Green Cess Uttarakhand: उत्तराखंड में अन्य राज्यों के वाहनों पर ग्रीन सेस बढ़ा, फास्टैग के जरिये होगी स्वत: वसूली
उत्तराखंड सरकार ने राज्य में प्रवेश करने वाले वाहनों पर ग्रीन सेस बढ़ाने का फैसला लिया है, जिससे प्रदूषण नियंत्रण और राजस्व वृद्धि सुनिश्चित हो सके। नई व्यवस्था के तहत फास्टैग और ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) तकनीक से सेस की वसूली की जाएगी। यह संशोधित दरें स्थानीय और बाहरी दोनों प्रकार के वाहनों पर लागू होंगी।
Green Cess Uttarakhand: उत्तराखंड सरकार ने राज्य में पर्यावरण सुरक्षा और राजस्व बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम उठाया है। अब राज्य में प्रवेश करने वाले बाहरी राज्यों के वाहनों से ग्रीन सेस की वसूली की जाएगी, और इसके लिए 2017 में निर्धारित दरों को संशोधित कर 28 से 30 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया है। यह बढ़ोतरी वर्तमान मुद्रास्फीति और परिवहन व्यय को ध्यान में रखते हुए की गई है।
उत्तराखंड एक प्रमुख धार्मिक और साहसिक पर्यटन स्थल है, जहां हर वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक पहुंचते हैं। खासकर चारधाम यात्रा के दौरान पांच से छह लाख वाहन राज्य में प्रवेश करते हैं। इससे न केवल सड़कों पर दबाव बढ़ता है, बल्कि पर्यावरण पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में राज्य सरकार ने ग्रीन सेस बढ़ाने और उसकी ऑटोमैटिक वसूली का निर्णय लिया है।
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पुरानी दरों को किया गया अपडेट
वर्ष 2017 में उत्तराखंड सरकार ने ग्रीन सेस की दरें निर्धारित की थीं, लेकिन तब से अब तक इन दरों में कोई संशोधन नहीं किया गया था। इस दौरान महंगाई और आर्थिक परिवर्तनों के कारण राज्य को राजस्व में अपेक्षित वृद्धि नहीं मिल पा रही थी। अब सरकार ने ग्रीन सेस की दरों में लगभग 28-30 प्रतिशत की वृद्धि का निर्णय लिया है ताकि महंगाई के असर को संतुलित किया जा सके और पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को मजबूती मिले।
नई तकनीक के जरिये होगी वसूली
परिवहन विभाग ने ग्रीन सेस की वसूली को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए अत्याधुनिक तकनीक को अपनाया है। राज्य की सीमाओं पर ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) कैमरे लगाए गए हैं, जो बाहरी राज्यों से आने वाले वाहनों की पहचान करेंगे। इसके बाद एक स्वचालित सॉफ्टवेयर ‘ऑटोमेटेड व्हीकल ग्रीन सेस कलेक्शन सिस्टम (AVGCCS)’ के माध्यम से नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) को वाहन की जानकारी भेजी जाएगी।
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यह प्रक्रिया कुछ ही सेकंड में पूरी हो जाएगी और NPCI वाहन के फास्टैग खाते से निर्धारित राशि स्वतः काट लेगा। इस प्रणाली से राज्य की सीमाओं पर वाहनों की लंबी कतारें नहीं लगेंगी और पर्यटकों को किसी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना पड़ेगा।
विभिन्न श्रेणियों के लिए अलग-अलग दरें
संशोधित ग्रीन सेस की दरें वाहन की श्रेणी के अनुसार निर्धारित की गई हैं।
- तिपहिया वाहन: ₹20
- कार और हल्के वाहन: ₹40
- मध्यम वाणिज्यिक वाहन: ₹60
- बड़े वाहन जैसे ट्रक और बसें: ₹80
स्थानीय और बाहरी वाहनों पर समान नीति
उत्तराखंड में रजिस्टर्ड वाहनों से पहले ही ग्रीन सेस वसूला जा रहा है। अब यही नियम अन्य राज्यों के पंजीकृत वाहनों पर भी समान रूप से लागू किया जाएगा। पूर्व में बाहरी वाहनों से सेस वसूलने की प्रक्रिया जटिल और धीमी थी, लेकिन नई तकनीकी प्रणाली के लागू होने से यह अब स्वचालित रूप से हो सकेगी।
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राजस्व वृद्धि और पर्यावरण संरक्षण की दोहरी रणनीति
राज्य सरकार का यह निर्णय दो प्रमुख उद्देश्यों की पूर्ति करता है—राजस्व में वृद्धि और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना। ग्रीन सेस से प्राप्त धनराशि को पर्यावरणीय परियोजनाओं, सड़कों के रखरखाव और पर्यटन ढांचे को सुदृढ़ करने में खर्च किया जाएगा। इसके अलावा, यह कदम लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाने में भी मदद करेगा।
उत्तराखंड सरकार का यह फैसला पर्यावरण की रक्षा और राज्य की आर्थिक मजबूती की दिशा में एक ठोस पहल मानी जा रही है। फास्टैग आधारित ग्रीन सेस वसूली व्यवस्था से न केवल प्रशासनिक प्रक्रिया सरल होगी, बल्कि पर्यटकों को भी एक डिजिटल और परेशानी मुक्त अनुभव मिलेगा। आने वाले समय में यह नीति पर्यावरणीय स्थिरता को सुनिश्चित करने में मील का पत्थर साबित हो सकती है।
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