभा चुनाव मध्य अप्रैल 2024 को कराया गया तो शर्तिया राम मंदिर का उद्घाटन और राम लला का प्राण प्रतिष्ठा सबसे बड़ा और बहुसंख्यक को प्रभावित करने वाला मुद्दा साबित होने जा रहा है। अभी तक तो BJP को कट्टर हिंदुत्व का साथ मिलता रहा। मगर इस राम मंदिर उद्घाटन के बाद भारतीय जनमानस में एक खास जनसंख्या जो वोट के समय धर्म के आवरण में पार्टियों को नहीं देखती उसका एक बड़ा वर्ग फिलहाल राम की इस ऐतिहासिक यात्रा (Narendra Modi Ram Mandir) के साथ खड़ा है।


ऐसा इसलिए भी हुआ कि BJP ने ऐसे लिबरल हिंदुओं को जोड़ने के लिए पर्याप्त प्रयास भी किया। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मूल कार्यक्रम के पहले जिस तरह से देशभर में झंडे बांटे गए, घर-घर जाकर अक्षत बांटे गए, दीप जलाने के वादे लिए गए, मंदिरों के सफाई अभियान से जोड़ा गया। साथ में भजन-कीर्तन का जो विशाल स्वरूप गढ़ा गया उससे ज्यादा से ज्यादा बहुसंख्यक को साथ लेकर चलने में BJP को सफलता मिली। BJP को हिंदुओं में राम के प्रति गौरव भाव महसूस करने में सफलता मिली। BJP को यह बताने में भी सफलता मिली कि यही पार्टीहिंदुओं की संपूर्ण मनोदशा की रक्षक है जो उन्हें कभी भी मुस्लिमों की गुलामी में जीने नहीं देगी। इन वजहों ने जिस धार्मिक माहौल को खड़ा किया गया वहां से प्रभु राम में आस्था रखने वालों में राजनीतिक चेतना (Narendra Modi Ram Mandir) का भी जागरण हुआ है।

नमो का भाषण भी राजनीतिक था

राम मंदिर से PM नरेंद्र मोदी का भाषण भी राजनीतिक था। उनके कई ऐसे वक्तव्य थे जहां राजनीतिक उद्देश्य छिपे हुए थे। राम मंदिर की वर्तमान स्थिति का वर्णन करते जब पीएम नरेंद्र मोदी कहते हैं कि गुलामी की मानसिकता को तोड़कर उठ खड़ा हुआ राष्ट्र ऐसे ही नव इतिहास का सृजन करता है। इस नव इतिहास में राजनीति की नई सोच में अपने धर्म के प्रति गौरवमई भाव का अश्क भरा गया है। राम को जननायक साबित करते कहा कि राम आग नहीं है, राम ऊर्जा हैं, राम विवाद नहीं, राम समाधान हैं राम तो सबके हैं। राम सिर्फ वर्तमान नहीं, राम अनंतकाल हैं। ये भारत का समय है और भारत अब आगे बढ़ने वाला है। शताब्दियों के इंतजार (Narendra Modi Ram Mandir) के बाद ये दिन आया है। अब हम नही रुकेंगे ।
इस नहीं रुकने की बात कह कर नरेंद्र मोदी एक बड़ा राजनीतिक संदेश देने में कामयाब हुए। याद कीजिए बीजेपी का स्लोगन कि जो राम को लेकर आएंगे हम उनको लेकर आएंगे। इसे 2024 के लोकसभा चुनाव का मूल मंत्र बनाया गया। इसके जरिये बीजेपी लगातार तीसरी बार सत्ता में आने का मार्ग प्रशस्त करने जा रही है। इसे PM नरेंद्र मोदी (Narendra Modi Ram Mandir) की सफलता मानें कि इस आयोजन के जरिए वे यह बताने में कामयाब हुए कि राम के वर्तमान वैभव पूर्ण स्वरूप को BJP लेकर आई है।

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