Digital Arrest: CBI अधिकारी बनकर ठगों ने परिवार से 55 लाख की ठगी की, माता-पिता और बेटी एक महीने तक फंसे रहे ठगी के जाल में!
आज के डिजिटल युग में साइबर अपराधियों की चतुराई और उनकी योजनाएं दिन-ब-दिन खतरनाक होती जा रही हैं। हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें एक परिवार को ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर 55 लाख रुपये की ठगी का शिकार बनाया गया।
Digital Arrest: आज के डिजिटल युग में साइबर अपराधियों की चतुराई और उनकी योजनाएं दिन-ब-दिन खतरनाक होती जा रही हैं। हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें एक परिवार को ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर 55 लाख रुपये की ठगी का शिकार बनाया गया। इस घटना ने सभी को हैरान कर दिया है और डिजिटल सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कैसे हुई वारदात?
इस घटना में साइबर ठगों ने खुद को CBI और मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताकर एक परिवार को फर्जी आरोपों में फंसाने का झांसा दिया। परिवार से कहा गया कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य गंभीर आरोप लगे हैं और यदि वे सहयोग नहीं करेंगे तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। ठगों ने परिवार को यह यकीन दिलाया कि यह एक सरकारी कार्रवाई है और उन्हें मोबाइल फोन पर वीडियो कॉल के जरिए ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखा गया।
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एक महीने तक डिजिटल अरेस्ट
ठगों ने परिवार से कहा कि वे किसी से संपर्क न करें और सिर्फ उनके निर्देशों का पालन करें। परिवार डर और शर्मिंदगी के कारण चुप रहा और पूरे एक महीने तक डिजिटल अरेस्ट में फंसा रहा। इस दौरान ठगों ने बैंक खातों से 55 लाख रुपये की रकम निकलवा ली और उसे अपने खातों में ट्रांसफर करा दिया।
साइबर क्राइम की नई चाल
यह घटना न केवल ठगी का मामला है, बल्कि यह बताती है कि साइबर अपराधी अब लोगों की मानसिक स्थिति और डर का फायदा उठाकर उन्हें पूरी तरह अपने नियंत्रण में ले रहे हैं। खुद को सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताना और कानूनी कार्रवाई की धमकी देना अब एक आम तरीका बन गया है।
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डिजिटल जागरूकता की जरूरत
इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि हमें डिजिटल जागरूकता को लेकर सतर्क रहना होगा। किसी भी अनजान कॉल पर अपनी बैंकिंग जानकारी साझा न करें और सरकारी एजेंसियों की पहचान की पुष्टि किए बिना किसी तरह की धमकी में न आएं। यदि ऐसी कोई संदिग्ध कॉल आए तो तुरंत स्थानीय पुलिस या साइबर क्राइम सेल से संपर्क करें।
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पुलिस और साइबर सेल की कार्रवाई
मामले की जानकारी मिलते ही स्थानीय पुलिस और साइबर क्राइम सेल ने जांच शुरू कर दी है। हालांकि ठगों की पहचान और गिरफ्तारी अभी तक नहीं हो सकी है, लेकिन पुलिस ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की है।
डिजिटल दुनिया में सुरक्षा हमारी पहली जिम्मेदारी है। ठगों की ऐसी योजनाओं से बचने के लिए सतर्कता और जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार है। यह घटना एक चेतावनी है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर किसी भी तरह की जानकारी साझा करने से पहले सोच-समझकर कदम उठाना जरूरी है।
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