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Gold Price Crash: रिकॉर्ड ऊंचाई के बाद सोने की कीमतों में ₹1350 की गिरावट

सोने की कीमतों में ₹1,350 की तेज़ गिरावट दर्ज की गई, जिससे यह रिकॉर्ड स्तर से नीचे आ गया। डॉलर की मजबूती, वैश्विक बाजार की अनिश्चितता और निवेशकों की मुनाफावसूली इस गिरावट के प्रमुख कारण रहे। विशेषज्ञ इसे अस्थायी मानते हैं और आने वाले त्योहारी सीजन में कीमतों में स्थिरता की उम्मीद जता रहे हैं।

Gold Price Crash: लगातार कुछ हफ्तों से रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद, भारतीय बाजार में सोने की कीमतों में अचानक तेज गिरावट देखने को मिली। बीते शुक्रवार को सोना प्रति 10 ग्राम ₹1350 सस्ता होकर लगभग ₹93,000 के स्तर पर आ गया। यह गिरावट न केवल निवेशकों को चौंकाने वाली रही, बल्कि इसकी वजहों ने भी बाजार में हलचल पैदा कर दी है।

वैश्विक स्तर पर डॉलर की मजबूती ने डाला असर

सोने की कीमतों पर सबसे पहला और बड़ा असर अमेरिकी डॉलर की मजबूती का पड़ा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर इंडेक्स में उछाल के चलते अन्य मुद्राओं की तुलना में सोना महंगा हो गया, जिससे इसकी मांग में गिरावट आई। भारत जैसे देशों में सोने का आयात डॉलर में होता है, ऐसे में डॉलर के मजबूत होने से घरेलू कीमतों पर सीधा असर पड़ा है।

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मुनाफावसूली के चलते निवेशकों की बिकवाली

बीते कुछ समय में सोने की कीमतें लगातार नई ऊंचाइयों को छू रही थीं, जिससे निवेशकों को मुनाफा कमाने का मौका मिला। जैसे ही कीमतें एक निश्चित स्तर पर पहुंचीं, कई निवेशकों ने अपनी होल्डिंग्स को बेचकर मुनाफा वसूली की, जिससे बाजार में सोने की बिक्री बढ़ी और कीमतों पर दबाव पड़ा।

शेयर बाजार में तेजी ने सोने की मांग कम की

हाल ही में शेयर बाजारों में आई मजबूती और पॉजिटिव ग्लोबल संकेतों के चलते निवेशकों का झुकाव इक्विटी की ओर बढ़ा है। जोखिम लेने की प्रवृत्ति में वृद्धि होने से लोग अब सोने जैसे सुरक्षित निवेश की बजाय स्टॉक्स और म्यूचुअल फंड्स को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिससे सोने की मांग और कीमत दोनों में गिरावट आई।

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ब्याज दरों को लेकर बनी अनिश्चितता

अमेरिका और यूरोप में ब्याज दरों को लेकर लगातार बयानबाज़ी और नीतिगत अस्थिरता बनी हुई है। यदि प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं ब्याज दरें बढ़ाती हैं, तो सोने जैसे बिना ब्याज वाले संपत्ति वर्ग की मांग घटती है। ऐसी आशंकाओं ने भी बाजार में अस्थिरता पैदा की, जिसका प्रभाव सोने की कीमतों पर दिखा।

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आगे की राह क्या?

विशेषज्ञों का मानना है कि सोने की कीमतों में यह गिरावट अस्थायी हो सकती है, लेकिन निकट भविष्य में यह काफी हद तक वैश्विक घटनाक्रम और घरेलू मांग पर निर्भर करेगा। त्योहारी सीजन के करीब आने से मांग में फिर से उछाल आ सकता है, जिससे कीमतों में स्थिरता लौटने की उम्मीद है।

सोने की कीमतों में ₹1350 की गिरावट ने निवेशकों को सतर्क कर दिया है। हालांकि यह गिरावट कई आर्थिक और निवेश प्रवृत्तियों से जुड़ी है, फिर भी दीर्घकालिक निवेश के लिहाज से सोना अब भी एक भरोसेमंद विकल्प बना हुआ है। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे बाजार की चाल को बारीकी से समझें और सोच-समझकर निर्णय लें।

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Written By। Mansi Negi । National Desk। Delhi

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