केदारनाथ आपदा में एक होनहार इंजीनियर के लापता होने की खबर ने पूरे देश को झकझोर दिया है। राजस्थान के अजमेर जिले के ब्यावर शहर निवासी अमरचंद सामरिया का बेटा रुपिन सामरिया, जो आईआईटी रुड़की से स्नातक करने के बाद एक सुनहरे भविष्य की ओर कदम बढ़ा रहा था, जुलाई में आई केदारनाथ आपदा के दौरान लापता हो गया। चारों तरफ तबाही मचाने वाले इस प्राकृतिक आपदा में रुपिन के साथ घटी घटना ने उसके परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है। अमरचंद सामरिया पिछले कई हफ्तों से अपने बेटे की तलाश में उत्तराखंड के पहाड़ों पर भटक रहे हैं, हर एक दीवार और पेड़ पर बेटे की तस्वीर वाले पोस्टर चिपका रहे हैं, उम्मीद लगाए बैठे हैं कि कोई तो उनके जिगर के टुकड़े का सुराग दे सके।
होनहार इंजीनियर का सपना और केदारनाथ यात्रा की शुरुआत
रुपिन सामरिया, एक प्रतिभाशाली छात्र, चार साल पहले आईआईटी रुड़की में दाखिला लेने के बाद अपने परिवार और समाज की उम्मीदों का केंद्र बन गया था। कड़ी मेहनत और अपने लगन से उसने आईआईटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। 27 जुलाई को उसके दीक्षांत समारोह के मौके पर उसके माता-पिता गर्व से भरे हुए थे। दीक्षांत समारोह में भाग लेकर रुपिन ने अपनी डिग्री हासिल की और अपने भविष्य की नई यात्रा की तैयारी में जुट गया। समारोह के बाद उसके माता-पिता घर लौट आए, लेकिन रुपिन ने अपने करीबी दोस्त धनेंद्र सिंह के साथ केदारनाथ धाम की यात्रा का मन बना लिया।
केदारनाथ की यात्रा और सैलाब में बहा रुपिन
28 जुलाई को रुपिन और धनेंद्र ऋषिकेश से टैक्सी लेकर देवप्रयाग पहुंचे, जहां उन्होंने रात गुजारी। अगले दिन दोनों गौरीकुंड पहुंचे और वहां से पैदल केदारनाथ धाम के लिए रवाना हुए। 30 जुलाई को उन्होंने केदारनाथ धाम के दर्शन किए और फिर 31 जुलाई को धाम में आरती देखी। इसके बाद दोनों दोस्त वापस रुड़की लौटने की तैयारी करने लगे। लेकिन पहाड़ों के मौसम की अनिश्चितता और प्राकृतिक आपदा का उन्हें अंदाजा नहीं था।
जंगल चट्टी के पास भारी बारिश के बीच दोनों ने जैसे-तैसे रास्ता नापा। इस दौरान रुपिन का मोबाइल फोन गिर गया, लेकिन दोनों ने एक-दूसरे का हाथ थामे रखा और आगे बढ़ते रहे। बारिश के झंझावात के बीच किसी तरह दोनों रात में गौरीकुंड तक पहुंचे। उन्होंने घर पर फोन कर अपनी कुशलक्षेम बताई, लेकिन सुबह होते ही उनके लिए एक और चुनौती तैयार थी।
1 अगस्त की सुबह, जब वे सोनप्रयाग पहुंचे, तो अचानक पानी का सैलाब आ गया। इस सैलाब ने धनेंद्र को दूर तक बहा दिया, लेकिन उसने देखा कि रुपिन ने किसी तरह ट्रैकिंग बैग की पट्टी पकड़कर खुद को संभाल लिया था। लेकिन फिर अचानक धनेंद्र बेहोश हो गया। जब उसकी आंख खुली, तो उसने पाया कि रुपिन गायब था। उसने पुलिस को सूचित किया, लेकिन रुपिन का कहीं कोई पता नहीं चला।
माता -पिता कर रहे बेटे की तलाश
अपने बेटे के इस दर्दनाक लापता होने की खबर सुनते ही अमरचंद सामरिया अपने परिवार के साथ उत्तराखंड पहुंचे। तब से अब तक वे लगातार पहाड़ों पर बेटे की तलाश में जुटे हुए हैं। हर एक जगह, हर एक गांव, मंदिर, पुलिस स्टेशन, और प्रशासनिक कार्यालय में वे अपने बेटे के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने बेटे की तस्वीरों वाले पोस्टर हर जगह चिपकाए हैं, हर किसी से विनती की है कि अगर कोई उनके बेटे के बारे में जानकारी दे सके, तो उनकी उम्मीदें फिर से जाग उठें।
अमरचंद सामरिया ने स्थानीय पुलिस से लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तक अपनी फरियाद पहुंचाई है, लेकिन अभी तक कोई ठोस सुराग नहीं मिला है। प्रशासन की ओर से तलाशी अभियान चलाया गया, लेकिन अब तक रुपिन का कोई पता नहीं चल पाया है।
उत्तराखंड की खतरनाक पहाड़ियों और प्राकृतिक आपदाओं के बीच रुपिन सामरिया की यह दुखद कहानी उन हजारों परिवारों का प्रतिनिधित्व करती है, जिन्होंने अपने प्रियजनों को ऐसे हादसों में खो दिया है। हालांकि, अमरचंद सामरिया का संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है। उनकी उम्मीदें अभी भी जिंदा हैं, और वे तब तक हार मानने वाले नहीं हैं, जब तक उन्हें अपने बेटे का कोई सुराग नहीं मिल जाता।