Akshay Tritiya: अक्षय तृतीया पर सोना चमका, ऊंची कीमतों के बावजूद बाजार में दिखा 15% तक उछाल, जानिए वजहें
अक्षय तृतीया पर भले ही सोने की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हों, फिर भी बाजार में 10-15% तक मांग बढ़ी है। इस पर्व का सांस्कृतिक महत्व लोगों को खरीदारी के लिए प्रेरित कर रहा है। युवा उपभोक्ता अब हल्के और दैनिक उपयोग के आभूषणों की ओर झुकाव दिखा रहे हैं।
Akshay Tritiya: अक्षय तृतीया, जिसे हिंदू धर्म में समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है, इस बार न सिर्फ आस्था बल्कि निवेश के नजरिए से भी खास रहा। 30 अप्रैल को पड़ने वाले इस पर्व ने सोने के बाजार में नई चमक भर दी है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस साल अक्षय तृतीया पर आभूषणों की बिक्री में 10-15 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है, भले ही सोने की कीमतें अब तक के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी हों।
जब परंपरा और निवेश एक राह पर आएं
भारतीय परंपरा में अक्षय तृतीया को खरीदारी के लिए शुभ माना जाता है, खासकर सोने की। मान्यता है कि इस दिन खरीदा गया सोना अक्षय होता है यानी इसका कभी नाश नहीं होता। यही वजह है कि हर साल इस अवसर पर लोग बड़े पैमाने पर आभूषण और सोने के सिक्के खरीदते हैं।
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काम ज्वैलरी के प्रबंध निदेशक कोलिन शाह के अनुसार, “भले ही कीमतें ऊंचाई पर हैं, लेकिन इस पर्व का भावनात्मक और सांस्कृतिक महत्व इतना गहरा है कि ग्राहक खरीदारी से पीछे नहीं हटते। बाजार में सकारात्मक भावना है, जिससे बिक्री में 10-15% तक की बढ़ोतरी संभव है।”
रिकॉर्ड कीमतें, फिर भी खरीदारी में जोश
इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) के अनुसार, अक्षय तृतीया से पहले 24 कैरेट सोने की कीमत ₹95,602 प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गई थी, जबकि 22 कैरेट सोना ₹91,300 और 18 कैरेट सोना ₹77,290 प्रति 10 ग्राम दर्ज किया गया।
यहां तक कि पिछले सप्ताह भारत में सोने की कीमतों ने पहली बार ₹1,00,000 प्रति 10 ग्राम का स्तर छू लिया था, जिससे बाजार में हलचल मच गई थी। हालांकि अंतरराष्ट्रीय कीमतों में थोड़ी नरमी के चलते घरेलू बाजार में भी कुछ राहत देखी गई है।
22 अप्रैल को 24 कैरेट सोना ₹96,670 से बढ़कर ₹1,00,000 तक पहुंच गया, जबकि 22 कैरेट की दर ₹97,600 और 18 कैरेट सोना ₹81,000 तक पहुंच गया। यही नहीं, मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर अक्टूबर के लिए सोना वायदा अनुबंध भी ₹1,00,000 के पार चला गया।
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युवा उपभोक्ता और नया चलन
दिलचस्प बात यह है कि जहां एक ओर पारंपरिक खरीदार भारी सोने के गहनों की ओर रुझान दिखा रहे हैं, वहीं युवा वर्ग हल्के और दैनिक उपयोग के आभूषणों को प्राथमिकता दे रहा है। कोलिन शाह के मुताबिक, “युवा उपभोक्ता अब ऐसे गहनों की ओर आकर्षित हो रहे हैं जिन्हें वे ऑफिस, पार्टी या रोज़मर्रा में पहन सकें। ये ट्रेंड बाजार को नई दिशा दे रहे हैं।”
निवेश के नजरिए से भी खास
विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्विक आर्थिक अस्थिरता के दौर में सोने की मांग एक ‘सुरक्षित निवेश’ के तौर पर बढ़ रही है। यही कारण है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोने की कीमतें ऊंचाई पर बनी हुई हैं। ऐसे में अक्षय तृतीया जैसे त्योहार निवेशकों को एक मौका देते हैं कि वे परंपरा और निवेश को एक साथ जोड़ सकें।
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निष्कर्ष: आस्था और अवसर का संगम
भले ही कीमतें आसमान छू रही हों, लेकिन भारतीय बाजार में आस्था का असर ऐसा है कि ग्राहक निवेश की बजाय परंपरा को प्राथमिकता देते हैं। अक्षय तृतीया पर सोना खरीदना सिर्फ एक रिवाज नहीं, बल्कि एक परंपरा है जो हर साल आर्थिक आंकड़ों से परे जाकर बाजार में रौनक ला देती है।
इस साल की खरीदारी ने यह सिद्ध कर दिया है कि सोना केवल धातु नहीं, बल्कि विश्वास है – और यही विश्वास भारतीय बाज़ार की सबसे बड़ी ताकत है।
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