Gender Equality: सर्वे का खुलासा पुरुष महिलाओं के प्रति रखते हैं ऐसी मानसिकता, मानते हैं उन्हें कमज़ोर
सर्वे के नतीजों (Gender Equality) में सामने आया कि लोग कंपनी में बॉस के तौर पर पुरुषों को देखना ही पसंद किया जाता है और वहीं दूसरी तरफ महिलाओं को संवाद के लिए बेहतर माना गया है। बता दें रिसर्चर जेनिफर बॉसन और उनके सहयोगियों का मानना है कि जेंडर इक्वलिटी की भूमिका संस्कृति से जुड़ी हुई है।
नई दिल्ली: पूरे विश्व में समानता यानी जेंडर इक्वालिटी (Gender Equality) की बात की जाती है। महिलाओं को पुरुषों के बराबर होने की बात दुनिया के तमाम बड़े मंचों से की जाती है लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और है। कहा जाता है कि महिला समाज की पहली शिक्षक होती है और स्त्री ही दुनिया को पूरा करती है लेकिन बावजूद इसके महिलाओं के लिए पुरुषों की सोच हैरान करने वाली है। हाल ही में हुए 62 देशों के सर्वे में सामने आया कि 58% पुरुष समानता नहीं चाहते हैं और 95% पुरुष कमजोर शब्द को महिलाओं से जोड़कर देखते हैं।
सर्वे में आएं निराशाजनक नतीजे
सबसे ज़्यादा हैरानी की बात ये है कि इस सर्वे में इन देशों के स्नातक छात्र यानी नई पीढ़ी ने भाग लिया था और करीब 27,343 लोगों पर हुए इस सर्वे (Gender Equality) में महज 3% महिलाएं ही शामिल थीं। स्टडी में प्रतिभागियों से व्यक्तित्व लक्षणों पर राय मांगी गई कि यह एक पुरुष या महिला के लिए कितना जरूरी है, जिसमें पुरुषों की महिलाओं को लेकर सोच काफी पिछड़ी हुई नजर आई।
62 देशों पर किए गए इस सर्वे में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के नतीजे सामने आए, लेकिन पुरुषों के लिए सकारात्मक रवैया ही रहा। वहीं, महिलाओं के लिए निराशाजनक नतीजे मिलें।
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पुरुषों और महिलाओं को लेकर है अलग-अलग नज़रिया
सर्वे के नतीजों (Gender Equality) में सामने आया कि लोग कंपनी में बॉस के तौर पर पुरुषों को देखना ही पसंद किया जाता है और वहीं दूसरी तरफ महिलाओं को संवाद के लिए बेहतर माना गया है। बता दें रिसर्चर जेनिफर बॉसन और उनके सहयोगियों का मानना है कि जेंडर इक्वलिटी की भूमिका संस्कृति से जुड़ी हुई है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में ज्यादा लचीलापन दिखाई देता है।
इस सर्वे में सामने आया कि पुरुष आत्मविश्वासी और प्रतिस्पर्धी होते हैं, वहीं महिलाओं को करूणा, सहायता और सहानुभूति से जोड़कर देखा जाता है। यानि पुरुषों को प्रभुत्व और महिलाओं को वीकनेस से जोड़कर भी देखा गया है। तो अब सवाल आता है कि जहां एक तरफ दुनियाभर में समानता की बात की जा रही है, ऐसे में नई पीढ़ी का इस सोच से दूर भागना वाकई चिंताजनक हो सकता है।
62 देशों पर किए गए इस सर्वे के जरिए वाकई ये चौकाने वाली बात सामने आई है। हालांकि सामाजिक बदलाव के जरिए जेंडर इक्वलिटी भी बदलती रहती है। इसके साथ ही दुनियाभर में संस्कृतियों के लिए कौन पुरुष और महिलाओं में आगे है इस बात पर अभी स्टडी नहीं हो पाई है। हालांकि यह सर्वे ग्रेजुएशन कर रहे छात्रों पर हुआ है।