नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 2002 में गुजरात दंगों में प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी सहित कई अन्य लोगों को SIT (विशेष जांच दल) की ओर से क्लीन चिट के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है. दरअसल ये याचिका जाकिया जाफिर की तरफ से दाखिल की गई थी. कोर्ट ने SIT की रिपोर्ट को सही माना है.
बता दें कि ये पूरा मामला 28 फरवरी 2002 का है. अहमदाबाद में 2002 में गुलबर्ग सोसाइटी में एक हिंसा हुई थी. इस हिंसा के दौरान कांग्रेस विधायक एहसान जाफरी भी मारे गए 69 लोगों में शामिल थे. जिसके बाद उनकी पत्नी जाकिया जाफरी ने राज्य में दंगों के दौरान गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सहित 64 लोगों को एसआईटी की क्लीन चिट को चुनौती दी और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
जाकिया जाफरी का केस में साथ देने वाले अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा ये किसी साजिश का हिस्सा और विशेष जांच दल इस मामले की सही से जांच नहीं की. सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका में जकिया जाफरी ने कहा था “याचिकाकर्ता के संबंध में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 173 (8) के तहत आगे की जांच करने के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) को अंतरिम आदेश दें. 8 जून 2006 की शिकायत, और 15 अप्रैल, 2013 की विरोध याचिका के माध्यम से विद्वान के समक्ष साक्ष्य रखे गए.” बता दें कि साल 2012 में एसआईटी ने जांच रिपोर्ट दाखिल की, जिसके बाद नरेंद्र मोदी सहित 64 लोगों को क्लीन चिट दी गई थी.
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एसआईटी ने जाफरी की याचिका का विरोध किया. एसआईटी ने कहा, गोधरा हत्याकांड के बाद सांप्रदायिक दंगे भड़काने में किसी भी बड़ी साजिश से होने से साफ इंकार कर दिया है. यहीं नहीं साल 2017 में में गुजरात हाईकोर्ट ने भी एसआइटी की रिपोर्ट के खिलाफ जकिया की विरोध शिकायत को खारिज कर दिया था. एसआईटी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि इस मामले में एफआईआर या चार्जशीट दर्ज करने के लिए कोई आधार नहीं मिला. जाकिया की शिकायत पर जांच भी की गई, लेकिन कुछ नहीं मिला.
जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्र्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार बेंच ने फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने सात महीने पहले 9 दिसंबर 2021 को जाकिया जाफरी की याचिका पर मैराथन सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था. गुजरात दंगों की जांच के लिए बनी एसआईटी ने तब गुजरात के मुख्यमंत्री रहे और अब के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी थी.