Freedom Fighter Quota: उत्तराखंड में स्वतंत्रता सेनानी आरक्षण घोटाले की आशंका, मुख्यमंत्री ने दिए एसआईटी जांच के आदेश
उत्तराखंड में स्वतंत्रता सेनानियों के आरक्षण का फर्जीवाड़ा सामने आया है। शिकायत के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एसआईटी जांच के आदेश दिए हैं। फर्जी प्रमाणपत्र बनाकर आरक्षण लाभ लेने की आशंका जताई गई है।
Freedom Fighter Quota: उत्तराखंड में स्वतंत्रता सेनानियों के उत्तराधिकारियों को मिलने वाले आरक्षण लाभ को लेकर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। राज्य सरकार ने इस गंभीर मामले की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) का गठन करने का आदेश दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वयं इस मुद्दे को संज्ञान में लिया और मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि मामले की विस्तृत जांच कर जल्द से जल्द सच्चाई सामने लाई जाए।
समिति ने उठाए गंभीर सवाल
इस फर्जीवाड़े की आशंका सबसे पहले स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी परिवार समिति ने जताई थी। समिति का आरोप है कि राज्य में कुछ ऐसे लोग फर्जी दस्तावेज तैयार कर रहे हैं जो स्वतंत्रता सेनानियों के उत्तराधिकारी नहीं हैं, लेकिन सरकारी नौकरियों और शिक्षा संस्थानों में दो प्रतिशत आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं। खासकर एमबीबीएस में दाखिले जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में यह गड़बड़ी सामने आई है, जो न केवल कानूनन अपराध है, बल्कि स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत का अपमान भी है।
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सीएम धामी ने दिए त्वरित कार्रवाई के निर्देश
शिकायत मिलने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे गंभीरता से लेते हुए त्वरित निर्णय लिया। उन्होंने मुख्य सचिव को एसआईटी गठित करने का आदेश दिया ताकि इस पूरे फर्जीवाड़े की तह तक पहुंचा जा सके। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि इस प्रकार की अनियमितताओं को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।
फर्जी प्रमाणपत्रों का खेल
समिति की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार राज्य में कई लोग फर्जी प्रमाणपत्र बनवाकर स्वतंत्रता सेनानियों के वारिस होने का दावा कर रहे हैं। इन प्रमाणपत्रों के आधार पर वे शिक्षा और सरकारी नौकरी में आरक्षण हासिल कर रहे हैं। जबकि वास्तविकता यह है कि राज्य में स्वतंत्रता सेनानियों की संख्या बहुत सीमित है और उनके वास्तविक उत्तराधिकारियों की गिनती उंगलियों पर की जा सकती है। ऐसे में बड़ी संख्या में आरक्षण पाने वाले नए दावेदारों का सामने आना संदेहास्पद है।
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भारत भूषण विद्यालंकार ने जताई चिंता
इस मामले में स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी परिवार समिति के संरक्षक भारत भूषण विद्यालंकार ने भी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि राज्य में स्वतंत्रता सेनानियों को लेकर स्थापित आरक्षण व्यवस्था पवित्र मानी जाती रही है। लेकिन अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कुछ लोग इसका अनुचित लाभ उठाकर वास्तविक हकदारों को पीछे धकेलने का काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनकी समिति की ओर से इस विषय पर लिखित शिकायत मुख्यमंत्री को सौंपी गई थी, जिसके आधार पर कार्रवाई शुरू की गई है।
एसआईटी से अपेक्षित पारदर्शिता
मुख्यमंत्री द्वारा गठित की जा रही एसआईटी से आमजन और समिति को उम्मीद है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच होगी और सच्चाई जल्द ही सामने आएगी। साथ ही राज्य सरकार से यह भी मांग की जा रही है कि भविष्य में इस प्रकार के फर्जी प्रमाणपत्रों की जांच के लिए एक स्थायी निगरानी तंत्र विकसित किया जाए, जिससे आरक्षण व्यवस्था की पारदर्शिता बनी रहे।
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संवेदनशील विषय बना आरक्षण
गौरतलब है कि स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को आरक्षण देना एक संवेदनशील और सम्मानजनक निर्णय रहा है, लेकिन यदि यह व्यवस्था ही फर्जीवाड़े की शिकार हो जाए, तो यह समाज के लिए शर्मनाक स्थिति है। ऐसे में मुख्यमंत्री द्वारा त्वरित जांच आदेश देना एक सराहनीय कदम माना जा रहा है।
उत्तराखंड में सामने आए इस संभावित घोटाले ने न सिर्फ शासन व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि स्वतंत्रता सेनानियों की गरिमा को भी चुनौती दी है। अब सभी की निगाहें एसआईटी की जांच पर हैं, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि दोषी कौन हैं और उन्हें क्या सजा दी जाएगी।
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