मुंबई: महाराष्ट्र में एक सप्ताह से भी अधिक समय से चल रहे राजनीति ड्रामा का अंत होने की बजाय रोज नये-नये परिदृश्य सामने आ रहे हैं। शिंदे गुट में शिवसेना के 39 विधायकों के शामिल होने से उद्धव सरकार अल्पमत में होने का दावा करके राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के सामने अविश्वास प्रस्ताव देकर बहुमत सिद्ध कराने की मांग कर चुके हैं।
इस पर राज्यपाल ने 28 जून को ही 30 जून को विशेष सत्र बुलाकर सुबह 11 बजे फ्लोर टेस्ट कराने के आदेश दे दिये हैं, लेकिन 29 जून को सुबह ही राज्यपाल के अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ उद्धव गुट के चीफ व्हिप सुनील प्रभु ने शिवसेना की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी गयी। याचिका में कोर्ट से तत्काल सुनवाई करने और फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने की मांग की गयी है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने दूसरे पक्ष को अपराहन तीन बजे तक अपना पक्ष रखने के लिए निर्देशित किया। सुप्रीम कोर्ट आज ही फ्लोर टेस्ट होने अथवा रोक लगाने के मामले में फैसला सुनाने के लिए शाम पांच बजे सुनवाई करेगा।
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बता दें कि 27 जून को सारे प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद शिवसेना के बागी शिंदे गुट विधायकों को बड़ी राहत मिली थी। सुप्रीम कोर्ट में डिप्टी स्पीकर नरहरि जिनवाल द्वारा 16 बागी शिवसेना विधायकों को अयोग्य ठहराने संबंधी नोटिस जारी करके दो दिन में जवाब दाखिल करने को कहा था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर ने नोटिस पर रोक लगाने हुए विधायकों को 12 जुलाई शाम पांच बजे तक नोटिस का जवाब दाखिल करने का आदेश दिया था। साथ ही कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर, चीफ व्हिप सुनील प्रभु, नये विधायक दल नेता अजय चौधरी, महाराष्ट्र सरकार, केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट के इस कदम से जहां उद्धव ठाकरे गुट के तेवर ढीले हो गये थे, वहीं शिंदे गुट और भाजपा काफी हद तक भावी राजनीतिक दृश्य साफ होने के कारण सरकार बनाने की जुगत में जुट गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणनीस भी दिल्ली जाकर भाजपा राष्ट्रीय जेपी नडडा से मुलाकात करके आ चुके हैं, और उन्हीं की सलाह मशवरा से महाराष्ट्र बनाने की जोड़तोड़ में लग गये हैं। लेकिन जब तक अधिकृत तौर पर अल्पमत के कारण उद्धव सरकार गिर नहीं जाती, तब तक महाराष्ट्र की राजनीति में नये परिदृश्य का प्रवेश नहीं हो सकता।